सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध तेरी मेरी मित्रता स्नेहसिक्त सम्बन्ध मित्र सरीखा कौन है, इस दुनिया में मर्द बाँट सके जो दर्द को बन कर के हमदर्द मीत बनो तो यूँ बनो, जैसे शिव और राम इक दूजे का रात दिन, जपे निरन्तर नाम मेरी हर शुभकामना, फले तुझे ऐ यार यश धन बल आरोग्य से, दमके घर संसार चाहे दुःख का रुदन हो, चाहे…