"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक २९ - Open Books Online2024-03-29T09:18:18Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/mush29?commentId=5170231%3AComment%3A294766&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अम्बरीष जी, आप भी छपते…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2949362012-11-30T18:30:30.187ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अम्बरीष जी, आप भी छपते छपते आ गये.. . !!</p>
<p>दाद कुबूल फ़रमायें.</p>
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<p>आदरणीय अम्बरीष जी, आप भी छपते छपते आ गये.. . !!</p>
<p>दाद कुबूल फ़रमायें.</p>
<p></p> आदरणीय अरुण निगम साहब, इस शान…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2951332012-11-30T18:30:25.757ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय अरुण निगम साहब, इस शानदार गज़ल के लिए बहुत बुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं !</p>
<p>आदरणीय अरुण निगम साहब, इस शानदार गज़ल के लिए बहुत बुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं !</p> आदरणीय वीनस भाई...
मैं इस मंच…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2949352012-11-30T18:30:08.271Zमनोज कुमार सिंह 'मयंक'https://openbooks.ning.com/profile/2pfvid8pxd2o7
<p>आदरणीय वीनस भाई...</p>
<p>मैं इस मंच को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ था और आज भी हूँ..पहले से कुछ अधिक गौरवान्वित...आप सभी को पढता हूँ ..तो अच्छा लगता है..उत्साहवर्धन के लिए कोटिशः धन्यवाद भाई|हर हर महादेव</p>
<p>आदरणीय वीनस भाई...</p>
<p>मैं इस मंच को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ था और आज भी हूँ..पहले से कुछ अधिक गौरवान्वित...आप सभी को पढता हूँ ..तो अच्छा लगता है..उत्साहवर्धन के लिए कोटिशः धन्यवाद भाई|हर हर महादेव</p> हा हा हा
tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2951322012-11-30T18:30:06.080Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>हा हा हा</p>
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<p>हा हा हा</p>
<p></p> धूप को खुशनुमा सा मंजर दे जून…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2952122012-11-30T18:30:01.326Zअरुण कुमार निगमhttps://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>धूप को खुशनुमा सा मंजर दे <br></br>जून के भाग्य में नवंबर दे।...............................वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! फिर आमों का क्या होगा ?</p>
<p>जो कसाबों को जन्म देती हो<br></br>कोख़ धरती पे ऐसी बंजर दे।.............................गम्भीर विचार, बधाई............</p>
<p>खेलता है वो खेल बारूदी<br></br>वो बदल जाये ऐसा मंतर दे।............................जन हित में जारी..........</p>
<p>देश को खा रहे हैं दीमक ये<br></br>ये मिटें जड़ से ऐसा कुछ कर दे।......................क्रांति…</p>
<p>धूप को खुशनुमा सा मंजर दे <br/>जून के भाग्य में नवंबर दे।...............................वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! फिर आमों का क्या होगा ?</p>
<p>जो कसाबों को जन्म देती हो<br/>कोख़ धरती पे ऐसी बंजर दे।.............................गम्भीर विचार, बधाई............</p>
<p>खेलता है वो खेल बारूदी<br/>वो बदल जाये ऐसा मंतर दे।............................जन हित में जारी..........</p>
<p>देश को खा रहे हैं दीमक ये<br/>ये मिटें जड़ से ऐसा कुछ कर दे।......................क्रांति हो....................</p>
<p>भीड़ है हर तरफ़ जम्हूरों की<br/>कोइ इन्सान इनके अंदर दे।..........................बहुत खूब.............</p>
<p>अब मदारी को चाहिये हिस्सा<br/>बिल्लियों से चुरा के बंदर दे।.........................छा गये राज्जा...........</p>
<p>इस घने अंधकार को जानें<br/> इन चिरागों को रोशनी भर दे........................देर आये, दुरुस्त आये.............</p> जय हो .. सीमाजी.. !!!!tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2952112012-11-30T18:29:09.511ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय हो .. सीमाजी.. !!!!</p>
<p>जय हो .. सीमाजी.. !!!!</p> आदरणीय अरुण जी आपके प्रति साद…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2951312012-11-30T18:28:40.759ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>आदरणीय अरुण जी आपके प्रति सादर नमन</p>
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<p>आदरणीय अरुण जी आपके प्रति सादर नमन</p>
<p></p> वाह वाह वा जिंदाबाद भाई जिंदा…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2949342012-11-30T18:28:28.589Zवीनस केसरीhttps://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>वाह वाह वा <br/>जिंदाबाद भाई जिंदाबाद <br/><br/>अम्बरीश भाई इतनी शानदार ग़ज़ल पोस्ट करते करते अब की है <br/>ऐसा जुलम काहे हुज़ूर</p>
<p>वाह वाह वा <br/>जिंदाबाद भाई जिंदाबाद <br/><br/>अम्बरीश भाई इतनी शानदार ग़ज़ल पोस्ट करते करते अब की है <br/>ऐसा जुलम काहे हुज़ूर</p> न न सौरभ जी बात तो same to sa…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2950282012-11-30T18:27:56.618Zseema agrawalhttps://openbooks.ning.com/profile/seemaagrawal8
<p>न न सौरभ जी बात तो same to same मेरे दिमाग में भी आयी थी पर सोचा अभी पिछली ग़ज़ल मेंमुश्किल में जान आ ही चुकी है इसलिए थोडा एहतियात बरत लूं </p>
<p>न न सौरभ जी बात तो same to same मेरे दिमाग में भी आयी थी पर सोचा अभी पिछली ग़ज़ल मेंमुश्किल में जान आ ही चुकी है इसलिए थोडा एहतियात बरत लूं </p> मेरे बच्चों को इल्म दे या रब…tag:openbooks.ning.com,2012-11-30:5170231:Comment:2951292012-11-30T18:27:38.172ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>मेरे बच्चों को इल्म दे या रब<br/> कोई शमशीर दे न खंजर दे</p>
<p>अहाहाहा ! इस एक शेर ने दिल लूट लिया. दाद कुबूल फ़र्मायें, साहब</p>
<p>मेरे बच्चों को इल्म दे या रब<br/> कोई शमशीर दे न खंजर दे</p>
<p>अहाहाहा ! इस एक शेर ने दिल लूट लिया. दाद कुबूल फ़र्मायें, साहब</p>