चित्र से काव्य तक

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'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ योजन है।.   

 

छंद का नाम  -  सार छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

16 अगस्त’ 25 दिन शनिवार से

17 अगस्त 25 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

सार छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 16 अगस्त’ 25 दिन शनिवार से 17 अगस्त 25 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

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    Chetan Prakash

    भारती का लाड़ला है वो

    भारत रखवाला है !

    उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा, 

    उड़ता ध्वज तिरंगा 

    वीर जवानों के दिल बसता

    चोटी  फहराता है

    भारत माँ की आन-बान है

    सबको याद दिलाता 

    स्वतंत्रता की जननी है यह

    वीरों का आभूषण 

    वीर सपूतों का है आग्रह 

    कि जिगरी दोस्त शासन

    दिल में रहता सबके भारत 

    अरि  को थर्राता  है !

    कारगिल से पाक दौड़ाया 

    ढाढस हमें बँधाता 

    बर्फीली चोटियों तिरंगा

    वीरों का जोश बढ़ाता 

    हिम्मत तो उनकी थाती है

    ध्वज याद  लाता है

    मौलिक व अप्रकाशित 

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      अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

      सार छंद

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      धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।                                                                                                    किन्तु बगल में छुरी दबाकर, वार पीठ पर करता॥

      हर आतंकी पाकिस्तानी. बाज कभी ना आते।                                                                                                    क्षेत्र कारगिल को हथियाने, पर्वत पर चढ़ जाते।

      सजग हुई भारत की सेना,  कुछ दिन चली लड़ाई।                                                                                              जिस शुभ तिथि को विजय मिली वो, थी छब्बीस जुलाई॥

      नमन शहीदों को तन मन से, और सभी वीरों को।                                                                                                पर्वतीय क्षेत्रों में लड़ते, ऐसे रणधीरों को॥

      शेर दिलों का साहस देखो, तुंग गिरि पे चढ़े हैं।                                                                                                    पवन चीर लहराते झंडे, नभ के बीच खड़े हैं॥

      जहाँ शान से लहराता है, ध्वजा तिरंगा प्यारा।                                                                                                    याद करो उन वीरों को जिसने, चोटी पर फहराया॥

      कारगिल से कन्याकुमारी, भारत एक रहेगा।                                                                                                      बड़ी शक्तियों के आगे भी, देश कभी न झुकेगा॥

       

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      मौलिक अप्रकाशित

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