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January 2011 Blog Posts (116)

नहीं रहे भारत के रत्न पंडित भीमसेन जोशी

नहीं रहे भारत के रत्न…
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Added by R N Tiwari on January 24, 2011 at 10:00am — 13 Comments

ग़ज़ल

साहेबान, मुहब्बत भी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू है. पेश है इसी रंग की एक  ग़ज़ल....


अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत

कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत



तराना दिलों का बनाएं मुहब्बत

चलो साथ में गुनगुनाएं मुहब्बत…



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Added by shahid mirza shahid on January 23, 2011 at 7:00pm — 8 Comments

पिता जी की डायरी से....

पिता जी की डायरी से....



हाय भगवन क्या दिखाया ,

शांति मन में विक्रांति लाकर .

सरज का नव पुष्प कोमल , 

अग्नि ज्वाला में फसाकर,

वेड ही दिवस महिना ,

श्वेत ही वर्ण था निशा का,

शास्त्र ही दिन शेष था.

सूर्य था पश्चिम दिशा का.

उत्साह का उस दिन था पहरा ,

नयन सबही के खिले थे.

एक वर वधु के व्याह में ,…

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Added by R N Tiwari on January 23, 2011 at 6:30pm — 4 Comments

पुष्प समान समझ कर

पुष्प समान समझ कर तुमको,
    सुगंध तुम्हारी बन जायेंगे.
जग में खो दिया जो तुमको,
   शायद कुछ न फिर पाएंगे.
मस्त हवा सा चलना तेरा,
   अपलक मुझको देखना तेरा.
तेरे हस्त को न छू पाए,
   क्या फिर कुछ हम छू पाएंगे.
ये जीवन है इक कठपुतली,
  चलना इसका हाथ में तेरे.
तुमने हाथ जो नहीं हिलाए,
   कैसे फिर हम चल  पाएंगे.
नहीं जानते तेरे मन को,
  क्या देखा है…
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Added by shalini kaushik on January 23, 2011 at 9:46am — 2 Comments

लघु कथा: फूल

सिमरन दो साल के बेटे विभु को लेकर जब से मायके आई थी उसका मन उचाट था, गगन से जरा सी बात पर बहस ने ही उसे यंहा आने के लिए विवश किया था | यूँ गगन और उसकी 'वैवाहिक रेल' पटरी पर ठीक गति से चल रही थी पर सिमरन के नौकरी की जिद करने पर गगन ने इस रेल में इतनी जोर क़ा ब्रेक लगाया क़ि यह पटरी पर से उतर गई और सिमरन विभु को लेकर मायके आ गयी | सिमरन अपने घर से निकली तो देखा विभु उस फूल की  तरह मुरझा गया था जिसे बगिया से तोड़कर बिना…

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Added by shikha kaushik on January 23, 2011 at 9:00am — 2 Comments

सब अपने भी बेगाने हो गये

इस दुनिया में अब रहा न कोई अपना

अब तो सब अपने भी बेगाने हो गये ,                    

लगने लगा अब हमें कुछ ऐसा,

महफिल में भी अनजाने हो गये  |

 

आखों में ख्वाब जो दिखाया करते थे वो

 ही अब हमारे ख्यालों के नज़ारे हो गये ,

जो खाते थे  कसम  दोस्ती निभाने  की

करें क्या जब वो ही दुश्मन हमारे हो गये



विश्वास जताने वालों ही तोडा है विश्वास

तमन्नाओं के तार-तार अब हमारे हो गये

बीच मंझधार में लाके छोड़ दिया है हमको

किश्ती जो बनने चले थे… Continue

Added by Ajay Singh on January 22, 2011 at 8:30pm — 1 Comment

वो लाचार जिंदगी

घबरा जाता हूँ में

जब वो दिन याद आते हैं

पीड़ा के वो पल

टूट कर बिखर गया था में जब

वो रोज आँखें नम होना

वो हर हर बात पर आने वाली सिसकी

वो फूंक फूंक कर क़दमों को बढ़ाना

वो लाचार जिंदगी

 

रास्ते में पड़ा पत्थर जिसकी तकदीर का कोई पता नहीं

जाने कब कोई ठोकर मारकर आगे चल पड़े

जैसे उसका कोई वजूद ही नहीं

अपने अंजाम से बेखबर

 

वो छोटी छोटी चीज़ों का ध्यान रखना

वो बिस्तर पर पड़े रहकर रोज सोचते…

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Added by Bhasker Agrawal on January 22, 2011 at 3:16pm — 2 Comments

जीवन कर्म

हर  सुबह नई आशा  के साथ जागो;

 दिल में विश्वास रखो ऊपर वाले के प्रति;

गिरो अगर तो गिरकर संभालो खुद को;

जिन्दगी में जीत फिर तुम्हारी होगी!

ये मत सोचो क्या खो दिया;…

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Added by shikha kaushik on January 22, 2011 at 9:30am — 2 Comments

प्यार का गीत

Added by gaurava saxena on January 21, 2011 at 3:11pm — 2 Comments

हसीन पलों का सफ़र



पीपल के पेड़ के नीचे ,बनाया उसने आशियाँ

सिर्फ उसका , उसका ही  था वो जहाँ

जिंदगी…

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Added by anupama shrivastava[anu shri] on January 21, 2011 at 2:49pm — 2 Comments

ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा ?

"इंसाफ जालिमों की हिमायत में जायेगा,

ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा."

                      राहत इन्दोरी के ये शब्द और २६ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट  पर किया गया दोषारोपण कि "हाईकोर्ट में सफाई के सख्त कदम उठाने की ज़रुरत है क्योंकि यहाँ कुछ…

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Added by shalini kaushik on January 21, 2011 at 1:00pm — No Comments

“तुम्हारा एहसास”

तुम साथ नहीं हो

लेकिन फिर भी

ऐसा लगता है

कि तुम यहीं हो

फुलों में, हवाओ में

पतझड़ में, बहारों में

घटाओ…

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Added by Raju on January 21, 2011 at 10:09am — 4 Comments

वो कौन है ...

वो कौन है ...

यह तो एक पहेली है
उसकी अठखेली है...
दिखता वह अनजान है
पर हम सब की जान है
यह पहेली सुलझाने को 
युगों से अनेक ऋषि-मुनि 
हुए हैं अशांत
लेकिन वह तो हमेशा से ही
दिखता प्रशांत 
चैन की बंशी बजाता है
अपनी ही चलाता है
 नमस्कार बन्धु....
बहुत ठीक है तुम अपनी ही चलाओ 
सारी दुनिया को…
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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on January 21, 2011 at 8:30am — 6 Comments

आज नही कल शाम को जाना!

बहूत दिनों के बाद मिलें हो क्योँ जाने कि जिद करते हो|
आ ही गए हो ठहर के जाना, आज नही कल शाम को जाना|


तुम्हे रोकने कि ख्वाहिश नहीं है, पर कहना है मेरे दिल का|
तेरे साथ मैँ बरबस ना करुँगा, कुछ समझो मेरी मुश्किल का|


पहले भी तुम जा सकते हो, पर करना ना झुठा बहाना|
आ ही गए हो ठहर के जाना, आज नही कल शाम को जाना|


पहले लू जैसा आलम था, अब बारिश सा मौसम होगा|
दिल में घटाएं घिरने लगेँगी और आँखोँ में सावन…
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Added by CHANDAN KUMAR on January 21, 2011 at 1:00am — 2 Comments

तेरे आने का सपना लेकर..

मैं बेखुद सी दीवानी सी ,

तेरी यादों में खोयी सी..
फिर से हर वो पल जीती हूँ..
जब..…
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Added by Lata R.Ojha on January 20, 2011 at 3:30pm — 8 Comments

कविता -आत्मशक्ति पर विश्वास

जीवन एक ऐसी पहेली है जिसके बारे में बात करना वे लोग ज्यादा पसंद करते हैं जिन्होंने कदम-कदम पर सफलता पाई हो.उनके पास बताने लायक काफी कुछ होता है. सामान्य व्यक्ति को तो असफलता का ही सामना करना पड़ता है.हम जैसे साधारण मनुष्यों की अनेक आकांक्षाय होती हैं. हम चाहते हैं क़ि गगन छू लें; पर हमारा भाग्य इसकी इजाजत नहीं देता.हम चाहकर भी अपने हर सपने को पूरा नहीं कर पाते .यदि मन की हर अभिलाषा पूरी हो जाया करती तो अभिलाषा भी साधारण हो जाती .हम चाहते है क़ि हमें कभी शोक ;दुःख ; भय का सामना न करना पड़े.हमारी… Continue

Added by shikha kaushik on January 19, 2011 at 10:00pm — 6 Comments

ज़िन्दगी..

कुछ ज़िन्दगी का साथ मैंने यूं निभाया ..

कभी आग पे चली और कभी लुत्फ़ उठाया ..


कभी तूफ़ान से लड़ी तो कभी साथ उड़ चली…
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Added by Lata R.Ojha on January 19, 2011 at 8:00pm — 6 Comments

युवा क्रांति-रत्नेश रमण पाठक

आज देश भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रही है .इससे निकलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आरही है.हर नीति नाकामयाब दिख रही है .

ऐसे में जरुरत है युवा शक्ति की ,जो की देश को एक नयी दिशा दे ,इस गंगोत्री से निकाले.और इन सब के लिए जरुरी है युवाओं का राजनीती में भागीदारी सुनिश्चित होना.

मैं आह्वान करता हूँ की यदि हमें वंशवाद की राजनीति को खत्म करना है तो युवाओं को नए उमंग के साथ राजनीति में आना होगा। आज का युवा वर्ग अपने कर्तव्यों ,अधिकारों ,और देश प्रेम से मुह मोड़ रहा है .हर कोई अपने भविष्य… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on January 19, 2011 at 6:37pm — No Comments

सपना क्या है?

देख रहा हूँ सपना क्या है?

सपना है तो अपना क्या है ?

घिरा हुआ अविरल घेरे में ,

कैसे जानू क्या तेरे में ?





बंधन चक्कर जब अजेय है,

निस वासर ये तपना क्या है?

देख रहा हूँ सपना क्या है.

सपना है तो अपना क्या है?



राजा था क्यों रंक हो गया ?

ज्ञानी था तो कहों खो गया ?

पता नहीं ,जब कोई किसी का,

नाम लिए और जपना क्या है?



देख रहा हूँ सपना क्या है.................

पाना खोना, खोना पाना,

क्या कैसा है ,किसने जाना ?



सब कुछ है और… Continue

Added by R N Tiwari on January 19, 2011 at 4:30pm — 2 Comments

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