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July 2012 Blog Posts (196)

मैं शून्य का उपासक हूँ

मैं शून्य का उपासक हूँ

मुझे मेले में भी सब अकेले लगते हैं

इसीलिए सबसे मिल के हँस बोल लेता हूँ

न जाने हंगाम के हंगामे में

कब मुझे मेरा इष्ट (खुदा) मिल जाए

मुकम्मल रास्ते इख्तियार करता हूँ

मंजिल तक जाने के लिए…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 2:42pm — 4 Comments

शायद मैं नहीं रहा

दोस्त ....दोस्त वो नहीं रहा,

दिल के मारे, दिल नहीं रहा,



बहता पानी, आँख में नमी,

सागर छूटा, अब नहीं रहा,

धड़कन धीमी, और हो गयी,

काबू खुद पर, जो नहीं रहा,

अब बस तेरा, इंतज़ार है,…

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Added by अरुन 'अनन्त' on July 27, 2012 at 2:04pm — 6 Comments

ग़ज़ल

==========ग़ज़ल==============



दिलो जिगर निसार दूं है गर हसीन आपसा

किसे न चाहिए यहाँ 'प' महजबीन आपसा



बिना मिले बिना सुने दिलो के हाल जान लूं

हुनर कमाल का लिए न दूरबीन आपसा



बदल रहे अजीब रंग बात बात पर गुमा

नहीं दिखा अभी तलक…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 1:30pm — 5 Comments

शायरी

रिहा कर खूबसूरत दिखने की चाह की कैद से मुझे,

ए आईने मेरी सादगी को ज़मानत दे दे।  

...................

हम समता करना सीख गए सुख और दुख के हर रंग में,…

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Added by Vasudha Nigam on July 27, 2012 at 11:30am — 12 Comments

पञ्च हाइकू

पञ्च हाइकू

१.

कर ले कर्म

बस यही है धर्म

जीवन मर्म 

 

२.

छाये बहार.

आत्मिक अभिसार

प्यार में धार .

 

३.

जुड़ें बेतार

जोड़ ले लगातार  

दिलों के तार

 

४.

मन मुस्काए  

किस्मत बन जाए

क्यों घबराए 

५.

त्याग दे स्वार्थ

स्वीकार परमार्थ

उठ जा पार्थ

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 12:30am — 17 Comments

मान या ना मान.

 

(सूर घनाक्षरी एक प्रयास)

कानों में रस घोलती, कोयल की मीठी तान,

अमवा पे है बोलती,  मान या ना मान.

                             .

दादीमाँ ने नुस्खे लिखे,ज्यों औषधियों की खान,

घर  में ही  सब मिले,मान या ना मान.

                             .

संकट में जो साथ दे, तू भाई उसे ही जान,

यूँ…

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Added by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:00pm — 14 Comments

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी

फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है

थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर

अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी

यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली

साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो…

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Added by Albela Khatri on July 26, 2012 at 7:00pm — 38 Comments

हाइकु बक्सा : बहन बोली भाई से.......

१. बाँधी है राखी
भैया लाज रखना
रक्षा करना
 
२. धागा नहीं ये
बंधन है प्यार का
मान रखना
 …
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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 26, 2012 at 6:48pm — 14 Comments

आखिर कोई कितना सुस्ताएगा

जिंदगी! एक अनबुझ पहेली है. जिसको आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है. यह एक ऐसी पहेली है, जिसको जितना सुलझाओ, उतना ही उलझ जाती है. जिंदगी सुख-दुख के दायरे में सिमटी खुशियों के साथ शुरू होती है, लेकिन इसका अंत दुख और निराशा के साथ होता है. हंसते-मुस्कराते कोई नवजात जैसे-जैसे जिंदगी के रास्तों पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे वह जिंदगी की उलझनों में उलझता जाता है. अपनी पहली करवट से ही उसको अहसास हो जाता है कि खुद मेहनत करने से ही खुशियां हासिल हो सकती है. इसलिए वह हर पल आगे बढऩे की कोशिश में लग जाता है.…

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Added by Harish Bhatt on July 26, 2012 at 6:39pm — 5 Comments

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

उसके सारे चिन्ह खो गये, कैसा ये बदलाव हो गया

नही रही अब गुरु की गुरुता, नही रहे वो शिष्य महान

काट अँगूठा तक दे देते थे करते गुरु का सम्मान

आज के युग में शिक्षा क्या, बस पैसों का व्यापार हो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया

नही रही धुन बाँसुरिया की, जो छेड़ा करती थी तान

कहाँ थाप तबले ढोलक की, कहाँ नगाड़े का है मान

आज कान के परदे फट जाते ऐसा संगीत हो गया

मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो…

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Added by आशीष यादव on July 26, 2012 at 5:59pm — 19 Comments

कौन बचाए लाज

बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,

चीखे अबला द्रोपदी, कौन बचाए  लाज//
 
महंगाई से तरस रहे, भुखमरी की मार 
भ्रूण हत्या कैसे रुके, पंगु हुई सरकार //
 
दोस्तों से गुठ रही, घर में रहे मन मार
भाई बंधू…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 5:30pm — 13 Comments

कारगिल के शहीदों को सलाम...

हाइकु...

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दर्द हासिल

तनाव ही तनाव

क्यूँ कारगिल?

-----------

टीस दिल में

खोये कितने लोग

कारगिल में.

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युद्ध की भाषा

शांति…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 26, 2012 at 4:00pm — 11 Comments

"गाँव जायेंगे "



"गाँव जायेंगे "



हरियाली ही हरियाली

चहुँ ओर

प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य

हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य

अहा

सोच रहा हूँ

क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं

चूम लूं इस माटी…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 3:56pm — 5 Comments

हिडिम्बा मंदिर

 

हिडिम्बा देवी मंदिर

 

हिमाचल प्रदेश के सुदूर में व्यास नदी के किनारे बसी पर्यटन नगरी मनाली में घने देवदार वृक्षों से आच्छादित है यह मंदिर परिसर | परिसर बहुत साफ-सुथरा है ।…

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Added by ganesh lohani on July 26, 2012 at 2:30pm — 12 Comments

महल-अटारी

महल-अटारी

या गाय दुधारी

सम्मोहन है

खूबसूरती का

अहा

ब्यूटीफुल

वाह

काश !!!!!!

फूलते पिचकते सीने

आह…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े

ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े

घर में घुस कर घेर लिए हैं दुश्मन को ललकारें

गीदड़ – गीदड़ भभकी देता बोल नहीं कुछ पाए

बिल में घुसकर दौड़ डराता अन्दर ही छुप जाये

साँसे अटकी हैं उन सब की भ्रष्टाचारी जो है

क्या मुंह ले वे सामने आयें फाईल यहाँ भरी है

ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े

नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!

-------------------------------------------------------------

कहते हैं तुम थाने जाओ कोर्ट कचहरी बाहर देश

शर्म नहीं…

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Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 1:52pm — 6 Comments

=============छन्द/ग़ज़ल==============

===============छन्द================

तुम राह हसीं तुम मंजिल हो, दिल सागर है तुम साहिल हो

महताब तुम्ही बनके चमको, इस चाहत का तुम हासिल हो

हद भी तुम हो तुम बेहद भी, रख शर्म हया तुम फाजिल हो

गुल हो तुम एक गुलिस्ताँ का, खुशबू बनके तुम शामिल हो



संदीप पटेल "दीप"…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 12:34pm — 1 Comment

पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित दोहे

वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.

हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..

 

नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.  

कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..…

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Added by Er. Ambarish Srivastava on July 26, 2012 at 12:00am — 35 Comments

ओ विषधर! तुझमें कितना जहर है

तीखा विषैला हुआ आज नर है |
ओ विषधर! तुझमें कितना जहर है ||
 
जिसका काटा नहीं मांगे पानी,
विष थूकने में ना कोई सानी |
मत समझ दिल को अब तेरा डर…
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Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 25, 2012 at 9:20pm — 4 Comments

कुछ शेर

मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,

वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //



आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,

कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //



देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,

देन है, ये हसीनो की, है मेहरबानी //…



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Added by अरुन 'अनन्त' on July 25, 2012 at 2:21pm — 3 Comments

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