ओबीओ लाइव महोत्सव अंक-55 की समस्त स्वीकृत रचनाओं का संकलन - Open Books Online2024-03-29T11:33:49Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/55-3?commentId=5170231%3AComment%3A653733&feed=yes&xn_auth=noप्रिय प्राची जी,महोत्सव के सं…tag:openbooks.ning.com,2015-05-12:5170231:Comment:6539702015-05-12T14:09:08.839Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय प्राची जी,महोत्सव के संकलन हेतु बहुत- बहुत आभार एवं महोत्सव की सफलता के लिए आपको तथा समस्त रचनाकारों को हार्दिक बधाई |</p>
<p>प्रिय प्राची जी,महोत्सव के संकलन हेतु बहुत- बहुत आभार एवं महोत्सव की सफलता के लिए आपको तथा समस्त रचनाकारों को हार्दिक बधाई |</p> यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित tag:openbooks.ning.com,2015-05-11:5170231:Comment:6535962015-05-11T11:28:02.151ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित </p>
<p>यथा निवेदित तथा प्रतिस्थापित </p> आदरणीय सौरभ जी,
मुझे भी इस ची…tag:openbooks.ning.com,2015-05-11:5170231:Comment:6537372015-05-11T11:17:03.775ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीय सौरभ जी,</p>
<p>मुझे भी इस चीज़ का भान है... कि मंच के प्रति अपने दायित्वों के निर्वहन में मेरी कार्यालयी, व्यावसायिक, निजी व्यस्तताएं आड़े आ रही हैं... कोइ रास्ता तो निकालना ही होगा अब मुझे :))) आपने मेरी परिस्थितियों को समझते हुए इस संकलन कर्म को मान दिया आपकी आभारी हूँ आदरणीय </p>
<p>सादर.</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी,</p>
<p>मुझे भी इस चीज़ का भान है... कि मंच के प्रति अपने दायित्वों के निर्वहन में मेरी कार्यालयी, व्यावसायिक, निजी व्यस्तताएं आड़े आ रही हैं... कोइ रास्ता तो निकालना ही होगा अब मुझे :))) आपने मेरी परिस्थितियों को समझते हुए इस संकलन कर्म को मान दिया आपकी आभारी हूँ आदरणीय </p>
<p>सादर.</p> प्रदत्त विषय पर जिस प्रकार से…tag:openbooks.ning.com,2015-05-11:5170231:Comment:6535942015-05-11T11:12:15.313ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>प्रदत्त विषय पर जिस प्रकार से सभी रचनाकार साथियों नें गंभीर रचनाकर्म किया है.. उसे देख बहुत संतोष हुआ है..प्रसन्नता हुई है..</p>
<p>संकलन कर्म को मान देने के लिए धन्यवाद आ० जितेन्द्र जी </p>
<p></p>
<p>प्रदत्त विषय पर जिस प्रकार से सभी रचनाकार साथियों नें गंभीर रचनाकर्म किया है.. उसे देख बहुत संतोष हुआ है..प्रसन्नता हुई है..</p>
<p>संकलन कर्म को मान देने के लिए धन्यवाद आ० जितेन्द्र जी </p>
<p></p> आयोजन की सफलता का श्रेय प्रति…tag:openbooks.ning.com,2015-05-11:5170231:Comment:6537332015-05-11T11:07:10.819ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आयोजन की सफलता का श्रेय प्रतिभागियों की उत्साही साथ ही साथ संयत व सजग प्रतिभागिता को भी जाता है.. प्रदत्त विषय पर उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से महोत्सव को सफल बनाने के लिए सभी सहभागी रचनाकार साथियों का और आपका हार्दिक धन्यवाद आ० मिथिलेश जी </p>
<p>आयोजन की सफलता का श्रेय प्रतिभागियों की उत्साही साथ ही साथ संयत व सजग प्रतिभागिता को भी जाता है.. प्रदत्त विषय पर उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से महोत्सव को सफल बनाने के लिए सभी सहभागी रचनाकार साथियों का और आपका हार्दिक धन्यवाद आ० मिथिलेश जी </p> आदरणीया प्राचीजी,
महोत्सव के…tag:openbooks.ning.com,2015-05-11:5170231:Comment:6535812015-05-11T07:00:08.800Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीया प्राचीजी,</span></p>
<p>महोत्सव के सफल आयोजन और संकलन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>दोनों प्रस्तुति में संशोधन है अतः पूरी रचना पुनः पोस्ट कर रहा हूँ। संकलन में कृपया स्थान दीजिए। </p>
<p>सादर </p>
<p><b>प्रथम प्रस्तुति - अपेक्षाएँ [ दोहे ] </b></p>
<p>...............................................</p>
<p> </p>
<p>मस्ती खाना खेलना, बच्चों के कुछ साल।</p>
<p>हँसी खुशी औ’ प्यार से, बचपन मालामाल॥</p>
<p> </p>
<p>मानव मन चंचल बहुत, देखे अपना स्वार्थ।</p>
<p>लोभ मोह बढ़ता गया, भूल गया…</p>
<p><span>आदरणीया प्राचीजी,</span></p>
<p>महोत्सव के सफल आयोजन और संकलन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>दोनों प्रस्तुति में संशोधन है अतः पूरी रचना पुनः पोस्ट कर रहा हूँ। संकलन में कृपया स्थान दीजिए। </p>
<p>सादर </p>
<p><b>प्रथम प्रस्तुति - अपेक्षाएँ [ दोहे ] </b></p>
<p>...............................................</p>
<p> </p>
<p>मस्ती खाना खेलना, बच्चों के कुछ साल।</p>
<p>हँसी खुशी औ’ प्यार से, बचपन मालामाल॥</p>
<p> </p>
<p>मानव मन चंचल बहुत, देखे अपना स्वार्थ।</p>
<p>लोभ मोह बढ़ता गया, भूल गया परमार्थ॥</p>
<p> </p>
<p>अफसर नेता देश के, काम करें सब नेक।</p>
<p>तन के सौदे से मिली, उसे नौकरी एक॥</p>
<p> </p>
<p>भ्रष्ट फरेबी लालची, ये सब की औकात।</p>
<p>इनसे न उम्मीद करें, झूठे सब ज़ज्बात॥</p>
<p> </p>
<p>कुटिल चाल चलते गए, खूब बनाये माल।</p>
<p>क्या शिक्षा संस्कार है, शर्म नहीं न मलाल॥</p>
<p> </p>
<p>आस बँधी जिस पुत्र से, होगा श्रवण कुमार।</p>
<p>आश्रम खुद पहुँचा गया, माँ से कितना प्यार॥</p>
<p> </p>
<p>सब हैं इसी जुगाड़ में, भौतिक सुख मिल जायँ।</p>
<p>इच्छायें मरती नहीं, जब तक मर ना जाय़ँ॥</p>
<p> </p>
<p>..................................................................... </p>
<p></p>
<p><b>दूसरी प्रस्तुति - आयुर्वेद से अपेक्षाएँ कुछ ज़्यादा बढ़</b> <b>गईं </b></p>
<p>...........................................................................</p>
<p> </p>
<p> </p>
<p>सभी धर्म के लोगों में, नई आस जगाने आया है। </p>
<p>अब गूँजेगी किलकारी, विश्वास दिलाने आया है॥</p>
<p> </p>
<p>चारो धाम सारे तीरथ, हम दो- दो बार हो आये हैं।</p>
<p>व्रत उपवास किये बरसों, कई रात भभूत लगाये हैं।।</p>
<p> </p>
<p>चांदी के झूले दान किए, चादर भी हमने चढ़ाये हैं।</p>
<p>क्या कुछ नहीं किया हमने, तिरुपति में बाल दे आये हैं॥</p>
<p> </p>
<p>शादी की सिल्वर जुबली हो गई, पिता नहीं बन पाये हैं।</p>
<p>संतान सुख पाने के लिए, बाबा की शरण में आये हैं॥</p>
<p> </p>
<p>धन्यवाद सब नेताओं को, बीज की बिक्री बढ़ गई।</p>
<p>पुत्र जीवक दवा निराली, सब की नज़र में चढ़ गई॥</p>
<p> </p>
<p>युवा प्रौढ़ बुजुर्ग सभी, अपनी किस्मत चमकायेंगे।</p>
<p>उम्र में दादा दादी की, मम्मी- पापा बन जायेंगे॥</p>
<p></p>
<p>................................................................</p> आदरणीया प्राचीजी, जैसी कार्या…tag:openbooks.ning.com,2015-05-10:5170231:Comment:6536352015-05-10T20:33:56.103ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया प्राचीजी, जैसी कार्यालयी व्यस्तता तथा आपके कॉलेज-परिसर में तारी जिन परिस्थितियों में आपने इस संकलन को तैयार कर नियत समय में प्रस्तुत किया है वह आपके अदम्य समर्पण का ही परिचायक है. विश्वास है, आप अपने कार्यालयी एवं व्यावसायिक दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ इस मंच की अन्यान्य अपक्षाओं के प्रति भी शीघ्र ही संलग्न होंगीं.</p>
<p>शुभेच्छाएँ.</p>
<p></p>
<p>आदरणीया प्राचीजी, जैसी कार्यालयी व्यस्तता तथा आपके कॉलेज-परिसर में तारी जिन परिस्थितियों में आपने इस संकलन को तैयार कर नियत समय में प्रस्तुत किया है वह आपके अदम्य समर्पण का ही परिचायक है. विश्वास है, आप अपने कार्यालयी एवं व्यावसायिक दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ इस मंच की अन्यान्य अपक्षाओं के प्रति भी शीघ्र ही संलग्न होंगीं.</p>
<p>शुभेच्छाएँ.</p>
<p></p> आदरणीया डा.प्राची जी. सादर नम…tag:openbooks.ning.com,2015-05-10:5170231:Comment:6536322015-05-10T19:08:37.231Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>आदरणीया डा.प्राची जी. सादर नमन</p>
<p>इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई व् शुभकामनाये. इस बार का विषय काफी संवेदनशील था, जिस पर सभी रचनाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुतियां दी . सभी रचनाकारों को बधाई , आपके द्वारा रचनाओं के संकलन कार्य को पूर्ण किया गया , आपका बहुत-बहुत आभार</p>
<p>सादर!</p>
<p>आदरणीया डा.प्राची जी. सादर नमन</p>
<p>इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई व् शुभकामनाये. इस बार का विषय काफी संवेदनशील था, जिस पर सभी रचनाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुतियां दी . सभी रचनाकारों को बधाई , आपके द्वारा रचनाओं के संकलन कार्य को पूर्ण किया गया , आपका बहुत-बहुत आभार</p>
<p>सादर!</p> आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी,
आय…tag:openbooks.ning.com,2015-05-10:5170231:Comment:6534062015-05-10T16:25:37.463Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी,</p>
<p>आयोजन की सफलता हेतु हार्दिक बधाई एवं इतने कम समय में संकलन के श्रमसाध्य कार्य को पूर्ण कर संकलन प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p></p>
<p>आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी,</p>
<p>आयोजन की सफलता हेतु हार्दिक बधाई एवं इतने कम समय में संकलन के श्रमसाध्य कार्य को पूर्ण कर संकलन प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p></p>