"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-9 (विषय: आकांक्षा) - Open Books Online2024-03-29T08:08:23Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/9-1?commentId=5170231%3AComment%3A728939&x=1&feed=yes&xn_auth=noबहुत मार्मिक क्षण आपने उकेरा…tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289392015-12-31T18:47:09.013Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
बहुत मार्मिक क्षण आपने उकेरा विनय जी ।बधाईयाँ आपको
बहुत मार्मिक क्षण आपने उकेरा विनय जी ।बधाईयाँ आपको दिल से शुक्रिया :)tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7288652015-12-31T18:35:23.241Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>दिल से शुक्रिया :)</p>
<p>दिल से शुक्रिया :)</p> आदरणीय भैया बधाई गोष्ठी की सफ…tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7287772015-12-31T18:34:53.516Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>आदरणीय भैया बधाई गोष्ठी की सफलता और न्यू इयर की भी _/\_ :)</p>
<p>आदरणीय भैया बधाई गोष्ठी की सफलता और न्यू इयर की भी _/\_ :)</p> ह्ह्ह्ह दिदिया बिटिया की शपिं…tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289382015-12-31T18:33:16.306Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>ह्ह्ह्ह दिदिया बिटिया की शपिंग और डाक्टर के चक्क्र में आजकल चकरिया गये हैं तनिक _/\_:)</p>
<p>ह्ह्ह्ह दिदिया बिटिया की शपिंग और डाक्टर के चक्क्र में आजकल चकरिया गये हैं तनिक _/\_:)</p> आभार आदरणीया सविता जीtag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289372015-12-31T18:32:27.148Zसतविन्द्र कुमार राणाhttps://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
आभार आदरणीया सविता जी
आभार आदरणीया सविता जी बहुत ईमानदार आकांक्षा... अपना…tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289362015-12-31T18:32:15.125ZSeema Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/Seemasingh
<p>बहुत ईमानदार आकांक्षा... अपना अधिकार चाहिए किसी की खैरात नहीं.. पंजाबियत से जुड़ कर स्वाभिमान और एक डिग्री ऊपर पहुँच गया.. विषय तो समसामयिक है ही..साथ भाषा ने इसे और भी शानदार बना दिया... मंजीते की भावनाएं अपने भीतर बहती महसूस हुई..आपकी कथा का असर है या मौसम का शरीर थरथरा गया पढ़कर.. बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएँ... सुधीर भैया ईश्वर आपकी लेखनी को और समृद्धि प्रदान करें.</p>
<p>बहुत ईमानदार आकांक्षा... अपना अधिकार चाहिए किसी की खैरात नहीं.. पंजाबियत से जुड़ कर स्वाभिमान और एक डिग्री ऊपर पहुँच गया.. विषय तो समसामयिक है ही..साथ भाषा ने इसे और भी शानदार बना दिया... मंजीते की भावनाएं अपने भीतर बहती महसूस हुई..आपकी कथा का असर है या मौसम का शरीर थरथरा गया पढ़कर.. बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएँ... सुधीर भैया ईश्वर आपकी लेखनी को और समृद्धि प्रदान करें.</p> आभार भाई आपकाtag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289352015-12-31T18:31:48.984Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>आभार भाई आपका</p>
<p>आभार भाई आपका</p> दिल से शुक्रिया भैया _/\_tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7287762015-12-31T18:31:33.876Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>दिल से शुक्रिया भैया _/\_</p>
<p>दिल से शुक्रिया भैया _/\_</p> बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया स…tag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7289342015-12-31T18:31:33.410ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सविता मिश्र जी
बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सविता मिश्र जी आभार दीtag:openbooks.ning.com,2015-12-31:5170231:Comment:7288642015-12-31T18:31:15.446Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>आभार दी</p>
<p>आभार दी</p>