कभी मैं बन ओंस की बूंद
मोती बन बिखर जाता हूँ
मोहकता की छवि बना
मुस्कान चेहरे पर लाता हूँ||
कभी तपता भानु के तप में
और भाप बन उड जाता हूँ
काले घने मैं बादल बन
मैं बरसता, भू-धरा की प्यास बूझाता हूँ||
कभी बन आँसू के मोती
कभी खुशी में मैं छ्लक आता हूँ
कभी दुख में बह कर के मैं
भावुकता को दर्शाता हूँ||
बेरंग हूँ, पर हर रूप में ढलता
जिसमे मिलता उसका रूप अपनाता हूँ
निश्चित हो, बस आगे बढ़ता
खुद अपन…