ग़ज़ल (सबसे रहे ये ऊँची मन में हमारी हिन्दी)

भाषा बड़ी है प्यारी जग में अनोखी हिन्दी,
चन्दा के जैसे सोहे नभ में निराली हिन्दी।

पहचान हमको देती सबसे अलग ये जग में,
मीठी जगत में सबसे रस की पिटारी हिन्दी।

हर श्वास में ये बसती हर आह से ये निकले,
बन के लहू ये बहती रग में ये प्यारी हिन्दी।

इस देश में है भाषा मजहब अनेकों प्रचलित,
धुन एकता की डाले सब में सुहानी हिन्दी।

शोभा हमारी इससे करते 'नमन' हम इसको,
सबसे रहे ये ऊँची मन में हमारी हिन्दी।


आज हिन्दी दिवस पर
22 122 22 // 22 122 22 बहर में

मौलिक व अप्रकाशित

  • Ravindra Pandey

    बन के लहू ये.......

    अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    हार्दिक बधाई स्वीकार करें...

  • KALPANA BHATT ('रौनक़')

    सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय | बधाई स्वीकारें |

  • Afroz 'sahr'

    आदरणीय वासुदेव जी हिंदी को समर्पित सुंदर अभिव्यक्ती बहुत बधाई!
  • Niraj Kumar

    आदरणीय बासुदेव जी, 

    हिंदी दिवस पर हिंदी पर ग़ज़ल के लिए हार्दिक धन्यवाद. 

    एक जिज्ञासा ये कि ये बह्र कौन सी है?

    सादर 

  • Samar kabeer

    जनाब बासुदेव अग्रवाल'नमन'जी आदाब,हिन्दी दिवस पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन जो अरकान आपने लिखे हैं उन्हें निभाना आसान काम नहीं,ख़ैर इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    हार्दिक बधाई
  • अलका 'कृष्णांशी'

    सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई आदरणीय

  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

    आ0 समर कबीर जी आपका हृदय से आभार। मुझे लय और मात्राओं में कहीं नुस्ख नज़र नहीं आया यदि कहीं आप बताते तो बात समझ में आती।
  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

    आ0 नीरज कुमारजी आपका बहुत धन्यवाद।
    ग़ज़ल की बहर
    22 122 22 // 22 122 22 बहर में
  • Niraj Kumar

    आदरणीय बासुदेव जी,

    अरकान तो मैंने देख लिए थे मेरा मतलब इस बह्र के नाम से था. अरकान देखने से यह मुतकारिब मुसद्दस मुजायफ़ की कोई महजूफ बह्र लगती है लेकिन मुतकारिब मुसद्दस की कोई महजूफ बह्र मेरी जानकारी में ऐसी नहीं है जिसके अरकानों का क्रम ऐसा हो. 

    सादर 

  • बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

    आ0 नीरज कुमार जी इस बहर में मैंने कुछ रचनाएँ देखी थी। लय अच्छी लगी तो हिन्दी की महिमा में यह एक रचना अगले साल लिखी थी जब मुझे बहर आदि के विषय में नहीं के बराबर जानकारी थी।
    यह शायद स्टेंडर्ड बहरों में से नहीं है।
  • Niraj Kumar

    आदरणीय बासुदेव जी,

    मैंने अपनी जानकारी के लिए पूछा था शायद जनाब समर कबीर साहब कुछ प्रकाश डाल सकें.

    सादर