"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-9 में स्वीकृत रचनाएँ - Open Books Online2024-03-28T20:57:33Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/9-2?feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सर जी,रचना की अंतिम पं…tag:openbooks.ning.com,2016-01-08:5170231:Comment:7308482016-01-08T17:22:10.477ZArchana Tripathihttps://openbooks.ning.com/profile/ArchanaTripathi
आदरणीय सर जी,रचना की अंतिम पंक्तियों में संशोधन किया हैं कृपया संकलन में सम्भव हो तो प्रस्थापित कर दीजिये। सादर<br />
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" आकांक्षाओं के पंख "<br />
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" क्या बकवास कर रहे हैं आप? मैं उससे शादी क्यों कर लूँ ? पिछले पांच वर्ष से तो आप वायदा करते रहे और अब उससे शादी करने को कह रहें हैं, क्यों ?"<br />
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"अरे!क्या तुम जानती नहीं की अब मेरी बेटी का ब्याह होने वाला हैं और अब मैं तुमसे कोई सम्बन्ध नही रख सकता।"<br />
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" इसका मतलब आप मुझे खिलौना समझ खेलते रहे? "<br />
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" नहीं , यह बात तुम्हारे माता-पिता पहले ही जानते थे की मैं तुम्हे…
आदरणीय सर जी,रचना की अंतिम पंक्तियों में संशोधन किया हैं कृपया संकलन में सम्भव हो तो प्रस्थापित कर दीजिये। सादर<br />
<br />
" आकांक्षाओं के पंख "<br />
<br />
" क्या बकवास कर रहे हैं आप? मैं उससे शादी क्यों कर लूँ ? पिछले पांच वर्ष से तो आप वायदा करते रहे और अब उससे शादी करने को कह रहें हैं, क्यों ?"<br />
<br />
"अरे!क्या तुम जानती नहीं की अब मेरी बेटी का ब्याह होने वाला हैं और अब मैं तुमसे कोई सम्बन्ध नही रख सकता।"<br />
<br />
" इसका मतलब आप मुझे खिलौना समझ खेलते रहे? "<br />
<br />
" नहीं , यह बात तुम्हारे माता-पिता पहले ही जानते थे की मैं तुम्हे किसी के साथ सेटल कर दूंगा और फिर मैं बराबर तुम पर अपनी दौलत लुटाता रहा हूँ ।"<br />
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"अर्थात मुझे तुमने अपनी रखैल बना रखा था! "<br />
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" ऐसा ही समझ लो, फिर तुम जैसी लड़की का और क्या हो सकता हैं जो अपने पति तो क्या जन्म दी बेटी को भी पैसे के लिए लात मार आयी थी "<br />
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" ओह! ताना मार रहे हो ? चले जाओ यहाँ से और अपनी शक्ल अब कभी मत दिखाना " रजनीश को दुत्कार अवसादग्रस्त निम्मी कोपूर्व पति के कहे शब्द दिलोदिमाग पर हथोड़े सा वार कर रहे थे-<br />
" आकांक्षाओं के पंखों की कोई सीमा नहीं होती।उनको पाने की चाह में तुम कटी पतंग की तरह कही की भी नहीं रहोगी।"<br />
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मौलिक एवम् अप्रकाशित सफलता पूर्वक आयोजन और संकलन क…tag:openbooks.ning.com,2016-01-03:5170231:Comment:7291692016-01-03T10:09:05.454ZArchana Tripathihttps://openbooks.ning.com/profile/ArchanaTripathi
सफलता पूर्वक आयोजन और संकलन के लिए आदरणीय सर श्री योगराज प्रभाकर जी को हार्दिक बधाई।
सफलता पूर्वक आयोजन और संकलन के लिए आदरणीय सर श्री योगराज प्रभाकर जी को हार्दिक बधाई। सर्वप्रथम नवम लाइव लघुकथा के…tag:openbooks.ning.com,2016-01-03:5170231:Comment:7292302016-01-03T03:39:46.833ZVIRENDER VEER MEHTAhttps://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
सर्वप्रथम नवम लाइव लघुकथा के सफल आयोजन के लिए आदरणीय योगराज प्रभाकर सहित सभी ओबीओ टीम को हार्दिक बधाई। आयोजन में भाग लेने वाले सभी रचनाकारों को भी मेरी ओर से सादर बधाई। समयाभाव के कारण मैं इस बार अपनी (पहली बार) रचना पोस्ट नहीं कर सका और रचनाये पढ़ भी नहीं सका। सारे समय ऐसा लगता रहा मानो मैं कही कुछ मिस कर रहा हूँ। बरहाल आने वाले आयोजन के इंतेजार की प्रतीक्षा रहेगी।<br />
अपनी लिखी रचना जो समय पर नहीं पोस्ट कर सका, ओबीओ मंच पर तो जगह पा ही लेगी ऐसा विश्वास है। सादर विनीत।
सर्वप्रथम नवम लाइव लघुकथा के सफल आयोजन के लिए आदरणीय योगराज प्रभाकर सहित सभी ओबीओ टीम को हार्दिक बधाई। आयोजन में भाग लेने वाले सभी रचनाकारों को भी मेरी ओर से सादर बधाई। समयाभाव के कारण मैं इस बार अपनी (पहली बार) रचना पोस्ट नहीं कर सका और रचनाये पढ़ भी नहीं सका। सारे समय ऐसा लगता रहा मानो मैं कही कुछ मिस कर रहा हूँ। बरहाल आने वाले आयोजन के इंतेजार की प्रतीक्षा रहेगी।<br />
अपनी लिखी रचना जो समय पर नहीं पोस्ट कर सका, ओबीओ मंच पर तो जगह पा ही लेगी ऐसा विश्वास है। सादर विनीत। निवेदित संशोधन के लिए आभार पू…tag:openbooks.ning.com,2016-01-03:5170231:Comment:7291632016-01-03T01:28:31.234Zसतविन्द्र कुमार राणाhttps://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
निवेदित संशोधन के लिए आभार पूज्य योगराज सर जी।
निवेदित संशोधन के लिए आभार पूज्य योगराज सर जी। निवेदित संशोधन के लिए आभार पू…tag:openbooks.ning.com,2016-01-03:5170231:Comment:7290982016-01-03T01:28:30.094Zसतविन्द्र कुमार राणाhttps://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
निवेदित संशोधन के लिए आभार पूज्य योगराज सर जी।
निवेदित संशोधन के लिए आभार पूज्य योगराज सर जी। आदरणीय योगराज जी , ओबीओ लाइव…tag:openbooks.ning.com,2016-01-02:5170231:Comment:7293182016-01-02T15:04:32.227Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आदरणीय योगराज जी , ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक-9 आयोजन के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने तथा इस खूबसूरत संकलन हेतु आपको बहुत बहुत बधाई |</span></p>
<p><span>आदरणीय योगराज जी , ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक-9 आयोजन के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने तथा इस खूबसूरत संकलन हेतु आपको बहुत बहुत बधाई |</span></p> ओबीओ पर आपके सयोजन में वर्ष 2…tag:openbooks.ning.com,2016-01-02:5170231:Comment:7290752016-01-02T07:30:07.962Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttps://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>ओबीओ पर आपके सयोजन में वर्ष 2015 में लघुकथा गोष्ठी के सफल 9 आयोजन के लिए हार्दिक बधाई एवं सभी रचनकारों के स्तरीय प्रयासों को नमन | ओबीओ के सभी सदस्यों को नव वर्ष की मंगल कामनाएं </p>
<p>प्रस्तुत अक में 32 वें नम्बर पर मेरी लघुकथा का शीर्षक लोकप्रियता के जगह "<u>महत्वाकांक्षा"</u> कर कृतार्थ करे आदरणीय जैसा की आपने अपनी टिपण्णी में सुझाया था | </p>
<p>सादर </p>
<p>ओबीओ पर आपके सयोजन में वर्ष 2015 में लघुकथा गोष्ठी के सफल 9 आयोजन के लिए हार्दिक बधाई एवं सभी रचनकारों के स्तरीय प्रयासों को नमन | ओबीओ के सभी सदस्यों को नव वर्ष की मंगल कामनाएं </p>
<p>प्रस्तुत अक में 32 वें नम्बर पर मेरी लघुकथा का शीर्षक लोकप्रियता के जगह "<u>महत्वाकांक्षा"</u> कर कृतार्थ करे आदरणीय जैसा की आपने अपनी टिपण्णी में सुझाया था | </p>
<p>सादर </p> आदरणीय प्रभाकर जी ,इस लघुकथा…tag:openbooks.ning.com,2016-01-02:5170231:Comment:7292072016-01-02T05:30:02.017Zप्रदीप नील वसिष्ठhttps://openbooks.ning.com/profile/3ugsdsv98puvv
<p>आदरणीय प्रभाकर जी ,<br></br>इस लघुकथा उत्सव के कुशल-संचालन के लिए कृपया बधाई स्वीकारें। यह देख और भी प्रसन्नता हुई कि गोष्ठी समाप्त होते ही आपका सम्पादन का काम भी संपन्न हो चुका था। <br></br>हरि -इच्छा कि इस बार शीतकालीन अवकाश ने मुझे दो दिन लगातार इस गोष्ठी के समापन तक जुड़े रहने का अवसर दिया । पिछली बार मैं समयाभाव के कारण हर रचना तक नहीं पहुँच पाया था , मगर इस बार मैंने इसमे इसमे पूरी सक्रियता से भाग लिया। आभारी हूँ OBO टीम का जिसने ऐसे उत्सव मनाए जाने की परिकल्पना की और इसे मूर्त रूप दिया। इस…</p>
<p>आदरणीय प्रभाकर जी ,<br/>इस लघुकथा उत्सव के कुशल-संचालन के लिए कृपया बधाई स्वीकारें। यह देख और भी प्रसन्नता हुई कि गोष्ठी समाप्त होते ही आपका सम्पादन का काम भी संपन्न हो चुका था। <br/>हरि -इच्छा कि इस बार शीतकालीन अवकाश ने मुझे दो दिन लगातार इस गोष्ठी के समापन तक जुड़े रहने का अवसर दिया । पिछली बार मैं समयाभाव के कारण हर रचना तक नहीं पहुँच पाया था , मगर इस बार मैंने इसमे इसमे पूरी सक्रियता से भाग लिया। आभारी हूँ OBO टीम का जिसने ऐसे उत्सव मनाए जाने की परिकल्पना की और इसे मूर्त रूप दिया। इस गोष्ठी से जो मैंने सीखा , वह आप सब से साँझा करने का मन है :<br/>1 गोष्ठी का विषय लगभग एक महीना एडवांस में दे देना बहुत ही सराहनीय कदम है। इससे लेखक को प्रदत्त विषय पर मनन करने, लघुकथा लिखने , उसे बार -बार परिमार्जित करने और भाषाई अशुद्धियों को दूर करने का पर्याप्त अवसर मिल जाता है। मैंने भी ब्लॉग पर जिस दिन विषय " आकांक्षा " प्रकाशित हुआ , उसी दिन से इस पर काम करना शुरू कर दिया था। बहुत अच्छी परम्परा है , कृपया बनाए रखिएगा। <br/>2 . हर लेखक यहाँ गोष्ठी की लगभग सभी रचनाओं पर अपनी टिप्पणी देने पहुँचता है , यह बहुत ही सौहार्द्रपूर्ण कदम है। एक अन्य सोशल मिडिया की तरह नहीं कि तुम मेरी रचना पर आओगे , तभी तुम्हारी रचना पर आऊंगा। और उससे भी अच्छी बात यह लगी कि लेखक, बुरा न मानकर हर टिप्पणी को सर माथे लेता है और सीखने का प्रयास करता है। टिप्पणियाँ भी बिना किसी द्वेष के आती हैं। लेखक बहुत सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें इतना बढ़िया वातावरण मिल रहा है। और यही वजह है कि बहुत अच्छी-अच्छी रचनाएँ सामने आ रही हैं। एक अन्य सोशल मीडिया पर मैंने देखा है कि ज्यों ही आपने किसी स्थापित लेखक से असहमति व्यक्त की , उसके चेले-चमचे झुण्ड में प्रकट हो कर गरियाना शुरू कर देते हैं। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। इस वातावरण को आपने बहुत बढ़िया तरीके से प्रदूषण-रहित बना रखा है , बधाई स्वीकारें। <br/>3 मुझे यह भी देख कर प्रसन्नता हुई कि "सीखने-सिखाने" की परम्परा यहाँ अनवरत चलती रहती है, और सुझावों को मान भी दिया जाता है। पिछली लघुकथा गोष्ठी में सदस्यों द्वारा प्रयुक्त टिप्पणियों में , लघुकथा "हुई है " के प्रयोग से मुझे बहुत असुविधा हो रही थी। मुझे यह देख संतोष हुआ कि इस बार यह प्रयोग नहीं के बराबर ही दिखा। मैं आभारी हूँ आप सभी का कि आपने इस पर ध्यान दिया। हालाँकि , मेरा तब आपत्ति उठाने का तरीका कोई बहुत बढ़िया नहीं था ; और अब मैंने यह भी सीखा कि वह तरीका मंच की गरिमा के अनुरूप तो हरगिज़ ही नहीं था। मेरी सही बात को जब कोई गलत ठहराता है तो तर्क ( और कई बार तो कुतर्क पर भी ) उतर आता हूँ, यह मेरे स्वभाव की कमज़ोरी है । वादा रहा , भविष्य में मैं भी ध्यान रखूँगा कि मंच पर सार्थक बहस में , कोई मेरी सही बात को भी गलत कहेगा तो भी संयम बनाए रखूंगा। <br/>मेरी तरफ से पूरे परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं। आप चिरायु हों प्रभाकर जी ताकि सदस्य आपके कुशल मार्गदर्शन में लिखते रहें।</p> बहुत बहुत आभार सर tag:openbooks.ning.com,2016-01-02:5170231:Comment:7290692016-01-02T05:02:03.165ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttps://openbooks.ning.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p>बहुत बहुत आभार सर </p>
<p>बहुत बहुत आभार सर </p> मोहतरम जनाब योगराज साहिब , प्…tag:openbooks.ning.com,2016-01-01:5170231:Comment:7291172016-01-01T15:03:32.802ZTasdiq Ahmed Khanhttps://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरम जनाब योगराज साहिब , प्रोग्राम की बेहतर निज़ामत , कामयाबी और जल्द संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं</p>
<p>मोहतरम जनाब योगराज साहिब , प्रोग्राम की बेहतर निज़ामत , कामयाबी और जल्द संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं</p>