"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-129 - Open Books Online2024-03-29T12:12:00Zhttps://openbooks.ning.com/group/pop/forum/topics/129?commentId=5170231%3AComment%3A1077743&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अशोक भाईजी, संयत, सहज…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10779212022-01-23T18:29:26.277ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, संयत, सहज और सार्थक छंद-प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>अंतिम शब्द मानों इस सुंदर छंद-प्रस्तुति पर दोष का दिठौना बन कर आया है. 'पाएँ' वस्तुत: शुद्धाक्षरी है. वैसे हमें पूरा भान है कि यह टंकण-त्रुटि है. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, संयत, सहज और सार्थक छंद-प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>अंतिम शब्द मानों इस सुंदर छंद-प्रस्तुति पर दोष का दिठौना बन कर आया है. 'पाएँ' वस्तुत: शुद्धाक्षरी है. वैसे हमें पूरा भान है कि यह टंकण-त्रुटि है. </p>
<p>जय-जय </p>
<p></p> आपका आयोजन में सहर्ष स्वागत ह…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10776662022-01-23T18:24:20.763ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपका आयोजन में सहर्ष स्वागत है, आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी. </p>
<p>संलग्नता बनाए रखें. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p>आपका आयोजन में सहर्ष स्वागत है, आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी. </p>
<p>संलग्नता बनाए रखें. </p>
<p>शुभातिशुभ </p> वाह वाह वाह !
आदरणीया प्रतिभ…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10779202022-01-23T18:22:09.963ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीया प्रतिभाजी, आपके गीत का यह आयोजन सहर्ष स्वागत करता है. जिस सहज ढंग से कुकुभ छंदाधारिक यह गीत प्रवहमान हो रहा है, वह प्रशंसनीय है.</p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>आदरणीया प्रतिभाजी, आपके गीत का यह आयोजन सहर्ष स्वागत करता है. जिस सहज ढंग से कुकुभ छंदाधारिक यह गीत प्रवहमान हो रहा है, वह प्रशंसनीय है.</p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p> आदरणीय चेतन प्रकाशजी, आपकी प्…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10776642022-01-23T18:17:03.135ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय चेतन प्रकाशजी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद. आपकी संलग्नता आश्वस्त करती है. </p>
<p></p>
<p><span>सूर्य उत्तरायण होते अब, भाग्य हमारा भी चमके</span><br/><span>उन्नति हो चहुँदिशा भारती,सकल विश्व हमसे महके </span></p>
<p><span>उपर्युक्त पंक्तियाँ छंद के निधान के अनुसार नहीं हैं. </span></p>
<p></p>
<p><span>मात्रा गणना को लेकर जो आदरणीय अशोक जी ने इंगित किये हैं, उनका संज्ञान लीजिएगा. </span></p>
<p><span>सादर</span></p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाशजी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद. आपकी संलग्नता आश्वस्त करती है. </p>
<p></p>
<p><span>सूर्य उत्तरायण होते अब, भाग्य हमारा भी चमके</span><br/><span>उन्नति हो चहुँदिशा भारती,सकल विश्व हमसे महके </span></p>
<p><span>उपर्युक्त पंक्तियाँ छंद के निधान के अनुसार नहीं हैं. </span></p>
<p></p>
<p><span>मात्रा गणना को लेकर जो आदरणीय अशोक जी ने इंगित किये हैं, उनका संज्ञान लीजिएगा. </span></p>
<p><span>सादर</span></p> आदरणीय अखिलेश जी,
सूर्य देव ध…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10779192022-01-23T18:12:40.772ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अखिलेश जी,</p>
<p>सूर्य देव धनु राशि छोड़कर, मकर राशि में जब जाते|</p>
<p>संक्रांति पर्व का उत्सव तब, मिलजुलकर सभी मनाते||</p>
<p>खिचड़ी पोंगल कहीं लोहड़ी, नाम पर्व का बतलाते|</p>
<p>मकर राशि के स्वामी शनि से, पिता सूर्य मिलने आते||</p>
<p></p>
<p>यह तो मकर संक्रांति के त्यौहार की पद्य-परिभाषा हो गयी. वाह, वाह !</p>
<p></p>
<p>आपकी संयत प्रस्तुति से मन प्रसन्न हो गया है. छंदबद्ध पंक्तियाँ सार्थक और सरस हैं. </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p>
<p>आदरणीय अखिलेश जी,</p>
<p>सूर्य देव धनु राशि छोड़कर, मकर राशि में जब जाते|</p>
<p>संक्रांति पर्व का उत्सव तब, मिलजुलकर सभी मनाते||</p>
<p>खिचड़ी पोंगल कहीं लोहड़ी, नाम पर्व का बतलाते|</p>
<p>मकर राशि के स्वामी शनि से, पिता सूर्य मिलने आते||</p>
<p></p>
<p>यह तो मकर संक्रांति के त्यौहार की पद्य-परिभाषा हो गयी. वाह, वाह !</p>
<p></p>
<p>आपकी संयत प्रस्तुति से मन प्रसन्न हो गया है. छंदबद्ध पंक्तियाँ सार्थक और सरस हैं. </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10778562022-01-23T18:05:32.356ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p>यह अवश्य है कि विधान के प्रतिति सचेत रहना आवश्यक था. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p>यह अवश्य है कि विधान के प्रतिति सचेत रहना आवश्यक था. </p>
<p>शुभातिशुभ</p> आदरणीय, कुकुभ का विधान पदांत…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10777532022-01-23T18:02:57.550ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, कुकुभ का विधान पदांत का दो शुद्ध गुरुओं से होना निश्चित करता है. ऐसे में वाचिक गुरु (दो लघुओं का समवेत उच्चारण) नेष्ट है. इसी कारण, उद्धृत पंक्तियाँ कुकुभ का न हो कर लावणी छंद में निबद्ध बतायी गयी हैं.</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय, कुकुभ का विधान पदांत का दो शुद्ध गुरुओं से होना निश्चित करता है. ऐसे में वाचिक गुरु (दो लघुओं का समवेत उच्चारण) नेष्ट है. इसी कारण, उद्धृत पंक्तियाँ कुकुभ का न हो कर लावणी छंद में निबद्ध बतायी गयी हैं.</p>
<p>सादर</p> आदरणीय हिरेन जोशी जी, आपकी कि…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10778532022-01-23T17:57:29.824ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय हिरेन जोशी जी, आपकी किसी रचना से संभवत: पहली बार गुजर रहा हूँ. आपकी प्रस्तुति पठनीय है. छंद तथा कथ्य का सुंदर निर्वहन हुआ है. किंतु, आदरणीय अशोक जी का प्रश्न समीचीन है. कृपया उसके प्रति संवेदनशील रहना आवश्यक है. </p>
<p>आयोजन का प्रारंभ आपकी रचना से हो रहा है. इस हेतु विशेष बधाई. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p>आदरणीय हिरेन जोशी जी, आपकी किसी रचना से संभवत: पहली बार गुजर रहा हूँ. आपकी प्रस्तुति पठनीय है. छंद तथा कथ्य का सुंदर निर्वहन हुआ है. किंतु, आदरणीय अशोक जी का प्रश्न समीचीन है. कृपया उसके प्रति संवेदनशील रहना आवश्यक है. </p>
<p>आयोजन का प्रारंभ आपकी रचना से हो रहा है. इस हेतु विशेष बधाई. </p>
<p>शुभातिशुभ </p> आदरणीय दण्डपाणी नाहक जी सादर,…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10776622022-01-23T16:52:59.375ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय दण्डपाणी नाहक जी सादर, कुकुभ छंद पर अच्छा प्रयास हुआ है आपका. आपके प्रस्तुत छंद में कई जगह मात्रा गणना में चूक हुई है. छंद की गेयता किस तरह बनायी जाए इस पर भी कार्य आवश्यक है. सादर</p>
<p>आदरणीय दण्डपाणी नाहक जी सादर, कुकुभ छंद पर अच्छा प्रयास हुआ है आपका. आपके प्रस्तुत छंद में कई जगह मात्रा गणना में चूक हुई है. छंद की गेयता किस तरह बनायी जाए इस पर भी कार्य आवश्यक है. सादर</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी, प्…tag:openbooks.ning.com,2022-01-23:5170231:Comment:10778522022-01-23T16:49:16.213ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>