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February 2022 Blog Posts (23)

तेरे मेरे दोहे ..

तेरे मेरे दोहे :

दंतहीन मुख पोपला, हुए दृष्टि से सूर ।

शक्तिहीन काया हुई, चलने से मजबूर ।।

दंतहीन मुख पोपला, दृष्टि से लाचार ।

देख -देख मिष्ठान को, मुख से टपके लार ।।

लघु शंका बस में नहीं, मुख से टपके लार ।

बदला सा लगने लगा , अपनों का व्यवहार ।।

काया का सूरज ढला, ढली श्वास की शाम ।

दूर क्षितिज पर साँझ की, लाली करे प्रणाम ।।

काया साँसों से चले ,चले कर्म से नाम ।

चंचल मन के अश्व की, वश में रखो…

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Added by Sushil Sarna on February 3, 2022 at 3:00pm — 10 Comments

झूठ बोले हैं न जाने कितने.......ग़ज़ल- सालिक गणवीर

2122-1122-22/112

झूठ बोले हैं न जाने कितने

उसको आते हैं बहाने कितने (1)

मैं किसी से भी तो नाराज नहीं

आ गए लोग मनाने कितने (2)

अब भी लोगों के नई दुनिया में

हैं ख़यालात पुराने कितने (3)

एक भी लफ़्ज मुझे याद नहीं

याद आते हैं वो गाने कितने (4)

घर जला कोई बुझाने न गया

आ गए आग लगाने कितने (5)

साथ आया न निभाने कोई

रस्म आएंँगे निभाने कितने (6)

अब कहीं पर तू ठहर जा…

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Added by सालिक गणवीर on February 3, 2022 at 9:33am — 4 Comments

दोहा - छक्का

उम्र  गँवा  दी  लोमड़ी, उछल- कूद  वनवास। 

 ईश  साधना की नहीं, भजन हुआ सन्यास।।

दोहा  कवि को  साध्य है, मूर्ख सदैव असाध्य। 

लंगड़ी  जब  भी  मारता, गिरता ठोकर खाय।।

काव्य - धर्म है साधना, प्राण बसे मम आग ।

साधू - संगति  चाहिए , तुलसी सम अनुराग।।

काव्य - कर्म जागृति जगत, हास्य-व्यंग्य है राग।

कविता  -  गंगा   है    सदा, नवरस का अनुराग।।

काव्यशास्त्र  विलास  कवि, पंडित को ही साध्य। 

तप - काव्य विरल भाव…

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Added by Chetan Prakash on February 1, 2022 at 6:30pm — 5 Comments

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