"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-38 - Open Books Online2024-03-29T01:30:47Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/mush38?commentId=5170231%3AComment%3A422604&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय बृजेश जी, खूबसूरत गज़ल…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4244172013-08-29T18:30:07.678Zअरुण कुमार निगमhttps://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>आदरणीय बृजेश जी, खूबसूरत गज़ल के लिए बधाइयाँ..............</p>
<p>आदरणीय बृजेश जी, खूबसूरत गज़ल के लिए बधाइयाँ..............</p> वह वा आपको यहाँ पढ़ना सुखद हैtag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241962013-08-29T18:29:44.650Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वह वा आपको यहाँ पढ़ना सुखद है</p>
<p>वह वा आपको यहाँ पढ़ना सुखद है</p> "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अं…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241952013-08-29T18:29:22.722ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-38, के सफल आयोजन पर आप सभी को बधाई | </p>
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-38, के सफल आयोजन पर आप सभी को बधाई | </p> रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241942013-08-29T18:29:17.376Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,<br/>संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने,<br/><br/>क्या कहने भाई सब कुछ इश्किया इश्किया सा है :)))))))) ढेरो दाद</p>
<p>रेशमी जुल्फ घनी, नैन भरे काली घटा,<br/>संगमरमर सा बदन हाय भुलाये न बने,<br/><br/>क्या कहने भाई सब कुछ इश्किया इश्किया सा है :)))))))) ढेरो दाद</p> आदरणीय अनुराग जी इस शानदार गज़…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4242602013-08-29T18:28:49.649Zअरुण कुमार निगमhttps://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>आदरणीय अनुराग जी इस शानदार गज़ल के लिये बधाई......</p>
<p></p>
<p>मेरे वजूद पे काबिज वो इस कदर देखो <br/> ख्वाब आँखों पे कोई और सजाये न बने.....वाह !!!!!! जितनी तारीफ की जाये, कम है.....</p>
<p>आदरणीय अनुराग जी इस शानदार गज़ल के लिये बधाई......</p>
<p></p>
<p>मेरे वजूद पे काबिज वो इस कदर देखो <br/> ख्वाब आँखों पे कोई और सजाये न बने.....वाह !!!!!! जितनी तारीफ की जाये, कम है.....</p> वाह भाई आप भी हैं इस बार ...…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241932013-08-29T18:28:26.312Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह भाई आप भी हैं इस बार ... आने में ज़रा देर हो गई <br/><br/>बहुत शानदार ग़ज़ल कही है <br/>बधाई</p>
<p>वाह भाई आप भी हैं इस बार ... आने में ज़रा देर हो गई <br/><br/>बहुत शानदार ग़ज़ल कही है <br/>बधाई</p> जो गुज़रती है मेरे दिल मैं छु…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4244152013-08-29T18:27:19.278Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>जो गुज़रती है मेरे दिल मैं छुपाये न बने <br/>दास्ताँ गम की ज़माने को सुनाये न बने<br/><br/>वाह वा ढेरो दाद</p>
<p>जो गुज़रती है मेरे दिल मैं छुपाये न बने <br/>दास्ताँ गम की ज़माने को सुनाये न बने<br/><br/>वाह वा ढेरो दाद</p> वाह वा शानदार मतला और गिरह के…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241922013-08-29T18:26:27.698Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह वा <br/><br/>शानदार मतला और गिरह के तो क्या कहने ... ढेरों दाद क़ुबूल करें <br/><br/></p>
<p>वाह वा <br/><br/>शानदार मतला और गिरह के तो क्या कहने ... ढेरों दाद क़ुबूल करें <br/><br/></p> आप सभी विद्वजनों का हृदय से आ…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4241912013-08-29T18:26:24.731Zअरुण कुमार निगमhttps://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>आप सभी विद्वजनों का हृदय से आभार........................................</p>
<p>आप सभी विद्वजनों का हृदय से आभार........................................</p> आपकी अपने ही अंदाज की सदाबहार…tag:openbooks.ning.com,2013-08-29:5170231:Comment:4244142013-08-29T18:25:00.603Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>आपकी अपने ही अंदाज की सदाबहार ग़ज़ल से रूबरू होना एक सुखद अहसाह होता है <br/><br/>एक एक शेर पर ढेरो दाद</p>
<p>आपकी अपने ही अंदाज की सदाबहार ग़ज़ल से रूबरू होना एक सुखद अहसाह होता है <br/><br/>एक एक शेर पर ढेरो दाद</p>