"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-57 - Open Books Online2024-03-28T22:03:21Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/57?commentId=5170231%3AComment%3A635969&feed=yes&xn_auth=noग़ज़ब !tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6362232015-03-28T18:30:03.437ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>ग़ज़ब !</p>
<p>ग़ज़ब !</p> जनाब भुवन निस्तेज जी, नादिर ख…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6360692015-03-28T18:29:28.773ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब भुवन निस्तेज जी, नादिर ख़ान जी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, गुम्नाम जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया
जनाब भुवन निस्तेज जी, नादिर ख़ान जी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, गुम्नाम जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया हार्दिक धन्यवाद आदरणीय
tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6359842015-03-28T18:29:15.892ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
<p></p> आदरणीय सौरभ सर ,,किसी जिद में…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6361482015-03-28T18:27:37.425Zkhursheed khairadihttps://openbooks.ning.com/profile/khursheedkhairadi
<p>आदरणीय सौरभ सर ,,किसी जिद में आकर कोई संशय नहीं पालना चाहता हूं |आप मेरे अग्रज और प्रेरणास्त्रोत है ,आपकी बात हृदय से स्वीकार्य है |सादर आभार </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर ,,किसी जिद में आकर कोई संशय नहीं पालना चाहता हूं |आप मेरे अग्रज और प्रेरणास्त्रोत है ,आपकी बात हृदय से स्वीकार्य है |सादर आभार </p> जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,समय कम ह…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6359832015-03-28T18:27:15.458ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,समय कम है और आप से ग़ज़ल संबंधित बहुत सी बातें करना थी,फिर सही ,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,आपकी ग़ज़ल भी बहुत अच्छी हुई है उसके लिये भी मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं
जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,समय कम है और आप से ग़ज़ल संबंधित बहुत सी बातें करना थी,फिर सही ,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,आपकी ग़ज़ल भी बहुत अच्छी हुई है उसके लिये भी मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं //
हैरान मौलवी भी है इस बात प…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6361472015-03-28T18:25:44.705ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
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<p>हैरान मौलवी भी है इस बात पर बहुत</p>
<p>क्यों गाँव रोजादार है रमजान तो गया//</p>
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<p>यह शेर मुझे बहुत ही नजदीक लगा, अच्छी ग़ज़ल हुई है जिसपर दाद दे रहा हूँ कुबूल करें आदरणीय खुर्शीद साहब.</p>
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<p>हैरान मौलवी भी है इस बात पर बहुत</p>
<p>क्यों गाँव रोजादार है रमजान तो गया//</p>
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<p>यह शेर मुझे बहुत ही नजदीक लगा, अच्छी ग़ज़ल हुई है जिसपर दाद दे रहा हूँ कुबूल करें आदरणीय खुर्शीद साहब.</p> हा हा हा ये भी खूब कही सर,
सम…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6360682015-03-28T18:23:59.580Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>हा हा हा ये भी खूब कही सर,</p>
<p>समय समाप्ति की ओर है ....और आगे खुर्शीद सर का कमाल है </p>
<p>हा हा हा ये भी खूब कही सर,</p>
<p>समय समाप्ति की ओर है ....और आगे खुर्शीद सर का कमाल है </p> जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6359822015-03-28T18:22:44.873ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ | सादर आभार मोहतरम समर कबीर साह…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6361462015-03-28T18:22:11.952ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>सादर आभार मोहतरम समर कबीर साहब ..</p>
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<p>सादर आभार मोहतरम समर कबीर साहब ..</p>
<p></p> क्या कहने आदरणीय नाशवा साहब,…tag:openbooks.ning.com,2015-03-28:5170231:Comment:6359812015-03-28T18:22:03.660ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>क्या कहने आदरणीय नाशवा साहब, क्या खुबसूरत अशआर हुए हैं, मुंसिफ वाला शेर मुझे अधिक अच्छा लगा, बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>क्या कहने आदरणीय नाशवा साहब, क्या खुबसूरत अशआर हुए हैं, मुंसिफ वाला शेर मुझे अधिक अच्छा लगा, बधाई स्वीकार करें.</p>