आदरणीय चन्द्र शेखर पाण्डेय जी की ग़ज़ल से प्रेरित एक फिलबदी ग़ज़ल ....
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ये कैसी पहचान बनाए बैठे हैं गूंगे को सुल्तान बनाए बैठे हैं मैडम बोलीं आज बनाएँगे सब घर बच्चे हिन्दुस्तान बनाए बैठे हैं
आईनों पर क्या गुजरी, क्यों सब के सब,
पत्थर को भगवान बनाए बैठे हैं
धूप का चर्चा फिर संसद में गूंजा है हम सब रौशनदान बनाए बैठे हैं
जंग न होगी तो होगा नुक्सान बहुत हम कितना सामान बन…