लघुकथा विधा : तेवर और कलेवर - Open Books Online2024-03-29T07:37:23Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:637805?commentId=5170231%3AComment%3A706428&feed=yes&xn_auth=noहार्दिक आभार आदरणीय कपूर साहि…tag:openbooks.ning.com,2023-05-13:5170231:Comment:11032372023-05-13T01:03:08.189Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p><span style="font-size: 10pt;">हार्दिक आभार आदरणीय कपूर साहिब.</span></p>
<p><span style="font-size: 10pt;">हार्दिक आभार आदरणीय कपूर साहिब.</span></p> अतिउत्तम आलेख। विशेषकर अंत मे…tag:openbooks.ning.com,2023-05-12:5170231:Comment:11033432023-05-12T19:21:48.640ZTilak Raj Kapoorhttps://openbooks.ning.com/profile/TilakRajKapoor
<p>अतिउत्तम आलेख। विशेषकर अंत में प्रस्तुत सरॉंश।</p>
<p>अतिउत्तम आलेख। विशेषकर अंत में प्रस्तुत सरॉंश।</p> सादर नमस्ते सर जी ,बहुत ही वि…tag:openbooks.ning.com,2018-05-24:5170231:Comment:9315352018-05-24T08:48:00.081Zbabitaguptahttps://openbooks.ning.com/profile/babitagupta631
<p>सादर नमस्ते सर जी ,बहुत ही विस्तृत जानकारी से अवगत करवाने के लिए आभार .</p>
<p>सादर नमस्ते सर जी ,बहुत ही विस्तृत जानकारी से अवगत करवाने के लिए आभार .</p> हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्…tag:openbooks.ning.com,2018-05-01:5170231:Comment:9275672018-05-01T03:46:59.824ZTEJ VEER SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी। अति महत्वपूर्ण और बेहद उम्दा जानकारी।मेरी निजी रॉय में यह आलेख लघुकथा विधा से जुड़े हर व्यक्ति को कंठस्थ कर लेना चाहिये।एक सफल लघुकथा लेखक बनने के लिये यह एक अनिवार्य पाठ है।आपके द्वारा समय समय पर लघुकथा संबंधी दिये जाने वाले पाठ्यक्रम नये लघुकथा लेखकों के लिये तो ब्रह्म वाक्य जैसे कथन प्रमाणित होते हैं।आशा है कि भविष्य में भी यह मार्ग दर्शन पाठ्यक्रम धारा प्रवाह रूप से चलता रहेगा।सादर।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी। अति महत्वपूर्ण और बेहद उम्दा जानकारी।मेरी निजी रॉय में यह आलेख लघुकथा विधा से जुड़े हर व्यक्ति को कंठस्थ कर लेना चाहिये।एक सफल लघुकथा लेखक बनने के लिये यह एक अनिवार्य पाठ है।आपके द्वारा समय समय पर लघुकथा संबंधी दिये जाने वाले पाठ्यक्रम नये लघुकथा लेखकों के लिये तो ब्रह्म वाक्य जैसे कथन प्रमाणित होते हैं।आशा है कि भविष्य में भी यह मार्ग दर्शन पाठ्यक्रम धारा प्रवाह रूप से चलता रहेगा।सादर।</p> धन्यवाद, लघु कथा के विषय में…tag:openbooks.ning.com,2018-04-29:5170231:Comment:9269942018-04-29T12:56:31.957Zbabitaguptahttps://openbooks.ning.com/profile/babitagupta631
<p>धन्यवाद, लघु कथा के विषय में विस्तृत जानकारी देने के लिए .</p>
<p>धन्यवाद, लघु कथा के विषय में विस्तृत जानकारी देने के लिए .</p> हार्दिक आभार भाई निलेश जी.tag:openbooks.ning.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828372017-09-21T05:43:25.632Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार भाई निलेश जी.</p>
<p>हार्दिक आभार भाई निलेश जी.</p> बहुत प्रेरक और लाभपरक जानकारी…tag:openbooks.ning.com,2017-09-19:5170231:Comment:8822032017-09-19T07:33:48.178ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>बहुत प्रेरक और लाभपरक जानकारी दी आपने आदरणीय <br/>साधुवाद </p>
<p>बहुत प्रेरक और लाभपरक जानकारी दी आपने आदरणीय <br/>साधुवाद </p> इस प्रशंसा हेतु ह्रदयतल से आप…tag:openbooks.ning.com,2017-09-19:5170231:Comment:8824672017-09-19T07:24:04.798Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस प्रशंसा हेतु ह्रदयतल से आपका आभारी हूँ जनाब सलीम रजा जी. वैसे ओबीओ ब्लॉग नहीं बाकायदा एक निरोल साहित्यिक वेबसाईट है और ब्लॉग इसका एक छोटा सा किन्तु महत्वपूर्ण हिस्सा है. </p>
<p>इस प्रशंसा हेतु ह्रदयतल से आपका आभारी हूँ जनाब सलीम रजा जी. वैसे ओबीओ ब्लॉग नहीं बाकायदा एक निरोल साहित्यिक वेबसाईट है और ब्लॉग इसका एक छोटा सा किन्तु महत्वपूर्ण हिस्सा है. </p> परम आदरणीय योगराज प्रभाकर जी,…tag:openbooks.ning.com,2017-09-18:5170231:Comment:8824332017-09-18T13:27:36.424ZSALIM RAZA REWAhttps://openbooks.ning.com/profile/SALIMRAZA
परम आदरणीय योगराज प्रभाकर जी,<br />
आपने लघु कथा का असली रूप बताया है, ऐसा चित्रण किया है कि मैंने कभी नहीं देखा दिल बाग बाग हो गया,, हर चीज़ को अपने इस तरह से समझाया है कि जैसे कोई सिल्पकार हर इक अंग को चमका दिया... आप के लेख की जो तारीफ़ की जाए कम होगी.. बस मेरे तरफ़ से ढ़ेर सारी बधाई..., आप गुरुजनों को और इस ब्लाग को खूब तरक्की मिले यही दुआ है,
परम आदरणीय योगराज प्रभाकर जी,<br />
आपने लघु कथा का असली रूप बताया है, ऐसा चित्रण किया है कि मैंने कभी नहीं देखा दिल बाग बाग हो गया,, हर चीज़ को अपने इस तरह से समझाया है कि जैसे कोई सिल्पकार हर इक अंग को चमका दिया... आप के लेख की जो तारीफ़ की जाए कम होगी.. बस मेरे तरफ़ से ढ़ेर सारी बधाई..., आप गुरुजनों को और इस ब्लाग को खूब तरक्की मिले यही दुआ है, इस आलेख से यदि आपको किसी प्रक…tag:openbooks.ning.com,2017-09-18:5170231:Comment:8823552017-09-18T10:51:16.973Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस आलेख से यदि आपको किसी प्रकार का भी लाभ पहुंचे तो यह मेरे लिए हर्ष का विषय होगा डॉ आशुतोष मिश्रा जी.</p>
<p>इस आलेख से यदि आपको किसी प्रकार का भी लाभ पहुंचे तो यह मेरे लिए हर्ष का विषय होगा डॉ आशुतोष मिश्रा जी.</p>