Om Parkash Sharma's Posts - Open Books Online2024-03-28T11:30:03ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharmahttps://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/9149505673?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1https://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=30qjr09x6kjjc&xn_auth=noदोहेtag:openbooks.ning.com,2021-09-02:5170231:BlogPost:10676682021-09-02T09:00:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<p>1 </p>
<p>सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। </p>
<p>ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥</p>
<p>2.</p>
<p>जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।</p>
<p>चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ </p>
<p>3.</p>
<p>कोमल तन कटि क्षीण सी, <span>सुंदर मोहक रूप।</span></p>
<p>वेणी नागिन सी बनी, <span>चंचल नयन अनूप ॥</span></p>
<p><span>4.</span></p>
<p>कर्म कमाई आपकी, <span>बदले सब संस्कार।</span></p>
<p>अनुचित अर्जित संपदा, <span>हो दुख का आधार॥ </span></p>
<p><span>5.</span></p>
<p>दुर्योधन ने कब किया,…</p>
<p>1 </p>
<p>सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। </p>
<p>ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥</p>
<p>2.</p>
<p>जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।</p>
<p>चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ </p>
<p>3.</p>
<p>कोमल तन कटि क्षीण सी, <span>सुंदर मोहक रूप।</span></p>
<p>वेणी नागिन सी बनी, <span>चंचल नयन अनूप ॥</span></p>
<p><span>4.</span></p>
<p>कर्म कमाई आपकी, <span>बदले सब संस्कार।</span></p>
<p>अनुचित अर्जित संपदा, <span>हो दुख का आधार॥ </span></p>
<p><span>5.</span></p>
<p>दुर्योधन ने कब किया, <span>मित्रोचित व्यवहार।</span></p>
<p>दिया स्वार्थवश कर्ण को, <span>अंग राज्य उपहार॥</span></p>
<p><span>6</span></p>
<p>बेटी विवाहित मत करें,<span>प्रतिदिन सीख सलाह।</span></p>
<p>बसते घर अब उजड़ते, <span>बढ़े कलह अरु ढाह ॥</span></p>
<p><span>7.</span></p>
<p>मोबाइल पर दे रही ,माँ जब सीख सलाह ।</p>
<p>मुश्किल घर तब बसना, कैसे हो निर्वाह ॥</p>
<p></p>
<p>स्वरचित मौलिक </p>
<p>ओम प्रकाश शर्मा। </p>
<p></p>चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।tag:openbooks.ning.com,2021-08-13:5170231:BlogPost:10665472021-08-13T15:00:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<p></p>
<p>चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।</p>
<p>साँसद संसद रोक के, करते वहाँ धमाल॥</p>
<p></p>
<p>निज कर्मों के साथ ही, याद रहे प्रभु नाम। </p>
<p>ईश कृपा जब तो मिले, बनते सारे काम॥</p>
<p></p>
<p>करे कमाई जिस तरह, <span>वैसा रहे प्रभाव ।</span></p>
<p>अर्जित धन अनुचित सदा, <span>देता रहता घाव॥ </span></p>
<p></p>
<p>न व्यक्तित्व हो एक सा, <span> अंतर होता मीत।</span></p>
<p>विचार जिससे जब मिले, <span>जग जाती तब प्रीत॥</span></p>
<p></p>
<p>दो छोटों की बात पर, <span>आप हमेशा…</span></p>
<p></p>
<p>चुनकर संसद भेजते, उठें उचित सवाल।</p>
<p>साँसद संसद रोक के, करते वहाँ धमाल॥</p>
<p></p>
<p>निज कर्मों के साथ ही, याद रहे प्रभु नाम। </p>
<p>ईश कृपा जब तो मिले, बनते सारे काम॥</p>
<p></p>
<p>करे कमाई जिस तरह, <span>वैसा रहे प्रभाव ।</span></p>
<p>अर्जित धन अनुचित सदा, <span>देता रहता घाव॥ </span></p>
<p></p>
<p>न व्यक्तित्व हो एक सा, <span> अंतर होता मीत।</span></p>
<p>विचार जिससे जब मिले, <span>जग जाती तब प्रीत॥</span></p>
<p></p>
<p>दो छोटों की बात पर, <span>आप हमेशा ध्यान।</span></p>
<p>उनके कथनो में मिले, <span>कभी अनूठा ज्ञान॥</span></p>
<p></p>
<p>छूट लूट का लाभ तो, सभी उठाते लोग।</p>
<p>ऐसी ही हालत रही, बढ़ सकता है रोग॥ </p>
<p></p>
<p>मुस्काई जाकर निकट, <span>मटका दोनों नैन।</span></p>
<p>समझा प्रियतम को गई,<span> बिन बोले दे सैन॥</span></p>
<p></p>
<p>मिले सफलता एक दिन, रोज करें अभ्यास।</p>
<p>उसके बिन होता कठिन, भले ज्ञान है पास॥</p>
<p></p>
<p>य व का तो करना नहीं, कभी विकल्प प्रयोग।</p>
<p>स्वर होता उच्चरित यदि, हो स्वर का संयोग॥</p>
<p></p>
<p>बेटों की मजबूरियाँ, <span>भी समझें माँ बाप।</span></p>
<p>करे मेहनत वे बहुत, <span>झेले कितने ताप॥</span></p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>दोहेtag:openbooks.ning.com,2021-07-20:5170231:BlogPost:10639702021-07-20T18:30:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<p>कलयुग में ऋण के बिना, <span>सरे न कोई काम।</span></p>
<p>बड़ी बड़ी जो हस्तियाँ , <span>ऋण ले बनी तमाम ॥ </span></p>
<p></p>
<p>टाँक पैबंद वस्त्र में, <span>तब ढकते थे लाज।</span></p>
<p><span>लोग प्रदर्शन कर रहे, उन्हें फाड़कर आज॥</span></p>
<p></p>
<p>मूर्ति मात्र साधन सदा, ध्यान लगाएँ नित्य।</p>
<p><span>निराकार ईश्वर सदा, देखता सबके कृत्य॥ </span></p>
<p></p>
<p>मान पुरुष को दे भले, <span>सामाजिक परिवेश।</span></p>
<p><span>घर पर तो चलता सदा, पत्नी का आदेश॥ </span></p>
<p></p>
<p>कर…</p>
<p>कलयुग में ऋण के बिना, <span>सरे न कोई काम।</span></p>
<p>बड़ी बड़ी जो हस्तियाँ , <span>ऋण ले बनी तमाम ॥ </span></p>
<p></p>
<p>टाँक पैबंद वस्त्र में, <span>तब ढकते थे लाज।</span></p>
<p><span>लोग प्रदर्शन कर रहे, उन्हें फाड़कर आज॥</span></p>
<p></p>
<p>मूर्ति मात्र साधन सदा, ध्यान लगाएँ नित्य।</p>
<p><span>निराकार ईश्वर सदा, देखता सबके कृत्य॥ </span></p>
<p></p>
<p>मान पुरुष को दे भले, <span>सामाजिक परिवेश।</span></p>
<p><span>घर पर तो चलता सदा, पत्नी का आदेश॥ </span></p>
<p></p>
<p>कर विवेचना विविध विधि, <span>रचते दोहा गीत।</span></p>
<p><span>मात्रिक गण क्यों खो गए, समझ न आए मीत॥</span></p>
<p></p>
<p>ओम प्रकाश शर्मा </p>
<p>परीमहल, शिमला -9</p>
<p></p>दोहेtag:openbooks.ning.com,2021-07-14:5170231:BlogPost:10639172021-07-14T17:30:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<p>सासु यहाँ घर पर करे, <span>अब बाई का काम।</span></p>
<p>बहू सुबह है निकलती, <span>आती है फिर शाम॥</span></p>
<p>.</p>
<p>शिक्षा सारी व्यर्थ है, व्यर्थ समझ सब ज्ञान।</p>
<p>पदवी पा करता नही, <span>मात पिता सम्मान।।</span></p>
<p>.</p>
<p>शिक्षा जिसमें सीख हो, <span>और श्रेष्ठ संस्कार।</span></p>
<p>जीवन को उज्ज्वल करे, <span>सिखलाए व्यवहार॥</span></p>
<p>.</p>
<p><span>मेघ छटे अब खिल गई, यहाँ सुनहली धूप।</span></p>
<p>धुली धुली सी लग रही। मोहक प्रकृति अनूप॥</p>
<p> .</p>
<p>हम चिंता निज की…</p>
<p>सासु यहाँ घर पर करे, <span>अब बाई का काम।</span></p>
<p>बहू सुबह है निकलती, <span>आती है फिर शाम॥</span></p>
<p>.</p>
<p>शिक्षा सारी व्यर्थ है, व्यर्थ समझ सब ज्ञान।</p>
<p>पदवी पा करता नही, <span>मात पिता सम्मान।।</span></p>
<p>.</p>
<p>शिक्षा जिसमें सीख हो, <span>और श्रेष्ठ संस्कार।</span></p>
<p>जीवन को उज्ज्वल करे, <span>सिखलाए व्यवहार॥</span></p>
<p>.</p>
<p><span>मेघ छटे अब खिल गई, यहाँ सुनहली धूप।</span></p>
<p>धुली धुली सी लग रही। मोहक प्रकृति अनूप॥</p>
<p> .</p>
<p>हम चिंता निज की करें, प्रभु देखे संसार।</p>
<p>जिससे दुनिया का भला, <span>वह करता करतार॥ </span></p>
<p> </p>
<p> </p>
<p>स्वरचित मौलिक रचना। </p>
<p>ओम प्रकाश शर्मा</p>
<p>परीमहल, <span>शिमला-9</span></p>
<p> </p>
<p> </p>दोहेtag:openbooks.ning.com,2021-07-12:5170231:BlogPost:10637552021-07-12T16:00:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<p>(1)</p>
<p>ताला बंदी बाद अब, <span>देखो थोड़ी छूट।</span></p>
<p>भीड़ दिखे अब शहर में, <span>नियम रहे हैं टूट</span>॥</p>
<p>(2)</p>
<p>घटा घिरी घनघोर अब, <span>मन घट धरे न धीर।</span></p>
<p>आओ प्रियतम जल्द तुम, <span>तभी मिटे मम पीर॥ </span></p>
<p><span>( 3)</span></p>
<p>अन्य चुनावों से अधिक, <span>रखना पड़े बचाव।</span></p>
<p>पंचायत के जब निकट, <span>आने लगें चुनाव॥ </span></p>
<p><span>(4)</span></p>
<p>अंकुश वाणी कलम पर, करें न अनुचित बात । </p>
<p>इसमें ही जग का भला , यह ही जग विख्यात…</p>
<p>(1)</p>
<p>ताला बंदी बाद अब, <span>देखो थोड़ी छूट।</span></p>
<p>भीड़ दिखे अब शहर में, <span>नियम रहे हैं टूट</span>॥</p>
<p>(2)</p>
<p>घटा घिरी घनघोर अब, <span>मन घट धरे न धीर।</span></p>
<p>आओ प्रियतम जल्द तुम, <span>तभी मिटे मम पीर॥ </span></p>
<p><span>( 3)</span></p>
<p>अन्य चुनावों से अधिक, <span>रखना पड़े बचाव।</span></p>
<p>पंचायत के जब निकट, <span>आने लगें चुनाव॥ </span></p>
<p><span>(4)</span></p>
<p>अंकुश वाणी कलम पर, करें न अनुचित बात । </p>
<p>इसमें ही जग का भला , यह ही जग विख्यात ॥</p>
<p>(5)</p>
<p>अंतर में पीड़ा धरे , ओंठन से मुस्काय ।</p>
<p>ऐसे नारी हृदय की, थाह कौन ले पाय॥</p>
<p></p>
<p>मौलिक ,अप्रकाशित </p>दोहेtag:openbooks.ning.com,2021-07-04:5170231:BlogPost:10631292021-07-04T18:00:00.000ZOm Parkash Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/OmParkashSharma
<table width="611">
<tbody><tr><td width="516"><p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>अपर्याप्त तो सोचना,<span> </span><span>किए बिना प्रयास।</span></p>
<p>हो प्रयास उसके लिए,<span> </span><span>पूरी तब हो आस॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>इच्छाएँ सीमित रहें,<span> </span><span>दें प्रकृति को मान।</span><br></br> <span>रखें स्वच्छ पर्यावरण</span>,<span> </span><span>धरती स्वर्ग समान॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>तन को ढकने के…</p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table width="611">
<tbody><tr><td width="516"><p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>अपर्याप्त तो सोचना,<span> </span><span>किए बिना प्रयास।</span></p>
<p>हो प्रयास उसके लिए,<span> </span><span>पूरी तब हो आस॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>इच्छाएँ सीमित रहें,<span> </span><span>दें प्रकृति को मान।</span><br/> <span>रखें स्वच्छ पर्यावरण</span>,<span> </span><span>धरती स्वर्ग समान॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>तन को ढकने के लिए,<span> </span><span>सिलते थे परिधान।</span></p>
<p>अब उघाड़ कर अंग को,<span> </span><span>बनते लोग महान</span><span>॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>नहीं क्षेत्र निर्जन रहे,<span> </span><span>सारे है जन मार।</span></p>
<p>चंद्रलोक में चाहते,<span> </span><span>बसता नव संसार॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>नहीं रहे सम्बन्ध वो,<span> </span><span>नहीं पुरानी बात।</span><br/> <span>कोरोना जब से चला</span>,<span> </span><span>बदल गए हालात।।</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>पंसारी सारे बने,<span> </span><span>हल्दी गठ पा आज।</span></p>
<p>संस्कारी मिलते नही,<span> </span><span>सुने कौन आवाज॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>पड़े मुसीबत जब कभी,<span> </span><span>बापू आते याद।</span><br/> <span>सब ही माँ के लाडले</span>,<span> </span><span>बापू भूले बाद॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>बेटा सिर पर बाप के,<span> </span><span>पढ़ बैठा विज्ञान।</span></p>
<p>अब कहता है बाप से,<span> </span><span>चुप रह तू अनजान॥</span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="516"><p>योग करें इस देह में,<span> </span><span>दुर्लभ मिला सुयोग।</span></p>
<p>वृद्धि श्वास में होय जब,<span> </span><span>तन मन बुद्धि निरोग॥</span></p>
<p></p>
<p><span>स्वरचित , मौलिक ,अप्रकाशित </span></p>
<p></p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>