१२२-१२२-१२२-१२२
यही बात दिल देख मेरा जलाये
तुझे याद भी क्या जरा हम न आए
मुहब्बत किसी से करो तो पता हो
इशारे से महबूब कैसे बुलाये
गुनाहों ने तुमको कहीं का न छोड़ा
शराफत खड़ी मुंह में ये बुदबुदाये
खुदा प्यार बांटे सभी को हमेशा
यही सोच मुझको सदा गुदगुदाये
बफा साथ लेकर परीक्षा है आती
दुआ है खुदा से मुझे आजमाये
नदी गुनगुनाती हुई बह रही है
मिलन साथ सागर तभी खिलखिलाए
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मुनीश…
ContinueAdded by munish tanha on July 24, 2016 at 11:30am — 2 Comments
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