नन्हीं चींटी
श्रमजीवी नन्हीं चींटी को
दीवारों पर चढ़ते देखा
रेखाओं सी तरल सरल को
बाधाओं से लड़ते देखा ll
श्रमित न होती भ्रमित न होती
आशाओं की लड़ी पिरोती
कभी फिसलती कभी लुढ़कती
गिर गिर कर पग आगे रखती ll
सहोत्साह नित प्रणत भाव से
दुर्धर पथ पर बढ़ते देखा ll
मन में नहीं हार का भय है
साहस धैर्य भरा निर्णय है
लाख गमों को दरकिनार कर
एक लक्ष्य जाना है ऊपर ll
झंझावातों पथ काँटो से
बारम्बार गुजरते देखा ll
हमें सीख देती है प्रतिपल
निश्छल कर्म करें हम अविरल
नीचे गिरकर ना घबराएं
मन में दृढ़ संकल्प जगाएं ll
हिम्मत से जो सदा काम ले
पल में उसे उबरते देखा
मुश्किल राह सँवरते देखा ll
मौलिक एवं अप्रकाशित
Shyam Narain Verma
May 30, 2018
डॉ छोटेलाल सिंह
आदरणीय वर्मा जी आपके उत्साह वर्धन से मन खुश हुआ आपको दिल से धन्यवाद सादर
May 31, 2018
Mohammed Arif
आदरणीय छोटे लाल जी आदाब,
नन्हीं चींटी के माध्यम से सकारात्मक सोच का संदेश देती अच्छी रचना । मुझे अपनी प्राथमिक पाठशाला की कविता की याद आ गई । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Jun 1, 2018