तुम्हें लगता है रस्ता जानता हूँ
मगर मैं सिर्फ चलना जानता हूँ.
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तेरे हर मूड को परखा है मैंने
तुझे तुझ से ज़ियादा जानता हूँ.
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गले मिलकर वो ख़ंजर घोंप देगा
ज़माने का इरादा जानता हूँ.
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मैं उतरा अपने ही दिल में तो पाया
अभी ख़ुद को ज़रा सा जानता हूँ.
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बहा लायी है सदियों की रवानी
मगर अपना किनारा जानता हूँ.
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बता कुछ भी कभी माँगा है तुझ से?
मैं अपना घर चलाना जानता हूँ.
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निलेश…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 30, 2020 at 1:46pm — 8 Comments
तर्क-ए-वफ़ा का जब कभी इल्ज़ाम आएगा
हर बार मुझ से पहले तेरा नाम आएगा.
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अच्छा हुआ जो टूट गया दिल तेरे लिए
वैसे भी तय नहीं था कि किस काम आएगा.
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अब रात घिर चुकी है इसे लौट जाने दे
यादों का क़ाफ़िला तो हर इक शाम आएगा.`
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उर्दू की बज़्म में कभी हिन्दी चला के देख
तेरे कलाम में नया आयाम आएगा.
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उस सुब’ह धमनियों में ठहर जाएगा ख़िराम
जिस भोर मेरे नाम का पैग़ाम…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2020 at 12:00pm — 10 Comments
वो कहता है मेरे दिल का कोना कोना देख लिया
तो क्या उस ने तेरी यादों वाला कमरा देख लिया?
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वैसे उस इक पल में भी हम अपनों ही की भीड़ में थे
जिस पल दिल के आईने में ख़ुद को तन्हा देख लिया.
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उस के जैसा दिल तो फिर से मिलता हम को और कहाँ
सो हमने इक राह निकाली, मिलता जुलता देख लिया.
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मैख़ाने में एक शराबी अश्क मिलाकर पीता है
यादों की आँधी ने शायद उसे अकेला देख लिया.
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महशर पर हम उठ आए उस की महफ़िल से ये कहकर
तेरी दुनिया तुझे मुबारक़!…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 14, 2020 at 5:30pm — 15 Comments
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