जब-जब कालिख सने समय के,पन्ने खोले जाएंगेमानवता पर लगे ग्रहण को,सीधा याद दिलाएंगे।
आफत को जो अवसर मानें,लाभ कमाने बैठे हैंअन्तस् को बस मार दिया है,हठ में अपनी ऐंठे हैंआज हवा और दवा सब पर,जिनका पूरा कब्जा हैजान छीनने के कामों को,ही करने का जज़्बा है।उनके सारे कर्म आज के,सदा ही मुँह चिढाएंगे।जब-जब कालिख सने समय के,पन्ने खोले जाएंगे।
कुर्सी का लालच कुर्सी कामद अब जिन पर छाया हैजिनके दुष्कृत्यों के क…