"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 133 - Open Books Online2024-03-29T05:25:51Zhttps://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/133?commentId=5170231%3AComment%3A1083936&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अशोक भाईजी,
आपने प्रद…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10839022022-05-22T18:47:14.529ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, </p>
<p>आपने प्रदत्त छंद के विन्यास को जिस सुगढ़ता से साधा है, वह श्लाघनीय है. </p>
<p>आ० अखिलेश भाई के सुझाव अनुकरणीय हैं</p>
<p>सादर</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, </p>
<p>आपने प्रदत्त छंद के विन्यास को जिस सुगढ़ता से साधा है, वह श्लाघनीय है. </p>
<p>आ० अखिलेश भाई के सुझाव अनुकरणीय हैं</p>
<p>सादर</p>
<p>शुभ-शुभ</p> अद्भुत !
आदरणीय दिनेश विश्वक…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10837922022-05-22T18:41:46.329ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अद्भुत ! </p>
<p>आदरणीय दिनेश विश्वकर्माजी, आपकी छांजसिक रचना ने चकित किया है. आपकी प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद और अशेष बधाइयाँ</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p>अद्भुत ! </p>
<p>आदरणीय दिनेश विश्वकर्माजी, आपकी छांजसिक रचना ने चकित किया है. आपकी प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद और अशेष बधाइयाँ</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आने क…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10839012022-05-22T18:36:16.176ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आने कामरूप छंद की मात्राओं के अनुसार पंक्तियों को साध तो लिया है, लेकिन गेयता को सहज रखने में कई जगह चूक गये हैं. </p>
<p>कामरूप की मात्रिकता 9-7-10<em> </em>होने के बावजूद विन्यास 22122 2122 2122 21 पर सधता है. यह कोई नियम नहीं है. लेकिन गेयता सतत प्रयास की चीज है. उस आधार पर मैं भी निवेदन कर रहा हूँ.</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आने कामरूप छंद की मात्राओं के अनुसार पंक्तियों को साध तो लिया है, लेकिन गेयता को सहज रखने में कई जगह चूक गये हैं. </p>
<p>कामरूप की मात्रिकता 9-7-10<em> </em>होने के बावजूद विन्यास 22122 2122 2122 21 पर सधता है. यह कोई नियम नहीं है. लेकिन गेयता सतत प्रयास की चीज है. उस आधार पर मैं भी निवेदन कर रहा हूँ.</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p> वाह वाह, आदरणीय अखिलेश भाईजी.…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10839002022-05-22T18:27:17.081ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह, आदरणीय अखिलेश भाईजी.</p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>वाह वाह, आदरणीय अखिलेश भाईजी.</p>
<p>हार्दिक बधाई </p> आदरणीय अशोक भाईजी
प्रशंसा के…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10840532022-05-22T17:32:51.902Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय अशोक भाईजी</span></p>
<p><span>प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका</span></p>
<p><span>आदरणीय अशोक भाईजी</span></p>
<p><span>प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका</span></p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10839402022-05-22T17:29:46.260ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. आपके दोनों ही सुझाव उत्तम है. सादर.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. आपके दोनों ही सुझाव उत्तम है. सादर.</p>
<p></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10837912022-05-22T17:29:40.225ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर.</p> आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10838992022-05-22T17:26:20.794ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, प्रदत्त चित्र पर पाँचों छंद आपने. तालिबान इतिहास पर सुन्दर रचे हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर </p>
<p></p>
<p>आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, प्रदत्त चित्र पर पाँचों छंद आपने. तालिबान इतिहास पर सुन्दर रचे हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर </p>
<p></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10838982022-05-22T17:21:12.823ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र अनुसार प्रथम छंद में चित्र को परिभाषित किया है तो दूसरे में तालिबान की मनःस्थिति का वर्णन और तृतीय में सन्देश. तीनों ही छंद सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर </p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र अनुसार प्रथम छंद में चित्र को परिभाषित किया है तो दूसरे में तालिबान की मनःस्थिति का वर्णन और तृतीय में सन्देश. तीनों ही छंद सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर </p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:openbooks.ning.com,2022-05-22:5170231:Comment:10840522022-05-22T17:01:30.869ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र अनुरूप सुन्दर कामरूप छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. द्वितीय छंद के अंतिम चरण में अखियाँ कि वर्तनी देख लें. सादर </span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र अनुरूप सुन्दर कामरूप छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. द्वितीय छंद के अंतिम चरण में अखियाँ कि वर्तनी देख लें. सादर </span></p>