"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-67 (विषय: तलाश) - Open Books Online2024-03-29T04:50:58Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/67-4?commentId=5170231%3AComment%3A1036440&feed=yes&xn_auth=noआदाब। विषयांतर्गत बढ़िया विचार…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10363682020-10-31T18:28:20.094ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। विषयांतर्गत बढ़िया विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। रचना अभी और समय व सम्पादन माँग रही है। इसे आप केवल संवादात्मक शैली में भी कह सकती हैं बोलचाल के सरलतम संवादों में।</p>
<p>आदाब। विषयांतर्गत बढ़िया विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। रचना अभी और समय व सम्पादन माँग रही है। इसे आप केवल संवादात्मक शैली में भी कह सकती हैं बोलचाल के सरलतम संवादों में।</p> आदाब। महिला विमर्श की एक बढ़िय…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10365172020-10-31T18:27:04.950ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। महिला विमर्श की एक बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया कनक हरलाल्का जी।शैली भी अच्छी है। लेकिन रचना को थोड़ा और समय चाहिए।</p>
<p>आदाब। महिला विमर्श की एक बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया कनक हरलाल्का जी।शैली भी अच्छी है। लेकिन रचना को थोड़ा और समय चाहिए।</p> सादर नमस्कार। वाह। इस गोष्ठी…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10364482020-10-31T18:22:41.917ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। वाह। इस गोष्ठी की सबसे अलग बेहतरीन लघुकथा। संकेतों में बेहद तंजदार। हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह साहिब।</p>
<p> इस भाग को भी इंवर्टिड कौमाज़ में रखते हुए एक वाक्यांश जोड़ना था : //<span>वे पहले तो हमें दाना देते रहे।फिर धीरे धीरे हमारे पर कुतरते रहे।हुआ ऐसा कि पर होने पर भी हम अपना दाना खुद चुगने की जहमत से दूर होते गए।आज भूखों मरने की नौबत आ गई।// ... <strong>पश्चाताप के सुर गूंज उठे! </strong>ऐसे शीर्षक दोहराये जा चुके हैं। कोई नया व बेहतर भी…</span></p>
<p>सादर नमस्कार। वाह। इस गोष्ठी की सबसे अलग बेहतरीन लघुकथा। संकेतों में बेहद तंजदार। हार्दिक बधाई जनाब मनन कुमार सिंह साहिब।</p>
<p> इस भाग को भी इंवर्टिड कौमाज़ में रखते हुए एक वाक्यांश जोड़ना था : //<span>वे पहले तो हमें दाना देते रहे।फिर धीरे धीरे हमारे पर कुतरते रहे।हुआ ऐसा कि पर होने पर भी हम अपना दाना खुद चुगने की जहमत से दूर होते गए।आज भूखों मरने की नौबत आ गई।// ... <strong>पश्चाताप के सुर गूंज उठे! </strong>ऐसे शीर्षक दोहराये जा चुके हैं। कोई नया व बेहतर भी सोचिएगा। </span></p>
<p><em>सुझाव - /पंख वाले!/, /बहलियों से न बहलिये!/, /बहलाते बहलिये/, /भाग के लिए भाग!/....</em></p> आदाब। अव्वल तो 'लघु कथा-कार'…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10365162020-10-31T18:04:34.232ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। अव्वल तो 'लघु कथा-कार' ग़लत और लापरवाही युक्त टंकण है। विधागत सही संज्ञा शब्द हैं '<strong>लघुकथा</strong>' और '<strong>लघुकथाकार</strong>'। दूसरी बात यह कि आपको सर्वप्रथम इस विधा पर आदरणीय संपादक/संचालक महोदय केे विश्व प्रसिद्ध आलेख व पुस्तकें/विशेषाांंक 'रचना प्रक्रिया'/ लघुकथा कलश आदि पढ़ने की व समझने की आवश्यकता है।</p>
<p>जहाँ तक इस रचना की बात है; यह एक पूर्णतः सफल संवादात्मक शैली की सकारात्मक लघुकथा है 'लचर या अविश्वसनीय' जैसे शब्दों वाली टिप्पणी हेतु कतई नहीं। आपको लघुकथा विधा व…</p>
<p>आदाब। अव्वल तो 'लघु कथा-कार' ग़लत और लापरवाही युक्त टंकण है। विधागत सही संज्ञा शब्द हैं '<strong>लघुकथा</strong>' और '<strong>लघुकथाकार</strong>'। दूसरी बात यह कि आपको सर्वप्रथम इस विधा पर आदरणीय संपादक/संचालक महोदय केे विश्व प्रसिद्ध आलेख व पुस्तकें/विशेषाांंक 'रचना प्रक्रिया'/ लघुकथा कलश आदि पढ़ने की व समझने की आवश्यकता है।</p>
<p>जहाँ तक इस रचना की बात है; यह एक पूर्णतः सफल संवादात्मक शैली की सकारात्मक लघुकथा है 'लचर या अविश्वसनीय' जैसे शब्दों वाली टिप्पणी हेतु कतई नहीं। आपको लघुकथा विधा व इसकी विभिन्न लेखन शैलियोंपूरी जानकारी लेने के बाद ही मंच की बढ़िया परम्परा अनुसार टिप्पणी करनी चाहिए थी आदरणीय चेतन प्रकाश जी। सादर।</p> आदाब। संवादात्मक शैली में एक…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10364472020-10-31T17:53:34.852ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। संवादात्मक शैली में एक स्वभाविक यथार्थवादी प्रेरक सकारात्मक लघुकथा। हार्दिक बधाई जनाब तेजवीर सिंह साहिब। शीर्षक कोई बेहतर भी हो सकता था।</p>
<p>आदाब। संवादात्मक शैली में एक स्वभाविक यथार्थवादी प्रेरक सकारात्मक लघुकथा। हार्दिक बधाई जनाब तेजवीर सिंह साहिब। शीर्षक कोई बेहतर भी हो सकता था।</p> आदाब। जनाब अनिल मकरिया साहिब,…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10363672020-10-31T17:49:27.211ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। जनाब अनिल मकरिया साहिब, एक अच्छे विषय पर उम्दा तरीक़े से प्रदत्त विषयांतर्गत लिखा है आपने। हार्दिक बधाई। शीर्षक रचना की तरफ़ पाठक को आकर्षित करता है और आरंभ भी। किंतु समापन में कुछ कम समय दिया गया है। पहले वाक्य में 'बोली' की जगह 'बड़बड़ाते हुए बोली'लिखा जा सकता है।</p>
<p>आरंभिक पंक्तियों के बाद उसी भाव के इस वाक्यांश की आवश्यकता नहीं लगती : //<span>सुजाता अपनी तीन साल पुरानी शादी में पति की शराब की लत से इतनी परेशान नही थी,..// इसी प्रकार लेखकीय विचार सा लगता वाक्यांश //एक खूबसूरत,…</span></p>
<p>आदाब। जनाब अनिल मकरिया साहिब, एक अच्छे विषय पर उम्दा तरीक़े से प्रदत्त विषयांतर्गत लिखा है आपने। हार्दिक बधाई। शीर्षक रचना की तरफ़ पाठक को आकर्षित करता है और आरंभ भी। किंतु समापन में कुछ कम समय दिया गया है। पहले वाक्य में 'बोली' की जगह 'बड़बड़ाते हुए बोली'लिखा जा सकता है।</p>
<p>आरंभिक पंक्तियों के बाद उसी भाव के इस वाक्यांश की आवश्यकता नहीं लगती : //<span>सुजाता अपनी तीन साल पुरानी शादी में पति की शराब की लत से इतनी परेशान नही थी,..// इसी प्रकार लेखकीय विचार सा लगता वाक्यांश //एक खूबसूरत, पढ़ीलिखी औरत के लिए अपने पति द्वारा की गई अनदेखी बेहद कष्टदायक होती है..// भी पत्नी के बड़बड़ाने या सोचने में शामिल किया जा सकता हैै। // 'मर्द के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है' माई की कही हुई यह बात..// यहाँ 'माही'से आशय क्या है? यह भाग या तो पहले वाक्य के.बाद हो सकता है मेरे विचार से, या लघुकथा यहाँ से भी शुरु कर कुुछ कसी जा सकती है। मतलब यह कि की कुुशल लेेेखनी इस रचना को बेहतर रूप दे सकती है। सादर।</span></p>
<p></p> संपन्न जिंदगी के खालीपन का दु…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10365152020-10-31T17:43:54.481Zpratibha pandehttps://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>संपन्न जिंदगी के खालीपन का दुख और विपन्न अतीत की तलाश। अच्छी भावनात्मक रचना। हार्दिक बधाई</p>
<p>संपन्न जिंदगी के खालीपन का दुख और विपन्न अतीत की तलाश। अच्छी भावनात्मक रचना। हार्दिक बधाई</p> मान्यवर, श्री तेजवीर सिंह, नम…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10363662020-10-31T17:38:53.765ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>मान्यवर, श्री तेजवीर सिंह, नमस्ते ! इस परिवार में आप वरिष्ठ लघु कथा-कार की हैसीयत रखते हैं। बंधुवर, मुझे आपकी प्रविष्टि का इ्ंतजा़र था। कारण, मुझ जैसा छोटा कथाकार को, जिसकी प्रस्तुति को आपकी विपरीत संस्तुति के रहते पटल से एप्रूव होने पर भी हटा दिया गया था, आपकी लघु-कथा के माध्यम से मार्ग- दर्शन की अपेक्षा रखता था। सच्ची बात कहना गुनाह तो मैं ये गुनाह जान बूझकर कर रहा हूँ, बंधुवर। मुझे ऐसी लचर और अविश्वसनीय कथा की अपेक्षा आप से बिल्कुल नही थीं । शुभ रात्रि !</p>
<p>मान्यवर, श्री तेजवीर सिंह, नमस्ते ! इस परिवार में आप वरिष्ठ लघु कथा-कार की हैसीयत रखते हैं। बंधुवर, मुझे आपकी प्रविष्टि का इ्ंतजा़र था। कारण, मुझ जैसा छोटा कथाकार को, जिसकी प्रस्तुति को आपकी विपरीत संस्तुति के रहते पटल से एप्रूव होने पर भी हटा दिया गया था, आपकी लघु-कथा के माध्यम से मार्ग- दर्शन की अपेक्षा रखता था। सच्ची बात कहना गुनाह तो मैं ये गुनाह जान बूझकर कर रहा हूँ, बंधुवर। मुझे ऐसी लचर और अविश्वसनीय कथा की अपेक्षा आप से बिल्कुल नही थीं । शुभ रात्रि !</p> सादर नमस्कार। आपकी टिप्पणियों…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10362552020-10-31T17:31:56.246ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। आपकी टिप्पणियों की इसी कारण प्रतीक्षा रहती है कि बेहतरीन मार्गदर्शन हासिल हो सकेगा। सही कहा आपने। लेकिन मुझे इसी शैली का अभ्यास करना था। आपके द्वारा बताई गई मिश्रित शैली में भी अब अभ्यास करूंगा और शायद पहले किसी रचना में कर भी चुका हूँ जहाँ टिप्पणी में कहा गया था कि मिश्रित की बजाए पूरी तरह डायरी शैली हो। इसी तरह पूरी तरह पत्रशैली का सुझाव एक जगह कहीं पढ़ा था। सादर।</p>
<p>सादर नमस्कार। आपकी टिप्पणियों की इसी कारण प्रतीक्षा रहती है कि बेहतरीन मार्गदर्शन हासिल हो सकेगा। सही कहा आपने। लेकिन मुझे इसी शैली का अभ्यास करना था। आपके द्वारा बताई गई मिश्रित शैली में भी अब अभ्यास करूंगा और शायद पहले किसी रचना में कर भी चुका हूँ जहाँ टिप्पणी में कहा गया था कि मिश्रित की बजाए पूरी तरह डायरी शैली हो। इसी तरह पूरी तरह पत्रशैली का सुझाव एक जगह कहीं पढ़ा था। सादर।</p> आदाब। मेरी इस प्रविष्टि का अव…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10363652020-10-31T17:26:58.494ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। मेरी इस प्रविष्टि का अवलोकन करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कनक हरलाल्का जी।</p>
<p>आदाब। मेरी इस प्रविष्टि का अवलोकन करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कनक हरलाल्का जी।</p>