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Featured Blog Posts – March 2020 Archive (4)

ख़ुदा ख़ैर करे (ग़ज़ल)

रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन/फ़ेलुन

2122 1122 1122 112 / 22

ये सफ़र है बड़ा दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे

राह लगने लगी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे [1]

इस किनारे तो सराबों के सिवा कुछ भी नहीं

देखिए क्या मिले उस पार ख़ुदा ख़ैर करे [2]

लोग खाते थे क़सम जिसकी वही ईमाँ अब

बिक रहा है सर-ए-बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे [3]

ये बग़ावत पे उतर आएँगे जो उठ बैठे

सो रहें हाशिया-बरदार ख़ुदा ख़ैर करे…

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Added by रवि भसीन 'शाहिद' on March 20, 2020 at 7:00pm — 16 Comments


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कोरोना के विरुद्ध पाँच दोहे (गणेश बाग़ी)

(1)

सुनी सुनाई बात पर, मत करना विश्वास ।

चक्कर में गौमूत्र के, थम ना जाए श्वास ।।

(2)

कोरोना से तेज अब, फैल रही अफ़वाह ।

सोच समझ कर पग रखो, कठिन बहुत है राह ।।

(3)

कोरोना के संग यदि, लड़ना है अब जंग ।

धरना-वरना बस करो, बंद करो सत्संग ।।

(4)

साफ सफाई स्वच्छता, सजग रहें दिन रात ।

दें साबुन से हाथ धो, कोरोना को मात ।

(5)

मुश्किल के इस दौर में, मत घबराओ यार ।

बस वैसा करते रहो, जो कहती सरकार ।।

(मौलिक एवं…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2020 at 10:00am — 4 Comments

किसी आजाद पन्छी को न थी मन्जूर पाबन्दी -गजल

१२२२ /१२२२/ १२२२ /१२२२/

*

कभी कतरों में बँटकर  तो  कभी सारा गिरा कोई

मिला जो माँ का आँचल तो थका हारा गिरा कोई।१।

*

कि होगी कामना  पूरी किसी  की लोग कहते हैं

फलक से आज फिर टूटा हुआ तारा गिरा कोई।२।

*

गमों की मार से लाखों सँभल पाये नहीं  लेकिन

सुना हमने यहाँ  खुशियों  का भी मारा गिरा कोई।३।

*

किसी आजाद पन्छी को न थी मन्जूर…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2020 at 6:17am — 7 Comments

छुड़ाना है कभी मुमकिन बशर का ग़म से दामन क्या ? (७० )

(1222 1222 1222 1222 )

छुड़ाना है कभी मुमकिन बशर का ग़म से दामन क्या ?

ख़िज़ाँ के दौर से अब तक बचा है कोई गुलशन क्या ?

**

कभी आएगा वो दिन जब हमें मिलकर सिखाएंगे

मुहब्बत और बशरीयत यहाँ शैख़-ओ-बरहमन क्या ?

**

क़फ़स में हो अगर मैना तभी क़ीमत है कुछ उसकी

बिना इस रूह के आख़िर करेगा ख़ाना-ए-तन* क्या ?(*शरीर का भाग )

**

निग़ाह-ए-शौक़ का दीदार करने की तमन्ना है

उठेगी या रहेगी बंद ये आँखों की चिलमन क्या ?

**

अगर बेकार हैं तो काम ढूंढे या करें बेगार…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 18, 2020 at 12:00am — 6 Comments

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