This poem is not written by me......This is my one of favourite poem
एक ‘था’ और एक ‘थी’
‘था’ ने ‘थी’ से मोहब्बत की
अफसाना हो गया
दुश्मन सारा जमाना हो गया।
गली गली
उन्ही दो नामो के चर्चे
दिवारो पर
उन्ही दो नामो के पर्चे
‘थी’ बेचारी क्या करे
जिये की मरे
कह ना सकी
सह ना सकी
मर गयी,
एक बहुत लम्बी याञा
एक हिचकी मे
तय कर गयी
‘था’ को ना जाने क्या हो गया
उसे लगा जैसे सब खो गया
बेसुध सा रहने लगा
और
ज…