"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-76 - Open Books Online2024-03-29T14:53:33Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/76?id=5170231%3ATopic%3A807124&feed=yes&xn_auth=noमुशायरे को सफ़ल बनाने और उसमें…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8114502016-10-29T18:29:28.576ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मुशायरे को सफ़ल बनाने और उसमें सहभागिता के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद ।
मुशायरे को सफ़ल बनाने और उसमें सहभागिता के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद । ग़ज़ल के इस सार्थक प्रयास हेतु…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8112742016-10-29T18:26:18.367ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>ग़ज़ल के इस सार्थक प्रयास हेतु आपको दिल से मुबारक़बाद आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।</p>
<p>ग़ज़ल के इस सार्थक प्रयास हेतु आपको दिल से मुबारक़बाद आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।</p> है और ही कोई लगता हिजाब पहने…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8115242016-10-29T18:16:34.259Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p>है और ही कोई लगता हिजाब पहने हुए <br/>मिला नहीं कोई मुझको नकाब पहने हुए</p>
<p>अभी नहीं कोई जो हम दिखा गया है जहाँ <br/>सवाल रात ये दिन में जवाब पहने हुए</p>
<p>मै मांगने को खडा हूँ बज़ार को ऐ जहाँ <br/>मगर कहाँ कोई रखता ख्वाब पहने हुए</p>
<p>जरा कोई तो बताए ये रात क्या है अभी <br/>'सितारे ओढे हुए माहताब पहने हुए'</p>
<p>कहा उसे जो हमें भी कहाँ है याद रहा <br/>है जिंदगी तो तेरी इक किताब पहने हुए</p>
<p></p>
<p><strong>"मौलिक व अप्रकाशित"</strong></p>
<p>है और ही कोई लगता हिजाब पहने हुए <br/>मिला नहीं कोई मुझको नकाब पहने हुए</p>
<p>अभी नहीं कोई जो हम दिखा गया है जहाँ <br/>सवाल रात ये दिन में जवाब पहने हुए</p>
<p>मै मांगने को खडा हूँ बज़ार को ऐ जहाँ <br/>मगर कहाँ कोई रखता ख्वाब पहने हुए</p>
<p>जरा कोई तो बताए ये रात क्या है अभी <br/>'सितारे ओढे हुए माहताब पहने हुए'</p>
<p>कहा उसे जो हमें भी कहाँ है याद रहा <br/>है जिंदगी तो तेरी इक किताब पहने हुए</p>
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<p><strong>"मौलिक व अप्रकाशित"</strong></p> गुरप्रीत जी, सुंदर गज़ल कहने…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8113582016-10-29T17:44:27.117Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> गुरप्रीत जी, सुंदर गज़ल कहने की बधाई कुबूल करो </p>
<p> गुरप्रीत जी, सुंदर गज़ल कहने की बधाई कुबूल करो </p> बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आदरणीय अज…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8115222016-10-29T17:36:51.449ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आदरणीय अजीत भाई जी आपने। मेरी तरफ हार्दिक बधाई प्रेषित है।</p>
<p></p>
<p>बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आदरणीय अजीत भाई जी आपने। मेरी तरफ हार्दिक बधाई प्रेषित है।</p>
<p></p> आदरणीया रवि सर, इस ख़ूबसूरत ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8115212016-10-29T17:29:59.430ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीया रवि सर, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ।</p>
<p>आदरणीया रवि सर, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ।</p> बेहद उम्दा ग़ज़ल है आदरणीया राज…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8113572016-10-29T17:26:51.150ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बेहद उम्दा ग़ज़ल है आदरणीया राजेश मैम। दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ। तीसरे शेर के सानी में क्या "वो" की जगह "जो" किया जा सकता है? देख लीजिएगा। सादर!</p>
<p>बेहद उम्दा ग़ज़ल है आदरणीया राजेश मैम। दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ। तीसरे शेर के सानी में क्या "वो" की जगह "जो" किया जा सकता है? देख लीजिएगा। सादर!</p> बहुत उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय शिज्…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8113562016-10-29T17:14:42.104ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बहुत उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय शिज्जु सर। हार्दिक बधाई!</p>
<p>बहुत उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय शिज्जु सर। हार्दिक बधाई!</p> उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ अह…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8113552016-10-29T17:12:22.605ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी। दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ।</p>
<p>उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी। दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फरमाएँ।</p> जी मेरे लिए भी एक सबक है |साद…tag:openbooks.ning.com,2016-10-29:5170231:Comment:8112732016-10-29T17:10:29.869ZKalipad Prasad Mandalhttps://openbooks.ning.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>जी मेरे लिए भी एक सबक है |सादर </p>
<p>जी मेरे लिए भी एक सबक है |सादर </p>