"ओ.बी.ओ. लाइव महा उत्सव" अंक-65 - Open Books Online2024-03-28T23:28:49Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/65-1?commentId=5170231%3AComment%3A749154&feed=yes&xn_auth=noजी सर ये वाकई मेरी पहली प्रस्…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7499442016-03-12T18:31:29.591Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
जी सर ये वाकई मेरी पहली प्रस्तुती है गीत विधा पर।आभ्यास से सिखने का प्रयत्न कर रही हू
जी सर ये वाकई मेरी पहली प्रस्तुती है गीत विधा पर।आभ्यास से सिखने का प्रयत्न कर रही हू "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-6…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7498492016-03-12T18:31:18.147Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-65 की सफलता हेतु आप सभी सुधीजनों को हार्दिक बधाई. आयोजन में सहभागिता हेतु सभी सुधीजनों का हार्दिक आभार.</strong></p>
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-65 की सफलता हेतु आप सभी सुधीजनों को हार्दिक बधाई. आयोजन में सहभागिता हेतु सभी सुधीजनों का हार्दिक आभार.</strong></p> आदरणीय मिथिलेश भाई, खेद है मै…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7499432016-03-12T18:30:10.798ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय मिथिलेश भाई, खेद है मैं किसी काम से बाहर गया था और आयोजन से करीब छः घण्टे दूर रहा. अभी-अभी वापस आ रहा हूँ. </p>
<p>आपने जिस तन्मयता और जिस आत्मीयता से इस रचना को आत्मसात किया है; फिर जैसी आपने विवेचना की है, वह एक रचनाकार के तौर पर अत्यंत संतोष दे रहा है.</p>
<p>वस्तुतः, अपने मंच पर --किसी विशेष को इंगित कर नहीं कह रहा हूँ-- पाठकत्व का घोर ह्रास हुआ है.</p>
<p>आपकी प्रस्तुत विवेचना उदाहरण के तौर पर सामने रखी जानी चाहिए. इसलिए नहीं कि आपने रचना के लिए कुछ मीठे और अच्छे शब्द कहे हैं.…</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश भाई, खेद है मैं किसी काम से बाहर गया था और आयोजन से करीब छः घण्टे दूर रहा. अभी-अभी वापस आ रहा हूँ. </p>
<p>आपने जिस तन्मयता और जिस आत्मीयता से इस रचना को आत्मसात किया है; फिर जैसी आपने विवेचना की है, वह एक रचनाकार के तौर पर अत्यंत संतोष दे रहा है.</p>
<p>वस्तुतः, अपने मंच पर --किसी विशेष को इंगित कर नहीं कह रहा हूँ-- पाठकत्व का घोर ह्रास हुआ है.</p>
<p>आपकी प्रस्तुत विवेचना उदाहरण के तौर पर सामने रखी जानी चाहिए. इसलिए नहीं कि आपने रचना के लिए कुछ मीठे और अच्छे शब्द कहे हैं. बल्कि इसलिए कि अन्य पाठक भी समझें कि रचना के मर्म को समझना होता क्या है ! कभी यही बात आदरणीय योगराज भाई जी ने मुझे मेरी विवेचनाओं को ले कर मंच पर ही किसी आयोजन में कही थी. आज मैं उन्हीं का कहा आपसे कह रहा हूँ. </p>
<p>हो सकता है, कोई रचना किसी पाठक को नहीं समझ में आये तो वह इस तथ्य को भी कह दे, लेकिन वह साफ़ग़ोई से तो बचने का बहाना न ढूँढे. सही कहने से तो किनारा न कर ले. यही तो रचनाधर्मिता का मतलब है. </p>
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<p>खैर, इस पर फिर कभी. अभी तो आपसे मिली विवेचना को समझ कर अपने रचनाकर्म को और दृढ़ करने की सोच रहा हूँ. हार्दिक धन्यवाद</p>
<p> </p> चेतावनी और प्रार्थना, आह्वान…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7499422016-03-12T18:29:44.642ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
चेतावनी और प्रार्थना, आह्वान करती बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी।
चेतावनी और प्रार्थना, आह्वान करती बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी। आभार निरज जीtag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7497892016-03-12T18:29:12.629Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
आभार निरज जी
आभार निरज जी आभार सर हमेशा सकारात्मक टिप्प…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7498482016-03-12T18:28:38.959Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
आभार सर हमेशा सकारात्मक टिप्पणी के लिए
आभार सर हमेशा सकारात्मक टिप्पणी के लिए आभार आदरणीयtag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7498472016-03-12T18:27:03.316Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
आभार आदरणीय
आभार आदरणीय आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी कमि…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7498462016-03-12T18:26:43.918Zchouthmal jainhttps://openbooks.ning.com/profile/chouthmaljain
<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी कमियों की और ध्यान आकर्षित करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद।वैसे रचना करते समय मै नहीं जनता था की मै आल्हा छन्द की रचना कर रहा हूँ। आपने बताया तब जाना। पहले , तीसरे और सातवें चरण में मात्राएँ कम हैं। </p>
<p>आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी कमियों की और ध्यान आकर्षित करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद।वैसे रचना करते समय मै नहीं जनता था की मै आल्हा छन्द की रचना कर रहा हूँ। आपने बताया तब जाना। पहले , तीसरे और सातवें चरण में मात्राएँ कम हैं। </p> सुन्दर दोहावलि के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7499412016-03-12T18:24:21.695ZDr. (Mrs) Niraj Sharmahttps://openbooks.ning.com/profile/DrMrsNirajSharma
<p>सुन्दर दोहावलि के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. रमेश कुमार जी</p>
<p>सुन्दर दोहावलि के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. रमेश कुमार जी</p> रचना को अनुमोदित करने केलिए ह…tag:openbooks.ning.com,2016-03-12:5170231:Comment:7499402016-03-12T18:24:19.729ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>रचना को अनुमोदित करने केलिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय शेख शहज़ाद शेख साहब. </p>
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<p>रचना को अनुमोदित करने केलिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय शेख शहज़ाद शेख साहब. </p>
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