"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - 53 - Open Books Online2024-03-29T06:41:29Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/53?commentId=5170231%3AComment%3A591212&feed=yes&xn_auth=noइस मासूम सी गज़ल के लिए बधाई स…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5916512014-11-29T18:28:21.950Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>इस मासूम सी गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीया...</p>
<p>इस मासूम सी गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीया...</p> बधाई हो आदरणीय सुन्दर प्रस्तु…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5915442014-11-29T18:27:26.181Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>बधाई हो आदरणीय सुन्दर प्रस्तुति के लिए...</p>
<p>बधाई हो आदरणीय सुन्दर प्रस्तुति के लिए...</p> शुक्रिया।tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5917362014-11-29T18:27:25.631Zदिनेश कुमारhttps://openbooks.ning.com/profile/0bbsmwu5qzvln
शुक्रिया।
शुक्रिया। आज बिखरा पड़ा था धरती पर जिसकी…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5915432014-11-29T18:23:04.102Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आज बिखरा पड़ा था धरती पर <br/><br/>जिसकी परवाज आसमानी थी</p>
<p>ये तो इकरस की नियति बयां कर डाली जनाब बधाई स्वीकार करें...</p>
<p>आज बिखरा पड़ा था धरती पर <br/><br/>जिसकी परवाज आसमानी थी</p>
<p>ये तो इकरस की नियति बयां कर डाली जनाब बधाई स्वीकार करें...</p> हार्दिक बधाई स्वीकारें इस शान…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5915422014-11-29T18:21:24.169ZKrishnasingh Pelahttps://openbooks.ning.com/profile/KrishnasinghPela
<p>हार्दिक बधाई स्वीकारें इस शानदार प्रस्तुती के िलए आ. दिलबाग जी ! </p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकारें इस शानदार प्रस्तुती के िलए आ. दिलबाग जी ! </p> वाह लोहे का ट्रंक और सुरमेदान…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5915002014-11-29T18:21:13.355Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>वाह लोहे का ट्रंक और सुरमेदानी क्या बात, अब्बू की शेरवानी वाह, ठण्ड की जाफरानी चाय क्या बात आदरणीय आप नास्टैल्जिया में ले गए.. बेहद बधाई इस सफलता के लिए...</p>
<p>वाह लोहे का ट्रंक और सुरमेदानी क्या बात, अब्बू की शेरवानी वाह, ठण्ड की जाफरानी चाय क्या बात आदरणीय आप नास्टैल्जिया में ले गए.. बेहद बधाई इस सफलता के लिए...</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई बधाई स्वीक…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5915412014-11-29T18:17:17.657Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई बधाई स्वीकारें. ग़ज़ल बढ़िया हुई है...</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई बधाई स्वीकारें. ग़ज़ल बढ़िया हुई है...</p> आ. दिनेश जी उम्दा ग़ज़ल के लि…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5917342014-11-29T18:13:27.991ZKrishnasingh Pelahttps://openbooks.ning.com/profile/KrishnasinghPela
<p>आ. दिनेश जी उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । दूसरे व अंतिम शेर के उला के अंतिम छोर में मात्रा में थोडा संदेह लग रहा है । सायद मेरी अल्प समझ के कारण हो ! सादर । </p>
<p>आ. दिनेश जी उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । दूसरे व अंतिम शेर के उला के अंतिम छोर में मात्रा में थोडा संदेह लग रहा है । सायद मेरी अल्प समझ के कारण हो ! सादर । </p> बँट गया बीच में खड़ा बरगद अपने…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5914972014-11-29T18:11:04.744Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>बँट गया बीच में खड़ा बरगद <br/><br/>अपने पुरखों की जो निशानी थी</p>
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<p>आदरणीय दीदी कृपया इस पूरी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें...ये पंक्तियाँ मुझे बेहद भा गयी...</p>
<p>बँट गया बीच में खड़ा बरगद <br/><br/>अपने पुरखों की जो निशानी थी</p>
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<p>आदरणीय दीदी कृपया इस पूरी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें...ये पंक्तियाँ मुझे बेहद भा गयी...</p> रात ख़्वाबो में कौन आया था,सुब…tag:openbooks.ning.com,2014-11-29:5170231:Comment:5917332014-11-29T18:08:38.067Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>रात ख़्वाबो में कौन आया था,<br/>सुब’ह साँसों में रातरानी थी. <br/>. <br/><br/>पढ़ते पढ़ते गुज़र गया शाइर,<br/>हाथ में डायरी पुरानी थी.</p>
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<p>बेहद बधाई के हक़दार है आदरणीय आप...</p>
<p>रात ख़्वाबो में कौन आया था,<br/>सुब’ह साँसों में रातरानी थी. <br/>. <br/><br/>पढ़ते पढ़ते गुज़र गया शाइर,<br/>हाथ में डायरी पुरानी थी.</p>
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<p>बेहद बधाई के हक़दार है आदरणीय आप...</p>