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आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ उनहत्तरवाँ आयोजन है।.
छंद का नाम - कुण्डलिया छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
19 जुलाई’ 25 दिन शनिवार से
20 जुलाई’ 25 दिन रविवार तक
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
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जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 19 जुलाई’ 25 दिन शनिवार से 20 जुलाई’ 25 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं।
अति आवश्यक सूचना :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Chetan Prakash
रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।
टप - टप बूंदें आ गिरी, बादलों से प्रभात ।।
बादलों से प्रभात, घूमते शिमला सैलानी ।
छाते लेकर हाथ, साथ सजनी जेठानी ।।
बाज रहा संगीत , बूंद बूंद अभी मद्धिम ।
साथ मधुरता साज, हो रही वर्षा रिमझिम। ।
Jul 19
Ashok Kumar Raktale
कुण्डलिया
*
पानी-पानी हो गया, जब आयी बरसात।
सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।।
दिवस हुआ है रात, नज़र भी कम-कम आता।
भागे जाते लोग, खोलकर सिर पर छाता।
उड़कर आती बूँद, लगे हर एक सुहानी।
भीगी जाती देह, हुई है पानी-पानी।
*
भूलें भी कैसे उसे, जब आती बरसात।
बातों-बातों में निकल, आती उसकी बात।।
आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा।
वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा।
देख सामने होंठ, चाहते उसको छू लें।
पीकर हम दो घूँट, सभी कुछ पलभर भूलें।।
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~ मौलिक/ अप्रकाशित.
Jul 19
pratibha pande
कुण्डलिया छंद
Jul 20