Md. Anis arman's Posts - Open Books Online2024-03-29T13:22:37ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikhhttps://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/3726137683?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1https://openbooks.ning.com/profiles/blog/feed?user=0m2pps6vbjfrx&xn_auth=noग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2023-11-23:5170231:BlogPost:11118192023-11-23T07:09:32.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p></p>
<p>लगता है मेरे प्यारों को पैसा है मेरे पास</p>
<p>सच्चाई पर यही है कि क़र्ज़ा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>ए सी की रहने वाली तू मत प्यार कर मुझे</p>
<p>आवाज़ करता छोटा सा पंखा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>मुझसे बिछड़ के जूड़ा बनाती नहीं है अब</p>
<p>वो लड़की जिसका आज भी गजरा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>पापा ये मुझ से कहते हुए रो पड़े थे कल</p>
<p>कितने दिनों के बाद तू बैठा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>साया दिया था मैंने कड़ी धूप में जिसे</p>
<p>अब सिर्फ़ उसकी याद का साया है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>अब…</p>
<p></p>
<p>लगता है मेरे प्यारों को पैसा है मेरे पास</p>
<p>सच्चाई पर यही है कि क़र्ज़ा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>ए सी की रहने वाली तू मत प्यार कर मुझे</p>
<p>आवाज़ करता छोटा सा पंखा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>मुझसे बिछड़ के जूड़ा बनाती नहीं है अब</p>
<p>वो लड़की जिसका आज भी गजरा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>पापा ये मुझ से कहते हुए रो पड़े थे कल</p>
<p>कितने दिनों के बाद तू बैठा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>साया दिया था मैंने कड़ी धूप में जिसे</p>
<p>अब सिर्फ़ उसकी याद का साया है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>अब मीठी बातें छोड़ भी मुद्दे पे आ ज़रा</p>
<p>तू किस ग़रज़ से चल बता आया है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>नफ़रत के दौर में यहाँ मुझको सुनेगा कौन</p>
<p>अम्न ओ अमान प्यार का नग़्मा है मेरे पास</p>
<p></p>
<p> इक तरह से जो सोचूंँ तो कुछ भी नहीं है पर</p>
<p>इक तरह से जो सोचूंँ तो क्या क्या है मेरे पास</p>
<p></p>
<p>मौलिक</p>
<p>अनीस अरमान </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-12-12:5170231:BlogPost:10748662021-12-12T15:00:00.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">होते न अगर मौला समंदर तेरे खारे</span><br></br> <span style="font-size: 10pt;">अब तक इसे पी जाते सभी प्यास के मारे</span> <br></br></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">कम गिनती में पड़ जाएँ फ़लक के ये सितारे</span> <br></br> <span style="font-size: 10pt;">दिखला दिए हमने जो कभी ज़ख़्म हमारे</span> <br></br></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">मैं ख़ुद को फँसा लेता हूँ तूफ़ान में और फिर</span> <br></br> <span style="font-size: 10pt;">तूफ़ाँ ही मेरी कश्ती…</span></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">होते न अगर मौला समंदर तेरे खारे</span><br/> <span style="font-size: 10pt;">अब तक इसे पी जाते सभी प्यास के मारे</span> <br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">कम गिनती में पड़ जाएँ फ़लक के ये सितारे</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">दिखला दिए हमने जो कभी ज़ख़्म हमारे</span> <br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">मैं ख़ुद को फँसा लेता हूँ तूफ़ान में और फिर</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">तूफ़ाँ ही मेरी कश्ती लगाता है किनारे</span> <br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">इक चाँद मेरे पहलू में सोता है मगर सच</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">रहते हैं ख़यालों में कई जुगनू सितारे</span> <br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">सच बोलूँ तरस आता है अब देख के तुझको</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">क्या हाल बना डाला तेरा इश्क़ ने प्यारे</span><br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">साहिब सभी कहते हैं तो होती है ख़ुशी पर</span> <br/> <span style="font-size: 10pt;">ख़्वाहिश है यही कोई मेरा नाम पुकारे</span> <br/></p>
<p dir="ltr"><span style="font-size: 10pt;">मौलिक अप्रकाशित </span></p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-10-07:5170231:BlogPost:10704842021-10-07T15:12:48.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>22, 22, 22, 22, <br></br>1)कितनी बातें करते हो तुम<br></br> ख़ाली बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)तुमको कोई मरज़ है क्या बस <br></br> अपनी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3) सीधा बंदा हूँ क्यों मुझसे<br></br> उल्टी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)छुप कर मिलने क्यों आऊँ मैं <br></br> ख़ाली बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)होने लगता है कुछ दिल में <br></br> जब भी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6) चाँद सितारों से क्या अब भी <br></br> मेरी बातें करते हो…</p>
<p>22, 22, 22, 22, <br/>1)कितनी बातें करते हो तुम<br/> ख़ाली बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)तुमको कोई मरज़ है क्या बस <br/> अपनी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3) सीधा बंदा हूँ क्यों मुझसे<br/> उल्टी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)छुप कर मिलने क्यों आऊँ मैं <br/> ख़ाली बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)होने लगता है कुछ दिल में <br/> जब भी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6) चाँद सितारों से क्या अब भी <br/> मेरी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>7)काम नहीं करते हो उतना<br/> जितनी बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p></p>
<p>8)चैन मिलेगा कैसे तुमको <br/>गुज़री बातें करते हो तुम</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित </p>
<p></p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-08-05:5170231:BlogPost:10660922021-08-05T04:42:52.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>2122, 2122, 2122</p>
<p><br></br> 1)कर लिया हमने ख़सारा दो मिनट में<br></br> हो गया दिल ये पराया दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)उम्र उसकी राह तकते कट गई है <br></br>आ रहा हूँ कह गया था दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला<br></br> हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक<br></br> पक रहा है आज खाना दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)होती है नाज़ुक बहुत रिश्तों की डोरी <br></br>टूट जाता है भरोसा दो मिनट…</p>
<p>2122, 2122, 2122</p>
<p><br/> 1)कर लिया हमने ख़सारा दो मिनट में<br/> हो गया दिल ये पराया दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)उम्र उसकी राह तकते कट गई है <br/>आ रहा हूँ कह गया था दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला<br/> हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक<br/> पक रहा है आज खाना दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)होती है नाज़ुक बहुत रिश्तों की डोरी <br/>टूट जाता है भरोसा दो मिनट में</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6)लोग कहते हैं 'अनीस' इतना है माहिर <br/>वो बना लेता है अपना दो मिनट में</p>
<p></p>
<p>अनीस अरमान </p>
<p>मौलिक अप्रकाशित </p>नज़्मtag:openbooks.ning.com,2021-07-31:5170231:BlogPost:10650852021-07-31T04:41:13.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p dir="ltr"><br></br> <b>उदास तारा</b> <br></br> 1212, 1122, 1212, 22</p>
<p dir="ltr"><br></br> न बदली छाई थी कोई न कुहरा छाया था<br></br> लपेटे चाँदनी अपनी क़मर भी निकला था </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">सजा था रात सितारों से आसमाँ सारा <br></br> उन्हीं के बीच था गुमसुम उदास इक तारा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">उदास देख उसे दिल मेरा मचलने लगा <br></br> कि बात करने का उससे ख़याल पलने लगा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">बुलाया मैंने इशारे से फिर क़रीब उसे <br></br> कहा बता तू ज़रा हाल ऐ हबीब मुझे …</p>
<p dir="ltr"><br/> <b>उदास तारा</b> <br/> 1212, 1122, 1212, 22</p>
<p dir="ltr"><br/> न बदली छाई थी कोई न कुहरा छाया था<br/> लपेटे चाँदनी अपनी क़मर भी निकला था </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">सजा था रात सितारों से आसमाँ सारा <br/> उन्हीं के बीच था गुमसुम उदास इक तारा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">उदास देख उसे दिल मेरा मचलने लगा <br/> कि बात करने का उससे ख़याल पलने लगा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">बुलाया मैंने इशारे से फिर क़रीब उसे <br/> कहा बता तू ज़रा हाल ऐ हबीब मुझे </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">फ़लक पे चाँद सितारों के पास रहता है <br/> है बात क्या कि तू फिर भी उदास रहता है </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">जो खा रहा है तुझे ग़म ज़रा दिखा तू मुझे <br/> उदास क्यूँ है मेरे यार ये बता तू मुझे </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">ये बात सुनते ही मेरी वो मुस्कुराने लगा <br/> फ़लक का हाल मुझे सारा वो सुनाने लगा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">कहा ये तुम भी ग़लत सोचते हो लगता है <br/> तुम्हें पता नहीं कितना यहाँ अँधेरा है </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">फ़लक पे सब लगे रहते हैं बस चमकने में <br/> न आँसू पोछता है कोई भी सिसकने में </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">कोई न पूछता है ये कि हाल कैसा है <br/> जो पढ़ ले दिल को वो साथी यहाँ न मिलता है </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">फ़लक पे शान से इक तारा जगमगाता था <br/> वो हँसता रहता था सब पर ख़ुशी लुटाता था </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">कल उसका साथ अचानक ही हमसे छूट गया <br/> ख़बर नहीं है किसी को कि क्यूँ वो टूट गया </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">जो ग़म था उसको किसी को बता नहीं पाया <br/> न दर्द उसका किसी को यहाँ नज़र आया </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">मैं अपना दर्द यहाँ किसको अब दिखाऊँगा <br/> क्या मैं भी ऐसे ही इक रोज़ टूट जाऊंगा </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">उदासी चेहरे पे मेरे ये छा रही है जो <br/> यही वो बात है मुझको सता रही है जो </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">समझ के यार मेरे दिल की ये ज़बाँ तुमने <br/> हज़ार शुक्र बचा ली है मेरी जाँ तुमने </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">अगर किसी ने यूँ दिल उसका भी पढ़ा होता <br/> जो टूटा है वो सितारा चमक रहा होता </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">ये सुन के उसको गले से लगा लिया मैंने <br/> पुकार लेना तुम्हें ग़म हो जब कहा मैंने </p>
<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">ये कह के उसको दुबारा से मैंने देखा जब <br/> उदास तारा चमकने लगा था फिर से अब </p>
<p dir="ltr"></p>
<div align="center"><p dir="ltr">उदास तारा चमकने लगा......</p>
<p dir="ltr"></p>
</div>
<p dir="ltr">मौलिक अप्रकाशित </p>
<p dir="ltr">(अनीस अरमान )</p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-07-23:5170231:BlogPost:10643272021-07-23T14:37:37.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>12122, 12122</p>
<p><br></br>1)वो मिलने आता मगर बिज़ी था<br></br>मैं मिलने जाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)था इश्क़ तुझसे मुझे भी यारा<br></br> तुझे बताता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)वो कह रहा था मदद को तेरी<br></br> ज़रूर आता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)मैं दूसरों की तरह जहाँ में <br></br> बहुत कमाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)वो चाहती थी मना लूँ उसको<br></br> है सच मनाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6)फ़लक से तेरे लिए यक़ीनन <br></br> मैं चाँद लाता मगर बिज़ी…</p>
<p>12122, 12122</p>
<p><br/>1)वो मिलने आता मगर बिज़ी था<br/>मैं मिलने जाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)था इश्क़ तुझसे मुझे भी यारा<br/> तुझे बताता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)वो कह रहा था मदद को तेरी<br/> ज़रूर आता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)मैं दूसरों की तरह जहाँ में <br/> बहुत कमाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)वो चाहती थी मना लूँ उसको<br/> है सच मनाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6)फ़लक से तेरे लिए यक़ीनन <br/> मैं चाँद लाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p></p>
<p>7) जो साज़ छेड़ा था मेरे दिल ने <br/> वो गुनगुनाता मगर बिज़ी था</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित </p>
<p>(अनीस अरमान )</p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-07-18:5170231:BlogPost:10639532021-07-18T14:30:00.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>1212, 1122, 1212, 22</p>
<p></p>
<p>1)वो ऐसे लोग जो दुनिया से तेरी ग़ाफ़िल हैं <br></br> मेरी नज़र में वही आज सबसे आक़िल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)ये उसके सामने इक़रार करना चाहता हूँ <br></br> रक़ीब सारे मेरी जान मुझसे क़ाबिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3) हमारे मुल्क में है मसअला यही इक बस<br></br> पढ़े लिखे भी बहुत से यहाँ के जाहिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)हकीम बेबसी मँहगी दवा सियासतदाँ <br></br> यही हैं वो जो मेरी ज़िन्दगी के क़ातिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)मैं जिनके वास्ते दुनिया से लड़ने निकला हूँ …<br></br></p>
<p>1212, 1122, 1212, 22</p>
<p></p>
<p>1)वो ऐसे लोग जो दुनिया से तेरी ग़ाफ़िल हैं <br/> मेरी नज़र में वही आज सबसे आक़िल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)ये उसके सामने इक़रार करना चाहता हूँ <br/> रक़ीब सारे मेरी जान मुझसे क़ाबिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3) हमारे मुल्क में है मसअला यही इक बस<br/> पढ़े लिखे भी बहुत से यहाँ के जाहिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)हकीम बेबसी मँहगी दवा सियासतदाँ <br/> यही हैं वो जो मेरी ज़िन्दगी के क़ातिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5)मैं जिनके वास्ते दुनिया से लड़ने निकला हूँ <br/> वो दुश्मनो की सफ़ो में हैं और मुक़ाबिल हैं</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6)"अनीस " क्या दें हम इल्ज़ाम इस ज़माने को<br/> हम इस के साथ तबाही में अपनी शामिल हैं</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित </p>
<p>(अनीस अरमान )</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-07-15:5170231:BlogPost:10639242021-07-15T05:20:28.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>221, 2122, 221, 2122<br></br>1)इन आँसुओं की इक दिन तासीर बोल उठेगी<br></br>ग़म देख मेरा तेरी तस्वीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)जो हाल -ए -दिल हम अपना लिख दें कभी क़लम से <br></br>रोने लगेगा काग़ज़ तहरीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)ईमान पुख़्ता रख और हिम्मत से काम ले तू <br></br>फिर देख कैसे तेरी तक़दीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)पूछोगे प्यार से तुम जब हाल- ए- दिल हमारा <br></br> हर ज़ख़्म जी उठेगा हर पीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5) इतना ग़लत भी मत कर ये इल्तिजा है तुझसे<br></br> वर्ना तू देख…</p>
<p>221, 2122, 221, 2122<br/>1)इन आँसुओं की इक दिन तासीर बोल उठेगी<br/>ग़म देख मेरा तेरी तस्वीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>2)जो हाल -ए -दिल हम अपना लिख दें कभी क़लम से <br/>रोने लगेगा काग़ज़ तहरीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>3)ईमान पुख़्ता रख और हिम्मत से काम ले तू <br/>फिर देख कैसे तेरी तक़दीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>4)पूछोगे प्यार से तुम जब हाल- ए- दिल हमारा <br/> हर ज़ख़्म जी उठेगा हर पीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>5) इतना ग़लत भी मत कर ये इल्तिजा है तुझसे<br/> वर्ना तू देख मेरी शमशीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>6)महशर में साथ तेरा कोई न देगा प्यारे <br/>तेरे ख़िलाफ़ तेरी जागीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>7)मजनूँ के जैसा हूँ मैं बोलेंगे सारे पत्थर<br/> फ़रहाद सा है ये जू ए शीर बोल उठेगी</p>
<p></p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p>
<p>(अनीस अरमान )</p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-07-11:5170231:BlogPost:10637412021-07-11T07:30:00.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>1212, 1122, 1212, 22</p>
<p><br></br> 1)तेरे जमाल के मारों से गुफ़्तगू की है<br></br> तमाम रात सितारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>2)है तेरे हुस्न से ख़तरे में हर चमन का वजूद<br></br> गुलों ने डर के बहारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>3)उदास टूटे मेरे दिल ने आज सारी रात <br></br> मेरे मकाँ की दरारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>4) मुदावा हो गया मेरे सभी ग़मों का आज<br></br> ज़माने बाद जो यारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>5)मिला नहीं है हमें अब तलक कोई तुमसा<br></br> जहाँ में हमने हज़ारों से गुफ़्तगू की…</p>
<p>1212, 1122, 1212, 22</p>
<p><br/> 1)तेरे जमाल के मारों से गुफ़्तगू की है<br/> तमाम रात सितारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>2)है तेरे हुस्न से ख़तरे में हर चमन का वजूद<br/> गुलों ने डर के बहारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>3)उदास टूटे मेरे दिल ने आज सारी रात <br/> मेरे मकाँ की दरारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>4) मुदावा हो गया मेरे सभी ग़मों का आज<br/> ज़माने बाद जो यारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>5)मिला नहीं है हमें अब तलक कोई तुमसा<br/> जहाँ में हमने हज़ारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>6)ज़रा जो आँख दिखाई है शम्स ने देखो<br/> नदी ने कैसे किनारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>7)दिखा रहे हैं ये जुगनू ग़ुरूर आज उसे<br/> वो जिसने चाँद सितारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>8)"अनीस" दर्द ही मिलता है गुल की क़ुर्बत से<br/> खुला ये राज़ जो ख़ारों से गुफ़्तगू की है</p>
<p></p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2021-07-08:5170231:BlogPost:10634662021-07-08T07:30:00.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p>2122, 1122, 1122, 22</p>
<p></p>
<p>है दुआ तुझसे यूँ चमका दे मुक़द्दर मौला<br></br> कर दे ईमाँ से मेरे दिल को मुनव्वर मौला</p>
<p></p>
<p>अबरहा चल पड़ा है आज सितम ढाने को <br></br> भेज दे फिर से अबाबीलों का लश्कर मौला</p>
<p></p>
<p>मोड़ कर पैरों को सीने से लगा रक्खा है<br></br> फिर भी छोटी ही पड़े मेरी ये चादर मौला</p>
<p></p>
<p>होंगी कितनी हसीं जन्नत की वो हूरें आख़िर <br></br> सोचता रहता हूँ ये बात मैं अक्सर मौला</p>
<p></p>
<p>ज़िन्दगी कट तो गयी पर मैं जिसे अपना कहूँ<br></br> ऐसा इक पल न हुआ मुझ को मयस्सर…</p>
<p>2122, 1122, 1122, 22</p>
<p></p>
<p>है दुआ तुझसे यूँ चमका दे मुक़द्दर मौला<br/> कर दे ईमाँ से मेरे दिल को मुनव्वर मौला</p>
<p></p>
<p>अबरहा चल पड़ा है आज सितम ढाने को <br/> भेज दे फिर से अबाबीलों का लश्कर मौला</p>
<p></p>
<p>मोड़ कर पैरों को सीने से लगा रक्खा है<br/> फिर भी छोटी ही पड़े मेरी ये चादर मौला</p>
<p></p>
<p>होंगी कितनी हसीं जन्नत की वो हूरें आख़िर <br/> सोचता रहता हूँ ये बात मैं अक्सर मौला</p>
<p></p>
<p>ज़िन्दगी कट तो गयी पर मैं जिसे अपना कहूँ<br/> ऐसा इक पल न हुआ मुझ को मयस्सर मौला</p>
<p></p>
<p>इतनी दुश्वारियाँ आती हैं मेरी राहों में<br/> लगने लगता है मुझे दरिया समंदर मौला</p>
<p></p>
<p>मेरे अशआर हुकूमत करें सब के दिल पर<br/> तू बना दे मुझे इक ऐसा सुख़नवर मौला</p>
<p></p>
<p>मौलिक और अप्रकाशित</p>
<p></p>ग़ज़लtag:openbooks.ning.com,2019-01-05:5170231:BlogPost:9683702019-01-05T11:00:00.000ZMd. Anis armanhttps://openbooks.ning.com/profile/Mdanissheikh
<p><span style="font-size: 14pt;">२१२२,२१२२,२१२२,२१२</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">दिल मुहब्बत,लब ख़ुशी,चेह्रा हसीं,क्या शान है</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">लग रहा है मुझको तेरा नाम हिंदुस्तान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">छत टपकती ,फर्श मिट्टी का ,मकाँ कच्चा सही</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आज़मा ले तू ,बहुत पक्का मेरा ईमान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">चाँद कल गुमसुम खड़ा था ,देख कर…</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">२१२२,२१२२,२१२२,२१२</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">दिल मुहब्बत,लब ख़ुशी,चेह्रा हसीं,क्या शान है</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">लग रहा है मुझको तेरा नाम हिंदुस्तान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">छत टपकती ,फर्श मिट्टी का ,मकाँ कच्चा सही</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आज़मा ले तू ,बहुत पक्का मेरा ईमान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">चाँद कल गुमसुम खड़ा था ,देख कर चेहरा तेरा</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आज लगता है मुझे सूरज भी कुछ हैरान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">मै मना कैसे करूँ ,उसकी किसी भी बात को</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">नर्म लहजा साथ में इक मद भरी मुस्कान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">हादिसे अखबार के बस पेज भरते हैं यहां</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">कुछ बदलता ही नहीं ,क्यूँ इतनी सस्ती जान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">हार जाये ग़र यहां सच झूट से हैरत न कर</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">आँख पर पट्टी बंधी है , हाथ में मीज़ान है |</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">याद करके मै न तड़पूँगा तुझे सुन बेवफा</span></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">जा मुझे तू छोड़ जा इसमें तेरा नुकसान है|</span></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 14pt;">मौलिक अप्रकाशित</span></p>
<p></p>
<p></p>