लघुकथा लेखन प्रक्रिया - Open Books Online2024-03-29T05:57:31Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:675889?groupUrl=laghukatha&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सर
तो क्या इस तरह से…tag:openbooks.ning.com,2017-09-24:5170231:Comment:8838502017-09-24T15:52:04.862ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय सर </p>
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<p>तो क्या इस तरह से कथा को पूर्ण नहीं किया जा सकता या ऐसे कथ्य को लेना ही नहीं चाहिए ? </p>
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<p>सादर |</p>
<p>आदरणीय सर </p>
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<p>तो क्या इस तरह से कथा को पूर्ण नहीं किया जा सकता या ऐसे कथ्य को लेना ही नहीं चाहिए ? </p>
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<p>सादर |</p> तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया…tag:openbooks.ning.com,2016-05-18:5170231:Comment:7662452016-05-18T08:43:55.921ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब योगराज प्रभाकर जी।
तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब योगराज प्रभाकर जी। जी बिलकुल, आज्ञा के अनुपालन म…tag:openbooks.ning.com,2016-05-18:5170231:Comment:7663152016-05-18T08:35:18.019ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
जी बिलकुल, आज्ञा के अनुपालन में पिछले सबक़ का पुनः अध्ययन करूँगा। प्रत्युत्तर व समाधान हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी।
जी बिलकुल, आज्ञा के अनुपालन में पिछले सबक़ का पुनः अध्ययन करूँगा। प्रत्युत्तर व समाधान हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी। भाई उस्माजी जी
//मुझे कई बार…tag:openbooks.ning.com,2016-05-17:5170231:Comment:7659832016-05-17T04:22:56.990Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>भाई उस्माजी जी</p>
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<p>//मुझे कई बार लघुकथा हेतु ऐसे कथानक सूझते हैं कि उन्हें विवरणात्मक शैली में मुझे लिखना सुविधाजनक रहता है। विवरणात्मक शैली में लघुकथा लिखते समय उसे क़िस्सागोई और रिपोर्ट बनने से रोकने हेतु किन बातों का ध्यान रखना होगा?//</p>
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<p>लगता है कि इससे पिछले सफे पर आपने एस.एच.ओ द्वारा ऍफ़.आई.आर रिपोर्ट लिखने की प्रक्रिया वाले उदाहरण को ध्यान से नहीं देखा, उसे दोबारा गौर से पढ़ें, आपके प्रश्न का उत्तर आपको मिल जाएगाI</p>
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<p>//शब्द संख्या भी 300 से अधिक हो…</p>
<p>भाई उस्माजी जी</p>
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<p>//मुझे कई बार लघुकथा हेतु ऐसे कथानक सूझते हैं कि उन्हें विवरणात्मक शैली में मुझे लिखना सुविधाजनक रहता है। विवरणात्मक शैली में लघुकथा लिखते समय उसे क़िस्सागोई और रिपोर्ट बनने से रोकने हेतु किन बातों का ध्यान रखना होगा?//</p>
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<p>लगता है कि इससे पिछले सफे पर आपने एस.एच.ओ द्वारा ऍफ़.आई.आर रिपोर्ट लिखने की प्रक्रिया वाले उदाहरण को ध्यान से नहीं देखा, उसे दोबारा गौर से पढ़ें, आपके प्रश्न का उत्तर आपको मिल जाएगाI</p>
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<p>//शब्द संख्या भी 300 से अधिक हो जाती है।कृपया मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा।//</p>
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<p>300 की शब्द सीमा एक आदर्श सीमा मानी जाती है, लेकिन कथानक की आवश्यकतानुसार यदि सौ पचास शब्द बढ़ भी जाएँ तो यह कोई चिंता का विषय नहीं हैI</p>
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<p> </p> सादर नमस्कार। मुझे कई बार लघु…tag:openbooks.ning.com,2016-05-17:5170231:Comment:7658612016-05-17T04:04:40.382ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सादर नमस्कार। मुझे कई बार लघुकथा हेतु ऐसे कथानक सूझते हैं कि उन्हें विवरणात्मक शैली में मुझे लिखना सुविधाजनक रहता है। विवरणात्मक शैली में लघुकथा लिखते समय उसे क़िस्सागोई और रिपोर्ट बनने से रोकने हेतु किन बातों का ध्यान रखना होगा? ओबीओ गोष्ठी विषय- षड्यंत्र- के संदर्भ में? क्या उसमें एक-दो संवाद भी डाले जायें या फ्लैशबैक तकनीक का प्रयोग किया जाए। शब्द संख्या भी 300 से अधिक हो जाती है।कृपया मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा।
सादर नमस्कार। मुझे कई बार लघुकथा हेतु ऐसे कथानक सूझते हैं कि उन्हें विवरणात्मक शैली में मुझे लिखना सुविधाजनक रहता है। विवरणात्मक शैली में लघुकथा लिखते समय उसे क़िस्सागोई और रिपोर्ट बनने से रोकने हेतु किन बातों का ध्यान रखना होगा? ओबीओ गोष्ठी विषय- षड्यंत्र- के संदर्भ में? क्या उसमें एक-दो संवाद भी डाले जायें या फ्लैशबैक तकनीक का प्रयोग किया जाए। शब्द संख्या भी 300 से अधिक हो जाती है।कृपया मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा। हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी,…tag:openbooks.ning.com,2016-05-08:5170231:Comment:7641402016-05-08T11:04:30.765Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी, मुझे संतोष है कि मैं हर बिंदु पर खुल कर बात कर पायाI</p>
<p>शुक्रिया आ० कल्पना भट्ट जीI </p>
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी, मुझे संतोष है कि मैं हर बिंदु पर खुल कर बात कर पायाI</p>
<p>शुक्रिया आ० कल्पना भट्ट जीI </p> सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका | ब…tag:openbooks.ning.com,2016-05-08:5170231:Comment:7640462016-05-08T10:15:17.584ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका | बेहद सरल तरीके से आपने लघुकथा को किस तरह से लिखना चाहिए व किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आपने समझाया है | </p>
<p>सादर |</p>
<p>सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका | बेहद सरल तरीके से आपने लघुकथा को किस तरह से लिखना चाहिए व किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आपने समझाया है | </p>
<p>सादर |</p> जी बिलकुल, इन बातों का अब हम…tag:openbooks.ning.com,2016-05-08:5170231:Comment:7641242016-05-08T04:13:21.779ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
जी बिलकुल, इन बातों का अब हम ध्यान रखेंगे। त्वरित सुपष्ट समाधान करने हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब योगराज प्रभाकर साहब।
जी बिलकुल, इन बातों का अब हम ध्यान रखेंगे। त्वरित सुपष्ट समाधान करने हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब योगराज प्रभाकर साहब। हार्दिक आभार आ० सीमा सिंह जी Itag:openbooks.ning.com,2016-05-08:5170231:Comment:7640372016-05-08T04:11:26.910Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० सीमा सिंह जी I</p>
<p>हार्दिक आभार आ० सीमा सिंह जी I</p> १. जो विचार दिल में आये उसको…tag:openbooks.ning.com,2016-05-08:5170231:Comment:7640332016-05-08T03:49:47.472Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>१. जो विचार दिल में आये उसको तुरंत नोट किया जाए (डायरी/कंप्यूटर/मोबाइल पर)</p>
<p>२. किस शैली में लिखना है यह कथानक पर निर्भर करता हैI</p>
<p>३. <span>विवरणात्मक शैली इसलिए बहुत अच्छी नहीं मानी जाती क्योंकि उसमे महज़ किस्सागोई होती हैI जो कहता है, लेखक स्वयं ही कहता हैI</span></p>
<p><span>४. पञ्च-पंक्ति पूर्ण होनी चाहिए, न कि प्रश्नात्मक चिन्ह अथवा डॉट्स लगाकर खत्म कर दी जाएI बहुत से लोग इसको "अनकहा" मानने की भूल कर बैठते हैं, जबकि यह "अनलिखा" होता हैI …</span></p>
<p>१. जो विचार दिल में आये उसको तुरंत नोट किया जाए (डायरी/कंप्यूटर/मोबाइल पर)</p>
<p>२. किस शैली में लिखना है यह कथानक पर निर्भर करता हैI</p>
<p>३. <span>विवरणात्मक शैली इसलिए बहुत अच्छी नहीं मानी जाती क्योंकि उसमे महज़ किस्सागोई होती हैI जो कहता है, लेखक स्वयं ही कहता हैI</span></p>
<p><span>४. पञ्च-पंक्ति पूर्ण होनी चाहिए, न कि प्रश्नात्मक चिन्ह अथवा डॉट्स लगाकर खत्म कर दी जाएI बहुत से लोग इसको "अनकहा" मानने की भूल कर बैठते हैं, जबकि यह "अनलिखा" होता हैI </span> </p>
<p>५. <span> मुहावरा/कहावत/लोकोक्ति को बिलकुल पंच-पंक्ति बनाया जा सकता हैI</span></p>
<p>६. <span>पंच-पंक्ति रचना का सन्देश है, उसे किसी भी ढंग से से लिया जा सकता हैI बस ध्यान ये रखा जाना चाहिए कि सन्देश साफ़ हो और पंक्ति बोझिल न हीI पैराग्राफ को पञ्च-पंक्ति लेने से इसके बोझिल होने की सम्भावना बढ़ जाती हैI</span></p>
<p><span>७. कथा-तत्व पर लेक्चर बहुत लम्बा हो जाएगाI इसका आसान तरीका है कि अपनी लिखी लघुकथा को बार बार बा-आवाज़े-बुलंद बोल कर देखें, यदि वह कहानी की तरह लगे तो वह कथा-तत्व युक्त हैI जिस रचना को पढ़ते हुए यह लगे कि कोई इसे आपको सुना रहा है, तो समझिये कि उसमे कथा-तत्व हैI </span></p>