हुंण मैं की करां ....... - Open Books Online2024-03-28T17:54:44Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:662857?groupUrl=Punjabi_sahitya&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय निकोर जी पंजाबी रचना…tag:openbooks.ning.com,2015-06-18:5170231:Comment:6658802015-06-18T06:58:40.450ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय निकोर जी पंजाबी रचना दे तुहाडे सोणे विचारां दा दिलों शुक्रिया। रचना तुहानू चंगी लगी , रचना एस लई तुहाडी शुक्रगुज़ार है। </p>
<p>आदरणीय निकोर जी पंजाबी रचना दे तुहाडे सोणे विचारां दा दिलों शुक्रिया। रचना तुहानू चंगी लगी , रचना एस लई तुहाडी शुक्रगुज़ार है। </p> मेरे मित्र सुशील जी,
थुवाडी…tag:openbooks.ning.com,2015-06-15:5170231:Comment:6650032015-06-15T10:07:39.612Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>मेरे मित्र सुशील जी,</p>
<p>थुवाडी ए नज़्म कितनी रोंदी मांवा दी, उनां दी रुहाँ दी, तड़प नूँ सामणें ला रयी ए।<br/></p>
<p></p>
<p><span>/</span>/हुंण मैं की करां </p>
<p><span>हाय वे मेरे रब्बा </span><br/><span>हुंण मैं की करां …</span>//</p>
<p></p>
<p>ए शब्द सरल ने, पर कितने असरदार ने, मैं कै नईं सकदा ! </p>
<p>बोतल दे खुमार दे कारण कितने बच्चे, कितनी माँवा, कितने घर रुल गए नें .... उफ़ ।</p>
<p></p>
<p>मेरी दिल्ली वधाई।</p>
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<p>मेरे मित्र सुशील जी,</p>
<p>थुवाडी ए नज़्म कितनी रोंदी मांवा दी, उनां दी रुहाँ दी, तड़प नूँ सामणें ला रयी ए।<br/></p>
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<p><span>/</span>/हुंण मैं की करां </p>
<p><span>हाय वे मेरे रब्बा </span><br/><span>हुंण मैं की करां …</span>//</p>
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<p>ए शब्द सरल ने, पर कितने असरदार ने, मैं कै नईं सकदा ! </p>
<p>बोतल दे खुमार दे कारण कितने बच्चे, कितनी माँवा, कितने घर रुल गए नें .... उफ़ ।</p>
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<p>मेरी दिल्ली वधाई।</p>
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