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देशवा के खातिर बीर जहवां दे देले परनवा,
हिन्दुस्तनवा हमारे बा......................,
जाने जेके दुनिया महनवा, हिन्दुस्तनवा हमारे बा....................

देशवा के खातिर सब लुटावे आपन जान हो,
नाही जाए पाई हमरे देश वा के शान हो|
नाक बच जाई सबके एहे अर्मनवा,
हिन्दुस्तनवा हमारे बा....................

हिमालय करे रक्षा जेकर सर आपन उठाय हो,
हिंद सागर गर्व से धोवे जेकर पाँव हो|
गंगा जईसन नदी जहवां सींचे मैदनवा,
हिन्दुस्तनवा हमारे बा....................
जाने जेके दुनिया महनवा, हिन्दुस्तनवा हमारे बा...................

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Replies to This Discussion

Wah ! kya baat hai. Ashish ji bahut badhiya rachna ba. Age bhi aisahi desh bhakti rachna ke ummid ba.
कमाल कर दिहनी महाराज रौआ त, बहुत सुघर रचना लिखले बानी, सुघर बोले तो बरियार रचना |
GODD VERY GOOD SIR
Deepak ji, Bagi ji aa Nilam ji aap logan ke bahut bahut dhanyawaad. Aap log aisahi aapan sneh bna ke raakhi. Hm jarur likhem.
bahut badhiya bhhai ,
dhanyawaad bhaiya
bahut sundar
Dhanyawaad GIRI JI
Ashish jee 'Bhojpuri' kam samajhti hoon, par jitna samajh aaya khoob likha hai aapne...!! :-)
thankyou julie ji.
aap logo ka hi to aashirwaad hai sheshdhar tiwary ji. thankyou
उत्तम रचना. भाव, बिम्ब, लय, प्रतीक संतुलित हैं. बधाई. अर्मनवा नहीं अरमनवा, सुधार दीजिये. अरमान में 'र' पूरा है रेफ नहीं.

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