"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-56 - Open Books Online2024-03-28T13:38:16Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/56?feed=yes&xn_auth=noसमय समाप्ति की और बढ़ रहा है,…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6237872015-02-28T18:30:29.124ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>समय समाप्ति की और बढ़ रहा है, सभी विद्वजनों का हार्दिक आभार ! सादर </p>
<p>समय समाप्ति की और बढ़ रहा है, सभी विद्वजनों का हार्दिक आभार ! सादर </p> आदरणीय Dayaram Methani जी ग़…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6237862015-02-28T18:25:58.798Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=2qqt23eskpofo" class="fn url">Dayaram Methani</a><span> </span>जी ग़ज़ल पर स्नेह और सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार </p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=2qqt23eskpofo" class="fn url">Dayaram Methani</a><span> </span>जी ग़ज़ल पर स्नेह और सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार </p> मैं तो इस ग़ज़ल पर होली के रंग…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6236842015-02-28T18:24:17.871ZHari Prakash Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/HariPrakashDubey
<p>मैं तो इस ग़ज़ल पर होली के रंग लग जाने के बाद निवेदन करूंगा :))))</p>
<p>मैं तो इस ग़ज़ल पर होली के रंग लग जाने के बाद निवेदन करूंगा :))))</p> ढूँढ़ ढूँढ़ कर जबाव दे रहे हो…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6236052015-02-28T18:23:22.704Zदिनेश कुमारhttps://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
ढूँढ़ ढूँढ़ कर जबाव दे रहे हो भाई मिथिलेश जी, क्या कहने। जज्बे को पुनः सलाम और शुभ रात्रि ।
ढूँढ़ ढूँढ़ कर जबाव दे रहे हो भाई मिथिलेश जी, क्या कहने। जज्बे को पुनः सलाम और शुभ रात्रि । शेर कोट करने के लिए आभार tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6238182015-02-28T18:23:20.417Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>शेर कोट करने के लिए आभार </p>
<p>शेर कोट करने के लिए आभार </p> कृपया ऊपर किये गए अनुरोध का प…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6236832015-02-28T18:23:17.243ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>कृपया ऊपर किये गए अनुरोध का पुनः स्मरण करें ....<br/><br/></p>
<p><strong>विशेष अनुरोध:-</strong></p>
<p>सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | </p>
<p>कृपया ऊपर किये गए अनुरोध का पुनः स्मरण करें ....<br/><br/></p>
<p><strong>विशेष अनुरोध:-</strong></p>
<p>सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | </p> हाँ सर जी कई जगह गलतियां हुईं…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6236822015-02-28T18:22:54.689Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>हाँ सर जी कई जगह गलतियां हुईं हैं १,२ जगह मात्राओं को गिनने में भी गलतियां हुईं है और मज़बूरियाँ पे तो बलंडर मिस्टेक हो गया । रचना में समय नहीं दे पाया क्षमा प्रार्थी हूँ । </p>
<p>हाँ सर जी कई जगह गलतियां हुईं हैं १,२ जगह मात्राओं को गिनने में भी गलतियां हुईं है और मज़बूरियाँ पे तो बलंडर मिस्टेक हो गया । रचना में समय नहीं दे पाया क्षमा प्रार्थी हूँ । </p> मिस्टेक तो मिस्टेक है दिनेश भ…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6236812015-02-28T18:20:25.734Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>मिस्टेक तो मिस्टेक है दिनेश भाई </p>
<p>मिस्टेक तो मिस्टेक है दिनेश भाई </p> आदरणीय मंच संचालक जी से अनुर…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6238172015-02-28T18:04:49.954Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p></p>
<p>आदरणीय मंच संचालक जी से अनुरोध है कि, यदि संभव हो तो मेरी पिछली पोस्ट को इस पोस्ट से बदल दें सादर ...</p>
<p></p>
<p>अजब चलन है के अब यारियाँ नहीं चलतीं<br></br>नफा न हो तो, वफादारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>नये ज़माने की अय्यारियाँ नहीं चलतीं<br></br>हसद की बुग्ज़ की, बीमारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>बिला वजह की तरफदारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p>अमल अगर न हो, तैय्यारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>निकल पड़े हैं सफर में वो हौसला लेकर <br></br>कि हौंसला हो तो, दुश्वारियाँ नहीं…</p>
<p></p>
<p>आदरणीय मंच संचालक जी से अनुरोध है कि, यदि संभव हो तो मेरी पिछली पोस्ट को इस पोस्ट से बदल दें सादर ...</p>
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<p>अजब चलन है के अब यारियाँ नहीं चलतीं<br/>नफा न हो तो, वफादारियाँ नहीं चलतीं</p>
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<p>नये ज़माने की अय्यारियाँ नहीं चलतीं<br/>हसद की बुग्ज़ की, बीमारियाँ नहीं चलतीं</p>
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<p>बिला वजह की तरफदारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p>अमल अगर न हो, तैय्यारियाँ नहीं चलतीं</p>
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<p>निकल पड़े हैं सफर में वो हौसला लेकर <br/>कि हौंसला हो तो, दुश्वारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>मज़ा कुछ और है दिल प्यार में लुटाने का <br/>दिलों के खेल में खुद्दारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>तुम्हें तलाश है जिसकी ख़ुदा अता कर दे <br/>किसी का छीन के सरदारियाँ नहीं चलतीं</p>
<p></p>
<p>जो असलियत है, नज़र सबको आती है साहब <br/>ये मुफ़लिसी की अदाकारियाँ नहीं चलतीं।</p> वाह वाह, तीन - तीन मतला !! कह…tag:openbooks.ning.com,2015-02-28:5170231:Comment:6238142015-02-28T17:57:30.294ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>वाह वाह, तीन - तीन मतला !! कहाँ से काफिया जुगाड़ कर लिए बंधू . बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल, </p>
<p><span>नफा न हो तो, <span style="text-decoration: underline;">वफादरियाँ</span> नहीं चलतीं ....टाइपिंग त्रुटि देख लें या इस आयोजन में बहुचर्चित शब्द "क्लेरिकल मिस्टेक" देख लें, मजबूरियाँ काफिया ...इ ना चोलबे :-)</span></p>
<p>बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय नादिर साहब.</p>
<p>वाह वाह, तीन - तीन मतला !! कहाँ से काफिया जुगाड़ कर लिए बंधू . बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल, </p>
<p><span>नफा न हो तो, <span style="text-decoration: underline;">वफादरियाँ</span> नहीं चलतीं ....टाइपिंग त्रुटि देख लें या इस आयोजन में बहुचर्चित शब्द "क्लेरिकल मिस्टेक" देख लें, मजबूरियाँ काफिया ...इ ना चोलबे :-)</span></p>
<p>बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय नादिर साहब.</p>