लघुकथा चर्चा: सदस्यगण अपने प्रश्न/विचार इस थ्रेड में पोस्ट करें - Open Books Online2024-03-28T23:11:38Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:772286?groupUrl=laghukatha&feed=yes&xn_auth=noसादर नमस्कार। कुछ जानकारियां…tag:openbooks.ning.com,2017-10-12:5170231:Comment:8887282017-10-12T16:47:40.195ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सादर नमस्कार। कुछ जानकारियां चाहता हूं। १- ओबीओ में सर्वश्रेष्ठ चुनी गई रचना के लिए क्या प्रमाण पत्र आदि जारी किए गए हैं? १५अक्टूबर २०१५ लघुकथा 'मुखाग्नि' हेतु तिथि/हस्ताक्षर सहित प्रमाण पत्र की एक प्रकाशन के संकलन के लिए भेजने के लिए आवश्यकता है। २- शब्द 'फ़रिश्ते' का gender : masculine/feminine/common?<br></br>
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३- ब्लोग पोस्ट में शीर्षक वाले बोक्स में शीर्षक के साथ रचनाकार का नाम लिखना तकनीकी रूप से या सर्च सुविधा के लिए कितना उचित है। कुछ लेखक लिखते हैं, कुछ नहीं!<br></br>
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४- आजकल जब मैं…
सादर नमस्कार। कुछ जानकारियां चाहता हूं। १- ओबीओ में सर्वश्रेष्ठ चुनी गई रचना के लिए क्या प्रमाण पत्र आदि जारी किए गए हैं? १५अक्टूबर २०१५ लघुकथा 'मुखाग्नि' हेतु तिथि/हस्ताक्षर सहित प्रमाण पत्र की एक प्रकाशन के संकलन के लिए भेजने के लिए आवश्यकता है। २- शब्द 'फ़रिश्ते' का gender : masculine/feminine/common?<br/>
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३- ब्लोग पोस्ट में शीर्षक वाले बोक्स में शीर्षक के साथ रचनाकार का नाम लिखना तकनीकी रूप से या सर्च सुविधा के लिए कितना उचित है। कुछ लेखक लिखते हैं, कुछ नहीं!<br/>
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४- आजकल जब मैं रचना या टिप्पणी पोस्ट करता हूं तो 'रोबोट' (Are you a robot?)संबंधित जांच का Apache notification/dialogue box and then 'to select vehicles/shops/Street Signs/boards in the picture shown' verify कराया जाता है। कारण व समाधान जानना चाहता हूं। आदरणीय सर
विधा के सम्बंधित…tag:openbooks.ning.com,2017-10-04:5170231:Comment:8866782017-10-04T15:03:25.868ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय सर </p>
<p></p>
<p>विधा के सम्बंधित कुछ प्रश्न हैं जो मैं जानना चाह रही थी सादर </p>
<p></p>
<p>१ जब हम संवाद लिखते हैं तो इसमें बंधन होता है कम शब्दों में लिखना होता है एक सम्वाद कम से कम कितने शब्दों का हो और अधिकतम कितने शब्दों का होना चाहिए ? </p>
<p>२ लघुकथा में कितने प्रकार के दोष हो सकते है ? कृपया इस पर प्रकाश डालें |</p>
<p>सादर |</p>
<p>आदरणीय सर </p>
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<p>विधा के सम्बंधित कुछ प्रश्न हैं जो मैं जानना चाह रही थी सादर </p>
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<p>१ जब हम संवाद लिखते हैं तो इसमें बंधन होता है कम शब्दों में लिखना होता है एक सम्वाद कम से कम कितने शब्दों का हो और अधिकतम कितने शब्दों का होना चाहिए ? </p>
<p>२ लघुकथा में कितने प्रकार के दोष हो सकते है ? कृपया इस पर प्रकाश डालें |</p>
<p>सादर |</p> जी सर , सादर धन्यवाद इस बिन्द…tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8840482017-09-25T12:23:59.261ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>जी सर , सादर धन्यवाद इस बिन्दु पर प्रकाश डाला आपने | </p>
<p>जी सर , सादर धन्यवाद इस बिन्दु पर प्रकाश डाला आपने | </p> धन्यवाद सर |tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8843082017-09-25T12:21:50.691ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धन्यवाद सर |</p>
<p>धन्यवाद सर |</p> सादर धन्यवाद सर | tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8842252017-09-25T12:21:19.808ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>सादर धन्यवाद सर | </p>
<p>सादर धन्यवाद सर | </p> आ० कल्पना भट्ट जी, बिंदु 1 से…tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8838822017-09-25T06:07:10.857Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आ० कल्पना भट्ट जी, बिंदु 1 से 6 तब तक स्पष्ट नहीं हो सकते जब तक कि एक रचनाकार (लघुकथाकार) सतत अध्ययन और अभ्यास न करे . बिंदु नम्बर 7 का सम्बन्ध व्याकरण से है. इस बारे में आचार्य संजीव सलिल जी का मत है कि कक्षा 1 से कक्षा 6 की हिंदी व्याकरण की किताबों का अध्ययन करने से काफी सहायता मिलेगी. </p>
<p>आ० कल्पना भट्ट जी, बिंदु 1 से 6 तब तक स्पष्ट नहीं हो सकते जब तक कि एक रचनाकार (लघुकथाकार) सतत अध्ययन और अभ्यास न करे . बिंदु नम्बर 7 का सम्बन्ध व्याकरण से है. इस बारे में आचार्य संजीव सलिल जी का मत है कि कक्षा 1 से कक्षा 6 की हिंदी व्याकरण की किताबों का अध्ययन करने से काफी सहायता मिलेगी. </p> //आपने कहा है लघुकथा में स्वय…tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8838812017-09-25T05:59:21.040Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>//<span>आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , //</span></p>
<p></p>
<p>मेरे कहने के अभिप्राय है कि लघुकथा विधा के स्वतंत्र आलोचक अभी नहीं हुए हैं, जो लेखक हैं वे ही आलोचक की भूमिका भी निभा रहे हैं. </p>
<p></p>
<p>//१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?</p>
<p>२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? </p>
<p>३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? </p>
<p>४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ?…</p>
<p>//<span>आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , //</span></p>
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<p>मेरे कहने के अभिप्राय है कि लघुकथा विधा के स्वतंत्र आलोचक अभी नहीं हुए हैं, जो लेखक हैं वे ही आलोचक की भूमिका भी निभा रहे हैं. </p>
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<p>//१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?</p>
<p>२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? </p>
<p>३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? </p>
<p>४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ? //</p>
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<p>जब तक एक लेखक सम्बंधित विधा के मूलभूत नियमों से पारंगत न हो उसे आलोचना से परहेज़ करना चाहिए. केवल अपनी विद्वता दर्शाने हेतु आलोचक बनना किसी भी विधा के लिए हानिकारक होगा. शुरूआती दौर में आलोचना की बजाय परस्पर चर्चा पर ध्यान दिया जाए तो बेहतर होगा. हालाकि अक्सर एक लेखक अपनी रचना के प्रति बायस्ड हो जाता है. लेकिन यदि वह अपनी रचना का आलोचक आप बन सके तो सोने पर सुहागा होगा, लेकिन यह तभी संभव होगा यदि वह विधा की बरीकिओं से भली भांति परिचित हो. </p> "कथ्य को तथ्य का कुशन मिलना"…tag:openbooks.ning.com,2017-09-25:5170231:Comment:8838802017-09-25T05:45:16.654Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p><span>"कथ्य को तथ्य का कुशन मिलना" से अभिप्राय है कि जो दलील आपने पेश की हो उसके हक में आपके पास पर्याप्त साक्ष्य हों. उदाहरण के लिए; </span> कोई झपटमार एक महिला के गले से मंगलसूत्र खींच लिया, लेकिन मंगलसूत्र देखते ही वह ज़ार ज़ार रोने लगा. "क्यों रोने लगा?" एक आदतन लुटेरे के मन में मंगलसूत्र देखकर क्या आया होगा? इसका खुलासा यदि कथा में नहीं होगा तो बात कैसे बनेगी?</p>
<p><span>"कथ्य को तथ्य का कुशन मिलना" से अभिप्राय है कि जो दलील आपने पेश की हो उसके हक में आपके पास पर्याप्त साक्ष्य हों. उदाहरण के लिए; </span> कोई झपटमार एक महिला के गले से मंगलसूत्र खींच लिया, लेकिन मंगलसूत्र देखते ही वह ज़ार ज़ार रोने लगा. "क्यों रोने लगा?" एक आदतन लुटेरे के मन में मंगलसूत्र देखकर क्या आया होगा? इसका खुलासा यदि कथा में नहीं होगा तो बात कैसे बनेगी?</p> आदरणीय सर
एक और निवेदन है आ…tag:openbooks.ning.com,2017-09-24:5170231:Comment:8836692017-09-24T14:51:23.020ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय सर </p>
<p></p>
<p>एक और निवेदन है आपसे कृपया 'कथ्य को तथ्य का कुशन मिलना ' इस पर भी थोडा प्रकाश डालें | इस बिन्दु को थोडा समझाएं प्लीज | </p>
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<p>सादर |</p>
<p>आदरणीय सर </p>
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<p>एक और निवेदन है आपसे कृपया 'कथ्य को तथ्य का कुशन मिलना ' इस पर भी थोडा प्रकाश डालें | इस बिन्दु को थोडा समझाएं प्लीज | </p>
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<p>सादर |</p> आदरणीय सर ,
कुछ प्रश्न यहा…tag:openbooks.ning.com,2017-09-24:5170231:Comment:8837712017-09-24T14:07:00.062ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय सर , </p>
<p></p>
<p>कुछ प्रश्न यहाँ मैं पूछना चाहती हूँ , आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , इसका मतलब हमें अपने कथा की आलोचना स्वयं को करनी होगी | </p>
<p>१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?</p>
<p>२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? </p>
<p>३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? </p>
<p>४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ? </p>
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<p>सादर |</p>
<p>आदरणीय सर , </p>
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<p>कुछ प्रश्न यहाँ मैं पूछना चाहती हूँ , आपने कहा है लघुकथा में स्वयं लेखक ही आलोचक की भूमिका निभा रहे हैं , इसका मतलब हमें अपने कथा की आलोचना स्वयं को करनी होगी | </p>
<p>१ हमें आलोचक बनकर किन किन बिन्दुओं पर धयान देना होगा ?</p>
<p>२ हम आलोचना किस प्रकार से करेंगे ? </p>
<p>३ क्या कथा लिखते वक़्त से ही आलोचक की भूमिका भी निभानी होगी ? </p>
<p>४ क्या पाठक बनकर आलोचना होगी या एक आलोचक का नजरिया कुछ अलग होगा ? </p>
<p></p>
<p>सादर |</p>