जो समझते हैं वे जमे पड़े हैं , ये ख्याल है उनका , सच में तो वे केवल पड़े हैं। .........1 .
छत पड़ी भी नहीं और बुनियाद खिसक रही है , वो महल बनाने चले थे कितनों की झोपड़ी भी उजड़ गई , लोग फिसल रहे हैं या उनके पैरों के नीचे जमीन खिसक रही है। ......... 2 .
यूँ ही सफर में ही गुजर जाए , जिंदगी अच्छा है , जिनकी तलाश हो वो मंजिलों पे मिला नहीं करते ll ......... 3 .
मौलिक एवं अप्रकाशित