"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-90 (विषय: प्रतीक्षा) - Open Books Online2024-03-29T07:07:06Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/90-2?commentId=5170231%3AComment%3A1091124&feed=yes&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10911492022-09-30T18:28:45.692Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर सिंह साहिब!</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर सिंह साहिब!</p> आपका हार्दिक आभार आदरणीय प्रत…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10914072022-09-30T18:27:57.691Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे साहिबा।</p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे साहिबा।</p> आदरणीय प्रतिभा पांडे साहिबा,…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10911482022-09-30T18:20:53.496Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span style="font-weight: 400;">आदरणीय प्रतिभा पांडे साहिबा, मुझे आपकी लघुकथा बहुत पसंद आई, आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">आदरणीय प्रतिभा पांडे साहिबा, मुझे आपकी लघुकथा बहुत पसंद आई, आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!</span></p> आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब,…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10913242022-09-30T18:20:05.722Zरवि भसीन 'शाहिद'https://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span style="font-weight: 400;">आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब, हौसला-अफ़ज़ाई और इस्लाह के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब, हौसला-अफ़ज़ाई और इस्लाह के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।</span></p> आदाब, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी,…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10911062022-09-30T17:13:12.164ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, अपनी ही मातृभाषा के प्रतिकूलगामी जयचंदों की घृणित प्रवृति और नकारात्मक सोच के होते भी आशा का संचार करती लघुकथा के लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं ! रचना किसी विधा में हो, संदेश सकारात्मक ही जाना चाहिए। और, यही साहित्यकार का धर्म भी है । </p>
<p>आदाब, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, अपनी ही मातृभाषा के प्रतिकूलगामी जयचंदों की घृणित प्रवृति और नकारात्मक सोच के होते भी आशा का संचार करती लघुकथा के लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं ! रचना किसी विधा में हो, संदेश सकारात्मक ही जाना चाहिए। और, यही साहित्यकार का धर्म भी है । </p> आदाब, तस्दीक अहमद खान साहब,…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10912432022-09-30T16:54:24.718ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
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<li>आदाब, तस्दीक अहमद खान साहब, भारतीय रेलवे के कुसमय प्रबंधन पर चुटीला व्यंग्य कसती अच्छी कही आपने । हाँ, हिन्दी भाषा के जनमानस के समीप शब्दों जैसे पूछताछ के स्थान पर 'इन्क्वायरी विन्डो', रेलगाड़ी की बजाय 'ट्रेन ' और हिन्दी लघुकथा में भी उर्दू भाषा के प्रति अतिरिक्त आग्रह थोड़ा अखरता है।</li>
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<li>आदाब, तस्दीक अहमद खान साहब, भारतीय रेलवे के कुसमय प्रबंधन पर चुटीला व्यंग्य कसती अच्छी कही आपने । हाँ, हिन्दी भाषा के जनमानस के समीप शब्दों जैसे पूछताछ के स्थान पर 'इन्क्वायरी विन्डो', रेलगाड़ी की बजाय 'ट्रेन ' और हिन्दी लघुकथा में भी उर्दू भाषा के प्रति अतिरिक्त आग्रह थोड़ा अखरता है।</li>
</ul> आदाब, प्रतिभा पाण्डे जी, धर्म…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10913212022-09-30T16:35:57.036ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, प्रतिभा पाण्डे जी, धर्म की आड़ में मठों-आश्रमों में तथाकथित गुरुओं के लिजलिजे चरित्र और आचरण पर कुठाराघात करती संक्षिप्त लेकिन अपने उद्देश्य बेहद सफल लघुकथा हेतु आपको बधाई ! हाँ, आदरणीय भाई योगराज प्रभाकर साहब की बात से मैं भी सहमत हूँ। </p>
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<p>आदाब, प्रतिभा पाण्डे जी, धर्म की आड़ में मठों-आश्रमों में तथाकथित गुरुओं के लिजलिजे चरित्र और आचरण पर कुठाराघात करती संक्षिप्त लेकिन अपने उद्देश्य बेहद सफल लघुकथा हेतु आपको बधाई ! हाँ, आदरणीय भाई योगराज प्रभाकर साहब की बात से मैं भी सहमत हूँ। </p>
<p></p> आ. भाई योगराज प्रभाकर साहब, अ…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10911052022-09-30T16:23:26.973ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ. भाई योगराज प्रभाकर साहब, अतिशय आभार आपका ! मैं आपकी राय से सहमत हूँ। इस पक्ष पर मुझे अतिरिक्त ध्यान देना होगा । इति !</p>
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<p>आ. भाई योगराज प्रभाकर साहब, अतिशय आभार आपका ! मैं आपकी राय से सहमत हूँ। इस पक्ष पर मुझे अतिरिक्त ध्यान देना होगा । इति !</p>
<p></p> आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी,…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10912422022-09-30T16:18:24.988ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, हिन्दी की दशा-दुर्दशा पर अच्छी लघुकथा कही है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। हालांकि लघुकथा प्रदत्त विषय को लेकर कितना न्याय कर पाई है इसमें मुझे सन्देह है। सादर। </p>
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी, हिन्दी की दशा-दुर्दशा पर अच्छी लघुकथा कही है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। हालांकि लघुकथा प्रदत्त विषय को लेकर कितना न्याय कर पाई है इसमें मुझे सन्देह है। सादर। </p> आदाब। शुक्रिया त्वरित टिप्पणी…tag:openbooks.ning.com,2022-09-30:5170231:Comment:10913202022-09-30T16:14:45.989ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। शुक्रिया त्वरित टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई हेतु आदरणीय महेन्द्र कुमार जी।</p>
<p>आदाब। शुक्रिया त्वरित टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई हेतु आदरणीय महेन्द्र कुमार जी।</p>