"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-64 - Open Books Online2024-03-28T14:47:59Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/64?commentId=5170231%3AComment%3A709127&feed=yes&xn_auth=noआयोजन ओ बी ओ लाइव तरही मुशायर…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7092552015-10-24T18:30:14.738Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आयोजन <span>ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 64 वें अंक </span>की सफलता हेतु सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई </p>
<p>आयोजन <span>ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 64 वें अंक </span>की सफलता हेतु सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई </p> अच्छे अशआर वाली इस ग़ज़ल पर प्र…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7092542015-10-24T18:28:44.649ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"https://openbooks.ning.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
अच्छे अशआर वाली इस ग़ज़ल पर प्रणाम्।<br />
<br />
ये बात बड़े होकर सब मान ही लेते है<br />
अपने ही दिमागों के डर अपने नहीं होते।।<br />
<br />
इसमें दिमागों नहीं होना चाहिए;<br />
<br />
यूँ हो सकता है-<br />
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है वहम दिमागी ये, डर अपने नहीं होते।
अच्छे अशआर वाली इस ग़ज़ल पर प्रणाम्।<br />
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ये बात बड़े होकर सब मान ही लेते है<br />
अपने ही दिमागों के डर अपने नहीं होते।।<br />
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इसमें दिमागों नहीं होना चाहिए;<br />
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यूँ हो सकता है-<br />
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है वहम दिमागी ये, डर अपने नहीं होते। मेरे कहे को मान देने के लिए आ…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7090952015-10-24T18:26:08.036Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आभार </p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आभार </p> बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7091652015-10-24T18:18:18.418Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित भाई जी </p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय जयनित भाई जी </p> आदरणीय सर
संशोधित प्रस्तुति…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7092532015-10-24T18:17:21.307Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय सर </p>
<p>संशोधित प्रस्तुति संकलन पश्चात् प्रस्तुत की जाती है. सादर </p>
<p>आदरणीय सर </p>
<p>संशोधित प्रस्तुति संकलन पश्चात् प्रस्तुत की जाती है. सादर </p> आदरणीय सफत जी शानदार ग़ज़ल हुई…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7093262015-10-24T18:15:57.852Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय सफत जी शानदार ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं. </p>
<p>आदरणीय सफत जी शानदार ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं. </p> आदरणीय उस्मानी जी इस प्रस्तुत…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7093252015-10-24T18:14:00.945Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय उस्मानी जी इस प्रस्तुति एवं सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय उस्मानी जी इस प्रस्तुति एवं सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई </p> आदरणीय प्रदीप जी इस प्रस्तुति…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7090932015-10-24T18:12:41.719Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय प्रदीप जी इस प्रस्तुति एवं सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी इस प्रस्तुति एवं सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई </p> आभार tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7093242015-10-24T18:11:42.802Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आभार </p>
<p>आभार </p> मेरे कहे को मान देने के लिए आ…tag:openbooks.ning.com,2015-10-24:5170231:Comment:7092522015-10-24T18:11:01.877Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आभार </p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए आभार </p>