"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-97 - Open Books Online2024-03-29T10:09:07Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/97?id=5170231%3ATopic%3A938597&feed=yes&xn_auth=noएडमिन महोदय से निवेदन है कि,…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9420992018-07-28T18:28:42.587Zअजीत शर्मा 'आकाश'https://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>एडमिन महोदय से निवेदन है कि, कृपया आगामी मुशायरा शुक्रवार-शनिवार के स्थान पर शनिवार-रविवार को आयोजित करने के सुझाव पर पुनर्विचार करने की कृपा करें.... कम से कम रविवार का एक पूरा दिन तो हमें मिलेगा, इसमें शिरकत करने के लिए.... धन्यवाद !!!</p>
<p>एडमिन महोदय से निवेदन है कि, कृपया आगामी मुशायरा शुक्रवार-शनिवार के स्थान पर शनिवार-रविवार को आयोजित करने के सुझाव पर पुनर्विचार करने की कृपा करें.... कम से कम रविवार का एक पूरा दिन तो हमें मिलेगा, इसमें शिरकत करने के लिए.... धन्यवाद !!!</p> "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-9…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9422212018-07-28T18:28:21.520ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-97" को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों के हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-97" को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों के हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p> जंग ए आज़ादी में कुर्बां होने…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9422202018-07-28T18:26:49.834Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>जंग ए आज़ादी में कुर्बां होने वालों को '<span>शकूर</span>'</p>
<p>क्या पता था कैसे-कैसे हुक्मराँ हो जाएँगे</p>
<p>जनाब शिज्जु साहब पूरी गज़ल बाकमाल है गिरह भी आपने लाजवाब कही है....... </p>
<p>जंग ए आज़ादी में कुर्बां होने वालों को '<span>शकूर</span>'</p>
<p>क्या पता था कैसे-कैसे हुक्मराँ हो जाएँगे</p>
<p>जनाब शिज्जु साहब पूरी गज़ल बाकमाल है गिरह भी आपने लाजवाब कही है....... </p> मेरे कहे को मान देने के लिए ध…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9420982018-07-28T18:22:41.714ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद भाई ।</p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद भाई ।</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी, देर…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9421292018-07-28T18:20:50.157Zराज़ नवादवीhttps://openbooks.ning.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, देर आयद, दुरुस्त आयद. एक सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दाद के साथ मुबारकबाद क़बूल करें. सादर. </p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, देर आयद, दुरुस्त आयद. एक सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दाद के साथ मुबारकबाद क़बूल करें. सादर. </p> जबाब अफ़रोज साहब इस मंच की यही…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9421282018-07-28T18:20:30.833Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>जबाब अफ़रोज साहब इस मंच की यही खुशूसियत है के यहाँ खुद को तराशने का मौका मिलता है चूंकि स्वम में सुधार की गुंजाईस सदैव रहती है इसलिए बड़ा दिल करके त्रुटियों को सहर्ष स्वीकारें आपमें बहुत पोटेन्सियल है गुणीजनों की सलाह का इस्तकबाल करें उन्होने बहुत विस्तार से आपको समझाने की कोशिश की है मै भी उनसे सहमत हूँ । </p>
<p>सादर .....</p>
<p>जबाब अफ़रोज साहब इस मंच की यही खुशूसियत है के यहाँ खुद को तराशने का मौका मिलता है चूंकि स्वम में सुधार की गुंजाईस सदैव रहती है इसलिए बड़ा दिल करके त्रुटियों को सहर्ष स्वीकारें आपमें बहुत पोटेन्सियल है गुणीजनों की सलाह का इस्तकबाल करें उन्होने बहुत विस्तार से आपको समझाने की कोशिश की है मै भी उनसे सहमत हूँ । </p>
<p>सादर .....</p> बहुत-बहुत आभार आपका आ0 तस्दीक़…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9420972018-07-28T18:19:54.249Zअजीत शर्मा 'आकाश'https://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>बहुत-बहुत आभार आपका आ0 तस्दीक़ साहब !!!</p>
<p>बहुत-बहुत आभार आपका आ0 तस्दीक़ साहब !!!</p> हार्दिक आभार आ0 मोहन बेगोवाल…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9421272018-07-28T18:18:59.923Zअजीत शर्मा 'आकाश'https://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>हार्दिक आभार आ0 मोहन बेगोवाल जी !!!</p>
<p>हार्दिक आभार आ0 मोहन बेगोवाल जी !!!</p> आ0 समर साहब, ग़ज़ल पर सार्थक एव…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9422192018-07-28T18:17:20.346Zअजीत शर्मा 'आकाश'https://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>आ0 समर साहब, ग़ज़ल पर सार्थक एवं अत्यावश्यक टिप्पणी हेतु आभारी हूँ.... आपका मार्ग-निर्देश निश्चित रूप से अमूल्य है..... हार्दिक आभार !!!</p>
<p>आ0 समर साहब, ग़ज़ल पर सार्थक एवं अत्यावश्यक टिप्पणी हेतु आभारी हूँ.... आपका मार्ग-निर्देश निश्चित रूप से अमूल्य है..... हार्दिक आभार !!!</p> ध्यानाकर्षण हेतु हार्दिक आभार…tag:openbooks.ning.com,2018-07-28:5170231:Comment:9421262018-07-28T18:13:56.670Zअजीत शर्मा 'आकाश'https://openbooks.ning.com/profile/AjeetSharmaAakash
<p>ध्यानाकर्षण हेतु हार्दिक आभारी हूँ, भाई !!!</p>
<p>ध्यानाकर्षण हेतु हार्दिक आभारी हूँ, भाई !!!</p>