"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-75 - Open Books Online2024-03-29T11:06:02Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/75-1?commentId=5170231%3AComment%3A803086&feed=yes&xn_auth=noस्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु सा…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8035242016-09-24T18:18:20.835ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी।
स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी। सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय म…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8033892016-09-24T18:17:15.327ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय महेन्द्र कुमार जी।
सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय महेन्द्र कुमार जी। हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8035232016-09-24T18:16:36.507ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब अशोक कुमार रक्ताले साहब।
हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब अशोक कुमार रक्ताले साहब। सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अ…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8033882016-09-24T18:15:37.041ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अजीत शर्मा जी।
सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अजीत शर्मा जी। शुक्रिया जनाब महेन्द्र कुमार…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8036092016-09-24T18:14:37.143ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
शुक्रिया जनाब महेन्द्र कुमार जी।
शुक्रिया जनाब महेन्द्र कुमार जी। शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8033872016-09-24T18:13:34.765ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब। जी बिलकुल सही कहा आपने। रचना…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8033862016-09-24T18:12:22.037ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
जी बिलकुल सही कहा आपने। रचना पर समय देकर समझाइश हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मंच श्री योगराज प्रभाकर जी।
जी बिलकुल सही कहा आपने। रचना पर समय देकर समझाइश हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मंच श्री योगराज प्रभाकर जी। जनाब रेक्टर कथूरिया जी आदाब,ग़…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8034452016-09-24T18:05:54.234ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रेक्टर कथूरिया जी आदाब,ग़ज़ल पर आपका प्रयास अच्छा है लेकिन अभी अभ्यास की सख़्त ज़रूरत है,मुशायरे में सहभागिता के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।<br />
ओबीओ मंच पर अपनी सक्रियता बनाए रखें, आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा,और जनाब रवि शुक्ल जी की बात पर ध्यान दें ।
जनाब रेक्टर कथूरिया जी आदाब,ग़ज़ल पर आपका प्रयास अच्छा है लेकिन अभी अभ्यास की सख़्त ज़रूरत है,मुशायरे में सहभागिता के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।<br />
ओबीओ मंच पर अपनी सक्रियता बनाए रखें, आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा,और जनाब रवि शुक्ल जी की बात पर ध्यान दें । जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,वा…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8033852016-09-24T17:59:41.723ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,वाह वाह,बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
<br />
"तराशो खुद को ऐ' बन्दे बढ़ा लो मोल अपना तुम।<br />
तराशे हीरे' की दुनिया में' कीमत और हो जाती।।"<br />
<br />
इस शैर के ऊला मिसरे में 'बन्दे' एक वचन है और आगे बात बहुवचन में हो रही है ,'बढ़ा लो मोल अपना तुम',मुनासिब ये होगा की 'बन्दे' को "बन्दों" कर लें ।<br />
<br />
ज़िहादी-जिहादी ।
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,वाह वाह,बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
<br />
"तराशो खुद को ऐ' बन्दे बढ़ा लो मोल अपना तुम।<br />
तराशे हीरे' की दुनिया में' कीमत और हो जाती।।"<br />
<br />
इस शैर के ऊला मिसरे में 'बन्दे' एक वचन है और आगे बात बहुवचन में हो रही है ,'बढ़ा लो मोल अपना तुम',मुनासिब ये होगा की 'बन्दे' को "बन्दों" कर लें ।<br />
<br />
ज़िहादी-जिहादी । मोहतरमा सरिता पंथी जी आदाब,बह…tag:openbooks.ning.com,2016-09-24:5170231:Comment:8035222016-09-24T17:49:30.311ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
मोहतरमा सरिता पंथी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
आपकी ग़ज़ल पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई ,आगे भी आपसे बहुत सी उम्मीदें वाबस्ता की हैं ,"अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़ियादा"
मोहतरमा सरिता पंथी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।<br />
आपकी ग़ज़ल पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई ,आगे भी आपसे बहुत सी उम्मीदें वाबस्ता की हैं ,"अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़ियादा"