तर्क-ए-वफ़ा का जब कभी इल्ज़ाम आएगा
हर बार मुझ से पहले तेरा नाम आएगा.
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अच्छा हुआ जो टूट गया दिल तेरे लिए
वैसे भी तय नहीं था कि किस काम आएगा.
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अब रात घिर चुकी है इसे लौट जाने दे
यादों का क़ाफ़िला तो हर इक शाम आएगा.`
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उर्दू की बज़्म में कभी हिन्दी चला के देख
तेरे कलाम में नया आयाम आएगा.
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उस सुब’ह धमनियों में ठहर जाएगा ख़िराम
जिस भोर मेरे नाम का पैग़ाम आएगा.
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करने लगूँगा रक्स सितारों के दरमियाँ
घर पर पहुँच के “नूर” को आराम आएगा.
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निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित
Nilesh Shevgaonkar
शुक्रिया आ. रूपम जी,
आपके लिए आज का टास्क है कि इस बह्र के अरकान लिखें..इससे आप की भी प्रैक्टिस हो जाएगी.
चला के देख इस्लियेकाहा कि किसी ने कह दिया था की नहीं चलता :)
सादर
Sep 27, 2020
Nilesh Shevgaonkar
शुक्रिया आ. दण्डपाणी जी
आभार
Sep 27, 2020
Samar kabeer
जनाब निलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।
'तेरे कलाम में नया आयाम आएगा'
इस मिसरे में 'आयाम' किस भाषा का शब्द है,और इसका अर्थ क्या है? बताने का कष्ट करें ।
'करने लगूँगा रक्स सितारों के दरमियाँ
घर पर पहुँच के “नूर” को आराम आएगा'
मक़्ते के दोनों मिसरों में मुझे रब्त महसूस नहीं हुआ, और 'घर' के साथ 'पर' का प्रयोग भी उचित नहीं लगा, इस पर प्रकाश डालें ।
'उस सुब’ह धमनियों में ठहर जाएगा ख़िराम'
इस मिसरे में 'ख़िराम' का अर्थ नाज़-ओ-अदा की चाल,मटक चाल होता है,मगर इस अर्थ से मिसरा समझ नहीं आ रहा है ।
Sep 28, 2020
Nilesh Shevgaonkar
आ. समर सर,
आयाम हिन्दी का शब्द है , जैसा ऊला में कहा गया है... और आयाम का अर्थ होता है डायमेंशन ..
चूँकि नूर का घर सितारों में है इसलिए उसे वहीं चैन आएगा वो वहीँ ख़ुश होगा.. घर पर में पर वाली चिंता दुरुस्त है ..कुछ सोचता हूँ..
ख़िराम का अर्थ जहाँ तक मैंने समझा है वो चाल, गति रफ़्तार ग्रेसफुल walk आदि भी है अत: मेरे हिसाब से ये दुरुस्त है .
सादर
Sep 28, 2020
सालिक गणवीर
मुहतरम ' नूर ' साहेब
क्या ग़ज़ल कही है आपने. वाह.सराहना के लिये शब्द नहीं. वाआआआह.
दूसरे शैर के सानी में "कि" चुभ रहा है. "ये" लिखें तो काम बन सकता है,आदरणीय.
Sep 28, 2020
Dimple Sharma
आदरणीय नीलेश जी नमस्ते, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें, उर्दू की बज़्म में.. वाह बहुत ख़ूब आदरणीय,ये शेर बहुत सादा और बहुत ख़ूब हुआ है बधाई आपको।
Sep 29, 2020
Nilesh Shevgaonkar
शुक्रिया आ. सालिक गणवीर जी,
आप की बात से पहले भी मैं ये और कि पर बहुत कुछ सोच रहा था। अस्ल में अब भी सोच रहा हूँ। कुछ नए शब्द भी हैं जिनसे तरक़ीब बदल सकती है। सोचता हूँ।
आपका बहुत धन्यवाद।
Sep 29, 2020