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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार एकसठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  20 मई 2016 दिन शुक्रवार से  21 मई  2016 दिन शनिवार तक

 

इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द और कुण्डलिया छन्द

  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

 

इन छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

 

इन छन्दों में से दोहा छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

 

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 मई 2016 दिन शुक्रवार से  21 मई  2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

बहुत शानदार कुंडलियाँ छंद आदरणीय 

जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,दोनों कुदलुया छन्द शानदार और असर दार हुए हैं,प्रदत्त चित्र पर इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
बहुत सुंदर। पहली रचना में पीड़ित बालक व समाज के लिए प्रभु से प्रार्थना व दूसरी में संदेश सम्प्रेषण बेहतरीन कृति में हुआ है। चित्र व छंदोत्सव को नया रुख़ देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय रवि शुक्ल जी।

प्यासा बालक है बहुत, नल है बिन जल-धार।
मुश्किल कैसी आ गई, करो प्रभो! उपकार।

वाह क्या बात है आदरणीय शुक्ला जी अति सुंदर ... प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर प्रस्तुति हुई है ... हार्दिक बधाई सर।

कभी नल में था पानी ! इस पंक्ति ने रूह तक को हिला दिया आदरणीय रवि भाई जी । 

हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ इस अत्यंत संप्रेष्य छन्द पर ! 

सादर 

प्यासे बालक के लिए, जागा बढ़िया प्यार 

जूझ-सूख में बोलिए लेकिन तुक क्या यार 

लेकिन तुक क्या यार, कहें हम चाहे जितना 

भाव सुगढ़ सरकार हुआ मन कायल अपना 

बहुत बधाई आप लीजिये छंद सुवासा

हमन यही दरकार रहे ना बालक प्यासा 

ये पकड़ा !!!

:-)))

ग़ज़लगो को ऐसी छूट उचित नहीं .. 

हा हा हा..

हा हा हा 

बोली है जो आपने,है सोलह आने बात
बिन पानी के तो मिले,जीवन को भी मात
जीवन को भी मात,समझ ये सबको आये
फिर जानें बस राम,नीर क्यों खुला बहाये
तप्त घड़ी में आज,कभी जो टोंटी खोली
ना है पानी पास,हवा ही खाली बोली।

बहुत बहुत बधाई आदरणीय रवि शुक्ल जी
जनाब सुधेंदु ओझा साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर बढ़िया कुंडलिया छन्द लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
वाह, क्षेत्रीय भाषा में बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी। कुछ विषम चरणों में त्रुटियों की संभावना है। /आस/ व /प्यास/ में 21 ले लिया है 22 के स्थान पर। /प्यास/ का चयन ही ग़लत रहा है। /आस/ को आशा व /प्यास/ को प्यासा करके देखिए। या इसी बावरी वाले भाव को बरकरार रखते हुए कुछ और।
अंत में नाम, स्थान वगैरह लिखने की मनाही है यहाँ।
// निपट, झूरै नलहिं लिपट, जलहिं मनावे प्रान॥// ??? मनावे= बचावे?
क्षमा करें मैं स्वयं को साहित्यकार भला क्यूँ समझूंगा, मैं तो प्रि-नर्सरी में लेखन सीख रहा हूँ। मुझे अवधी या ब्रज भाषा की पहचान समझ न होने के कारण आपकी रचना पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। जानकारी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। लेकिन यदि आप अपनी जवाबी टिप्पणी में आरंभिक पंक्तियों में "व्यक्तिगत टिप्पणी या व्यंग्य न करते तो कितना अच्छा होता। मुझे ये शब्द व यह अनुभव बहुत बुरा लगा है। क्षमा कीजिएगा आदरणीय सुधेन्दु ओझा जी।

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