ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के मशहूर शायर सलीम सिद्दीक़ी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है।तरही मिसरा है:“दर्द कम है मगर मिटा तो नहीं”बह्र…See More
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क्या खोया क्या पाया हमने
बीता वर्ष सहेजा हमने !
बस इक चहरा खोया हमने
चहरा वो प्यारा हँसता था
जोश सभी में वो भरता था
होश जवानों को रखता था
बच्चों को भी मस्त रखे…"
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के वैन्यासिक उच्चारण पर पुनर्चिंतन किया. वस्तुतः, कई विद्वान रचनाकार विदेसज या तत्सम शब्दों के विन्यास…"
आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में…See More
१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून लिखते किताबों में हम।१। * हमें मौत रचने से फुरसत नहीं न शामिल हुए यूँ जनाजों में हम।२। * हमारे बिना यह सियासत कहाँ जवाबों में हम हैं…See More