"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-68 (विषय: संकटकाल) - Open Books Online2024-03-29T00:52:47Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/68-4?commentId=5170231%3AComment%3A1037837&feed=yes&xn_auth=noआज की गोष्ठी में.विषयांतर्गत…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10379452020-11-30T18:58:44.511ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आज की गोष्ठी में.विषयांतर्गत सहभागिता बढ़िया रही। यदि सहभागिता कम हो पा.रही है, तो.इस गोष्ठी को नववर्ष में नया रूप दिया जा सकता है आदरणीय मंच संचालक महोदय।</p>
<p>इसे.त्रैमासिक बनाया जा सकता है.एक साथ तीन विषय सूचना में देकर। अथवा लघुकथा गोष्ठी क्रमांक -1 से नोस्टाल्जिया शुरू कर श्रेष्ठ लघुकथाओं पर टिप्पणियां या समीक्षा आमंत्रित की जा सकती हैं। सुझाव मात्र। </p>
<p>शुभ रात्रि।</p>
<p>आज की गोष्ठी में.विषयांतर्गत सहभागिता बढ़िया रही। यदि सहभागिता कम हो पा.रही है, तो.इस गोष्ठी को नववर्ष में नया रूप दिया जा सकता है आदरणीय मंच संचालक महोदय।</p>
<p>इसे.त्रैमासिक बनाया जा सकता है.एक साथ तीन विषय सूचना में देकर। अथवा लघुकथा गोष्ठी क्रमांक -1 से नोस्टाल्जिया शुरू कर श्रेष्ठ लघुकथाओं पर टिप्पणियां या समीक्षा आमंत्रित की जा सकती हैं। सुझाव मात्र। </p>
<p>शुभ रात्रि।</p> आपने रचना के मूल भाव को यानी…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10379442020-11-30T18:54:48.745ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आपने रचना के मूल भाव को यानी संकटकाल को सही तरह से पकड़ा है। स्पष्टता कहाँ कम है, यह भी बताइएगा।</p>
<p>आपने रचना के मूल भाव को यानी संकटकाल को सही तरह से पकड़ा है। स्पष्टता कहाँ कम है, यह भी बताइएगा।</p> आदाब। रचना पर प्रोत्साहक टिप्…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10379432020-11-30T18:52:23.401ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना पर प्रोत्साहक टिप्पणी और मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।</p>
<p>आदाब। रचना पर प्रोत्साहक टिप्पणी और मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।</p> आदरणीया प्रतिभा जी,आपका दिली…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10379402020-11-30T14:44:00.751ZManan Kumar singhhttps://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आदरणीया प्रतिभा जी,आपका दिली आभार।मेरी लघुकथाएं आपका ध्यान आकृष्ट करती हैं,यह मेरा सौभाग्य है।</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा जी,आपका दिली आभार।मेरी लघुकथाएं आपका ध्यान आकृष्ट करती हैं,यह मेरा सौभाग्य है।</p> ठसाठस भरी बस में माँ और शिशु…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10380142020-11-30T13:19:51.946Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>ठसाठस भरी बस में माँ और शिशु की समस्या। अगर मैं सही समझी हूँ तो आपने इशारों में आज के संकटकाल की बात कही है जहाँ कुछ नियमों का पालन कर रहे हैं कुछ नहीं।हार्दिक बधाई इस प्रस्तुती पर। कुछ और स्पष्टता की आवश्यकता मुझे लग रही है।</p>
<p>ठसाठस भरी बस में माँ और शिशु की समस्या। अगर मैं सही समझी हूँ तो आपने इशारों में आज के संकटकाल की बात कही है जहाँ कुछ नियमों का पालन कर रहे हैं कुछ नहीं।हार्दिक बधाई इस प्रस्तुती पर। कुछ और स्पष्टता की आवश्यकता मुझे लग रही है।</p> हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी ज…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10380132020-11-30T12:37:16.895Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।</p> नियमानुसार (लघुकथा) :
विकासशी…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10378432020-11-30T09:42:54.106ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>नियमानुसार (लघुकथा) :</p>
<p><br></br>विकासशील गाँव की शिक्षित सवारियाँ, बहू और ससुर, भीषण गर्मी में शहर की ठसाठस भरी बस में यात्रा कर रही थीं। बहू की गोद में भूखा शिशु बिलख कर रो रहा था। बहू ने इधर-उधर दृष्टि घुमाई। शिशु को सिखाये गये नियमानुसार स्तनपान कराने लगी। उसी सीट पर बगल में बैठे शिक्षित बुज़ुर्ग ससुर ने इधर-उधर देखा और मुँह फेर कर खिड़की के बाहर देखने लगा। बगल की सीट पर बैठे शिक्षित युवक और खड़े हुए शिक्षित पुरुषों ने इधर-उधर नज़रें घुमाकर बहू की छाती पर लहराते पल्लू पर दृष्टियाँँ टिका…</p>
<p>नियमानुसार (लघुकथा) :</p>
<p><br/>विकासशील गाँव की शिक्षित सवारियाँ, बहू और ससुर, भीषण गर्मी में शहर की ठसाठस भरी बस में यात्रा कर रही थीं। बहू की गोद में भूखा शिशु बिलख कर रो रहा था। बहू ने इधर-उधर दृष्टि घुमाई। शिशु को सिखाये गये नियमानुसार स्तनपान कराने लगी। उसी सीट पर बगल में बैठे शिक्षित बुज़ुर्ग ससुर ने इधर-उधर देखा और मुँह फेर कर खिड़की के बाहर देखने लगा। बगल की सीट पर बैठे शिक्षित युवक और खड़े हुए शिक्षित पुरुषों ने इधर-उधर नज़रें घुमाकर बहू की छाती पर लहराते पल्लू पर दृष्टियाँँ टिका दीं। ढका हुआ शिशु इधर-उधर हाथ-पैर हिला-हिला कर ज़ोर से रोता रहा। बहू नियमानुसार स्तनपान न करा पाने पर इधर-उधर देखकर पल्लू सँभालती रही। शिक्षित युवकों और पुरुषों की आँखों को सुख अंशों में मिलता रहा। शिशु आंशिक दुग्धपान करता रहा। बहू स्तनपान नियमों का आंशिक पालन करती रही। ससुर जी का सहयोग पूरा रहा। खिड़की के बाहर झांकते रहे। जनरेशन गैप कहीं दूर हुआ, कहीं बना रहा। शिक्षित औरत पर दृष्टि-वार होता रहा।</p>
<p><br/>(मौलिक व अप्रकाशित)</p> आदाब। 'भेड़िये', 'मेमने' और…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10379352020-11-30T09:14:46.997ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। 'भेड़िये', 'मेमने' और 'महाराज शेर' के बिम्बों में कटाक्षपूर्ण, विचारोत्तेजक, आगाह करती बहुत बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। तारांकित *** पंक्ति लगाने की आवश्यकता नहीं है नियमानुसार। सादर।</p>
<p>आदाब। 'भेड़िये', 'मेमने' और 'महाराज शेर' के बिम्बों में कटाक्षपूर्ण, विचारोत्तेजक, आगाह करती बहुत बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। तारांकित *** पंक्ति लगाने की आवश्यकता नहीं है नियमानुसार। सादर।</p> अच्छी रचना आदरणीय। हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10380082020-11-30T07:31:04.490Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>अच्छी रचना आदरणीय। हार्दिक बधाई। आदरणीय उस्मानी जी से सहमत।</p>
<p>अच्छी रचना आदरणीय। हार्दिक बधाई। आदरणीय उस्मानी जी से सहमत।</p> सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई।…tag:openbooks.ning.com,2020-11-30:5170231:Comment:10378422020-11-30T07:21:54.957Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई। पर जैसा कि आदरणीय उस्मानी जी ने कहा है, आपवाला तेवर थोड़ा मिसिंग है। </p>
<p>सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई। पर जैसा कि आदरणीय उस्मानी जी ने कहा है, आपवाला तेवर थोड़ा मिसिंग है। </p>