ग़ज़ल-संक्षिप्त आधार जानकारी-4 - Open Books Online2024-03-29T15:55:31Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:65028?groupUrl=kaksha&commentId=5170231%3AComment%3A982548&groupId=5170231%3AGroup%3A55965&feed=yes&xn_auth=noसभी को प्रणाम
एक शंका का नि…tag:openbooks.ning.com,2019-04-27:5170231:Comment:9825482019-04-27T05:26:44.635ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>सभी को प्रणाम </p>
<p> एक शंका का निवारण करें </p>
<p>क्या बदलने और अपने काफिया क्या दोष युक्त है? </p>
<p></p>
<p><span style="font-weight: 400;">जिंदगी चाल अपनी बदलने लगी</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">बाद मुद्दत गले आज अपने लगी</span></p>
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<p>सभी को प्रणाम </p>
<p> एक शंका का निवारण करें </p>
<p>क्या बदलने और अपने काफिया क्या दोष युक्त है? </p>
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<p><span style="font-weight: 400;">जिंदगी चाल अपनी बदलने लगी</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">बाद मुद्दत गले आज अपने लगी</span></p>
<p></p> आ तिलक राज साहब, आ समर साहब,…tag:openbooks.ning.com,2019-04-25:5170231:Comment:9818112019-04-25T07:24:09.004Zamod shrivastav (bindouri)https://openbooks.ning.com/profile/amodbindouri
<p>आ तिलक राज साहब, आ समर साहब, आ विनस भाई साहब प्रणाम </p>
<p>सर मुझे काफ़िया को लेकर जानकारी चाहिए थी ..</p>
<p>क्या इसतरह के काफ़िया ग़जल में प्रयोग होते हैं ।</p>
<p></p>
<p>मेरा सवाल ए'आद किया जाए।।दुहराया<br/>फ़कत जवाब ए'राब किया जाए।।पेश</p>
<p>ज़हन में देश रहे या सियासत , यह ।<br/>वज़ीर घर से ए'फाफ़ किया जाए।।पाबन्द<br/>आमोद बिंदौरी</p>
<p>आ तिलक राज साहब, आ समर साहब, आ विनस भाई साहब प्रणाम </p>
<p>सर मुझे काफ़िया को लेकर जानकारी चाहिए थी ..</p>
<p>क्या इसतरह के काफ़िया ग़जल में प्रयोग होते हैं ।</p>
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<p>मेरा सवाल ए'आद किया जाए।।दुहराया<br/>फ़कत जवाब ए'राब किया जाए।।पेश</p>
<p>ज़हन में देश रहे या सियासत , यह ।<br/>वज़ीर घर से ए'फाफ़ किया जाए।।पाबन्द<br/>आमोद बिंदौरी</p> बड़प्पन की निशानी।tag:openbooks.ning.com,2018-11-13:5170231:Comment:9608842018-11-13T16:58:50.498Zक़मर जौनपुरीhttps://openbooks.ning.com/profile/Kamaruddin
<p>बड़प्पन की निशानी।</p>
<p>बड़प्पन की निशानी।</p> मैं ग़ज़ल विद्यार्थी यहाँ अब …tag:openbooks.ning.com,2016-01-27:5170231:Comment:7349532016-01-27T05:19:20.184Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
<p>मैं ग़ज़ल विद्यार्थी यहाँ अब ग़ज़ल कक्षा की एकदम शुरूआती लेखों से अध्ययन कर रही हूँ और स्वयं में ग़ज़ल के तकनीकों पर समृद्ध होती महसूस कर रही हूँ। अभिनन्दन मंच को। अभिनन्दन ग़ज़ल कक्षा को</p>
<p>मैं ग़ज़ल विद्यार्थी यहाँ अब ग़ज़ल कक्षा की एकदम शुरूआती लेखों से अध्ययन कर रही हूँ और स्वयं में ग़ज़ल के तकनीकों पर समृद्ध होती महसूस कर रही हूँ। अभिनन्दन मंच को। अभिनन्दन ग़ज़ल कक्षा को</p> जी
tag:openbooks.ning.com,2014-08-07:5170231:Comment:5652792014-08-07T16:41:48.231ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>जी </p>
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<p>जी </p>
<p></p> व्याकरण भेद के आधार पर उठती'…tag:openbooks.ning.com,2014-08-07:5170231:Comment:5653362014-08-07T16:07:11.487ZTilak Raj Kapoorhttps://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>व्याकरण भेद के आधार पर <span>उठती</span><span>', '</span><span>लिखती</span><span>' को उचित भी ठहराया जा सकता है लेकिन यह मूल अरूज़ में रहा हो इस पर मुझे शंका है। </span></p>
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<p>व्याकरण भेद के आधार पर <span>उठती</span><span>', '</span><span>लिखती</span><span>' को उचित भी ठहराया जा सकता है लेकिन यह मूल अरूज़ में रहा हो इस पर मुझे शंका है। </span></p>
<p></p> सर कहीं यहाँ उठती है उँगलियाँ…tag:openbooks.ning.com,2014-08-07:5170231:Comment:5652702014-08-07T15:23:36.639ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>सर कहीं यहाँ उठती है उँगलियाँ में उठती की क्रियावाचक न मान कर भावसूचक लिया हो क्यूँ कि उँगलियाँ उठना एक भाव है..<br/>और लिखना सीधे सीधे क्रिया ...<br/>और इस तरह दोष को जस्टिफाई किया गया हो ??</p>
<p> </p>
<p>सर कहीं यहाँ उठती है उँगलियाँ में उठती की क्रियावाचक न मान कर भावसूचक लिया हो क्यूँ कि उँगलियाँ उठना एक भाव है..<br/>और लिखना सीधे सीधे क्रिया ...<br/>और इस तरह दोष को जस्टिफाई किया गया हो ??</p>
<p> </p> यहॉं एक बात समझना जरूरी है कि…tag:openbooks.ning.com,2014-08-07:5170231:Comment:5651622014-08-07T14:31:17.186ZTilak Raj Kapoorhttps://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p><span>यहॉं एक बात समझना जरूरी है कि अगर आपने '<span>उठती</span>', '<span>लिखती</span>' मत्ले में काफि़या के रूप में लिये तो काफि़या में ईता-ए-ख़फ़ी या छोटी ईता का दोष आ जायेगा। इसे समझने की कोशिश करते हैं। हो यह रहा है कि दोनों शब्दों में 'ती' मूल शब्द पर बढ़ा हुआ अंश है और काफि़या दोष देखने के लिये इसे हटाकर देखने का नियम है जो यह कहता है कि मत्ले में काफि़या मूल शब्द के स्तर पर मिलना चाहिये और ऐसा नहीं हो रहा है तो छोटी ईता का दोष आ जायेगा। कई शायर इसे दोष नहीं मानते हैं और जैसा कि…</span></p>
<p><span>यहॉं एक बात समझना जरूरी है कि अगर आपने '<span>उठती</span>', '<span>लिखती</span>' मत्ले में काफि़या के रूप में लिये तो काफि़या में ईता-ए-ख़फ़ी या छोटी ईता का दोष आ जायेगा। इसे समझने की कोशिश करते हैं। हो यह रहा है कि दोनों शब्दों में 'ती' मूल शब्द पर बढ़ा हुआ अंश है और काफि़या दोष देखने के लिये इसे हटाकर देखने का नियम है जो यह कहता है कि मत्ले में काफि़या मूल शब्द के स्तर पर मिलना चाहिये और ऐसा नहीं हो रहा है तो छोटी ईता का दोष आ जायेगा। कई शायर इसे दोष नहीं मानते हैं और जैसा कि मूल ग़ज़ल में है महकती, सरकती, खिसकती, बहकती, गिनती, कटती, कहती आदि का प्रयोग कर लेते हैं। </span></p>
<p>ऐसा करना हो तो मत्ले में एक पंक्ति में 'पत्ती' जैसे शब्द का उपयोग कर सरलता से इसका निराकरण किया जा सकता है। </p>
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<p></p> चित्रा जी की एक फेमस ग़ज़ल है .…tag:openbooks.ning.com,2014-08-07:5170231:Comment:5651312014-08-07T03:18:10.749ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p><span>चित्रा जी की एक फेमस ग़ज़ल है .. . <br/>जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उँगलियाँ <br/>मेरी तरफ ज़माने कि उठती है उँगलियाँ. . <br/>यहाँ काफ़िया निर्धारण कैसे हुआ है ??</span></p>
<p><span>चित्रा जी की एक फेमस ग़ज़ल है .. . <br/>जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उँगलियाँ <br/>मेरी तरफ ज़माने कि उठती है उँगलियाँ. . <br/>यहाँ काफ़िया निर्धारण कैसे हुआ है ??</span></p> घाव मेरे दिल पर गहरा हुआ
जब म…tag:openbooks.ning.com,2013-06-12:5170231:Comment:3775742013-06-12T17:34:33.371ZTilak Raj Kapoorhttps://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>घाव मेरे दिल पर गहरा हुआ</p>
<p>जब मेरे यार पर पहरा हुआ। </p>
<p>को माना कि </p>
<p>आप ने </p>
<p>घाव मेरे दिल पे गहरा हुआ</p>
<p>जब मेरे यार पे पहरा हुआ। </p>
<p>कहा और इसमें पे को गिराकर 'प' पढ़ा तो वज़्न कायम हुआ </p>
<p>घाव मेरे/2122 दिल पे(प) गहरा/2122 हुआ/12</p>
<p>जब मे(मि)रे या/2122 र पे(प) पहरा/1122 हुआ/12। </p>
<p>वज़्न गड़बड़ हुआ न</p>
<p>फिर यह बह्र आरंभ में कठिन भी लगेगी प्रवाह कायम रखने में, इसलिये सरल बह्र लें। </p>
<p></p>
<p>घाव दिल पर हुआ भर न पाया कभी</p>
<p>लौटकर इस…</p>
<p>घाव मेरे दिल पर गहरा हुआ</p>
<p>जब मेरे यार पर पहरा हुआ। </p>
<p>को माना कि </p>
<p>आप ने </p>
<p>घाव मेरे दिल पे गहरा हुआ</p>
<p>जब मेरे यार पे पहरा हुआ। </p>
<p>कहा और इसमें पे को गिराकर 'प' पढ़ा तो वज़्न कायम हुआ </p>
<p>घाव मेरे/2122 दिल पे(प) गहरा/2122 हुआ/12</p>
<p>जब मे(मि)रे या/2122 र पे(प) पहरा/1122 हुआ/12। </p>
<p>वज़्न गड़बड़ हुआ न</p>
<p>फिर यह बह्र आरंभ में कठिन भी लगेगी प्रवाह कायम रखने में, इसलिये सरल बह्र लें। </p>
<p></p>
<p>घाव दिल पर हुआ भर न पाया कभी</p>
<p>लौटकर इस तरफ़ वो न आया कभी। </p>
<p>मीटर है 212, 212, 212, 212 या फ़ायलुन् 4 बार</p>
<p>अब इसमें आप लगाया, जलाया, मनाया, दिखाया वगैरह वगैरह लेते हुए ग़ज़ल कहने का प्रयास कहें। ज़रूरत मुताबिक मत्ले का शेर भी बदलें और इस एक बह्र पर रियाज़ करे। </p>
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