'ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा गोल्डन जुबली अंक' में शामिल ग़ज़लों का संकलन(चिन्हित मिसरों के साथ) - Open Books Online2024-03-29T14:45:53Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:573204?commentId=5170231%3AComment%3A575313&feed=yes&xn_auth=noखूब गुर्राया था सूरज आसमाँ मे…tag:openbooks.ning.com,2015-04-25:5170231:Comment:6458282015-04-25T22:37:04.466Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p><span>खूब गुर्राया था सूरज आसमाँ में दो पहर</span><br/><span>देख फ़ीका हो गया है, बदलियाँ छाने के बाद</span></p>
<p></p>
<p>वाह </p>
<p><span>खूब गुर्राया था सूरज आसमाँ में दो पहर</span><br/><span>देख फ़ीका हो गया है, बदलियाँ छाने के बाद</span></p>
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<p>वाह </p> जी संशोधन कर दिया है|tag:openbooks.ning.com,2014-09-30:5170231:Comment:5785002014-09-30T12:19:28.572ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>जी संशोधन कर दिया है|</p>
<p>जी संशोधन कर दिया है|</p> आदरणीय राणा प्रताप भाई जी ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2014-09-28:5170231:Comment:5783772014-09-28T12:08:51.461ZAmit Kumar "Amit"https://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<p>आदरणीय राणा प्रताप भाई जी ग़ज़ल मैं दोष समझने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद |</p>
<p>आदरणीय चिंन्हित मिशरों मैं निम्नानुसार परिवर्तन के लिए आपसे प्रार्थना है -</p>
<p><span style="color: #ff0000;">फड़फड़ाती है बहुत वो दर्द में पर क्या करे I</span><br></br> पोंछती है अपने आंसू छुप के लहराने के बाद II५II</p>
<p><span style="color: #000000;">चौंक जाते हैं सभी टाइड सफेदी देखकर I</span><br></br> <span style="color: #ff0000;">चूमता हूँ मैं हमेशा बस्त्र धुलबाने के बाद II</span></p>
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<p>आदरणीय बहुत बहुत…</p>
<p>आदरणीय राणा प्रताप भाई जी ग़ज़ल मैं दोष समझने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद |</p>
<p>आदरणीय चिंन्हित मिशरों मैं निम्नानुसार परिवर्तन के लिए आपसे प्रार्थना है -</p>
<p><span style="color: #ff0000;">फड़फड़ाती है बहुत वो दर्द में पर क्या करे I</span><br/> पोंछती है अपने आंसू छुप के लहराने के बाद II५II</p>
<p><span style="color: #000000;">चौंक जाते हैं सभी टाइड सफेदी देखकर I</span><br/> <span style="color: #ff0000;">चूमता हूँ मैं हमेशा बस्त्र धुलबाने के बाद II</span></p>
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<p>आदरणीय बहुत बहुत आभार।</p> जी इस मंच पर हम अभी तक शहर को…tag:openbooks.ning.com,2014-09-23:5170231:Comment:5772712014-09-23T13:31:22.578ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>जी इस मंच पर हम अभी तक शहर को २१ के वजन में ही लेते आये हैं|</p>
<p>जी इस मंच पर हम अभी तक शहर को २१ के वजन में ही लेते आये हैं|</p> पहले शेर में शमअ को गलत वजन म…tag:openbooks.ning.com,2014-09-23:5170231:Comment:5771022014-09-23T13:30:13.709ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>पहले शेर में शमअ को गलत वजन में बांधा है सही वजन है २१ दूसरे शेर में पहनता को गलत वजन में बांधा है सही वजन है १२२|</p>
<p>पहले शेर में शमअ को गलत वजन में बांधा है सही वजन है २१ दूसरे शेर में पहनता को गलत वजन में बांधा है सही वजन है १२२|</p> आदरणीय भुवन जी
कोई कह दे उस…tag:openbooks.ning.com,2014-09-23:5170231:Comment:5772692014-09-23T13:25:20.835ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>आदरणीय भुवन जी </p>
<p></p>
<p><span>कोई कह दे उस सियासतदां से जाकर आज तो</span><br/><span>सनसनी है खौफ़ है क्यों आपके आने के बाद.....इस मिसरे में ऐब ए शुतुर्गुर्बा है ..अर्थात सर्वनाम का दोष ..एक ही व्यक्ति के लिए आपने 'उस' और 'आपके' सर्वनामों का प्रयोग किया है जिसके कारण यह दोष पैदा हो गया है|</span></p>
<p></p>
<p>अन्य दो शेर आपने बखूबी सही कर लिए जिनका मैंने संशोधन भी कर दिया है|</p>
<p></p>
<p>तीसरे शेर में सोहबत गलत वजन में है इसका सही वजन २२ होगा|</p>
<p>आदरणीय भुवन जी </p>
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<p><span>कोई कह दे उस सियासतदां से जाकर आज तो</span><br/><span>सनसनी है खौफ़ है क्यों आपके आने के बाद.....इस मिसरे में ऐब ए शुतुर्गुर्बा है ..अर्थात सर्वनाम का दोष ..एक ही व्यक्ति के लिए आपने 'उस' और 'आपके' सर्वनामों का प्रयोग किया है जिसके कारण यह दोष पैदा हो गया है|</span></p>
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<p>अन्य दो शेर आपने बखूबी सही कर लिए जिनका मैंने संशोधन भी कर दिया है|</p>
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<p>तीसरे शेर में सोहबत गलत वजन में है इसका सही वजन २२ होगा|</p> जी यथोचित संशोधन कर दिया है|tag:openbooks.ning.com,2014-09-23:5170231:Comment:5771002014-09-23T13:21:53.083ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>जी यथोचित संशोधन कर दिया है|</p>
<p>जी यथोचित संशोधन कर दिया है|</p> Aadarnie Rana Pratap Ji nama…tag:openbooks.ning.com,2014-09-22:5170231:Comment:5770212014-09-22T06:36:07.201ZAmit Kumar "Amit"https://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<dl class="discussion clear i0 xg_lightborder">
<dd><div class="description" id="desc_5170231Comment575313"><div class="xg_user_generated"><p><span style="color: #ff0000;">Aadarnie Rana Pratap Ji <span style="color: #ff0000;">namaste</span>.<br></br></span></p>
<p><span style="color: #ff0000;">Mahoday ,</span></p>
<p></p>
<p><span style="color: #ff0000;">main samajh nahi paa raha hoon ki galti kahan ho rahi hai kripya kr k mera margdarshan karne ka kast karien . aapki bahut mehrbaani…</span></p>
</div>
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</dl>
<dl class="discussion clear i0 xg_lightborder">
<dd><div class="description" id="desc_5170231Comment575313"><div class="xg_user_generated"><p><span style="color: #ff0000;">Aadarnie Rana Pratap Ji <span style="color: #ff0000;">namaste</span>.<br/></span></p>
<p><span style="color: #ff0000;">Mahoday ,</span></p>
<p></p>
<p><span style="color: #ff0000;">main samajh nahi paa raha hoon ki galti kahan ho rahi hai kripya kr k mera margdarshan karne ka kast karien . aapki bahut mehrbaani hogi.</span></p>
<p><span style="color: #ff0000;">दर्द मैं खुद फड़फड़ाती है शमअ पर क्या करे I</span><br/> पोंछती है अपने आंसू छुप के लहराने के बाद II५II</p>
<p><span style="color: #000000;">चौंक जाते हैं सभी टाइड सफेदी देखकर I</span><br/> <span style="color: #ff0000;">पहनता हूँ मैं हमेशा बस्त्र धुलबाने के बाद II</span></p>
<p><span style="color: #ff0000;">Dhanyabaad</span></p>
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</dl> आदरणीय, लक्ष्मण भाई जी,आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2014-09-21:5170231:Comment:5766812014-09-21T10:30:03.639Zभुवन निस्तेजhttps://openbooks.ning.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>आदरणीय, लक्ष्मण भाई जी,आदरणीय सौरभ जी सदैव मार्ग दर्शन करते रहे हैं, और उससे मैं सदैव स्वयं को अधिक उर्जावान महसूस करता हूँ....पर इस बार आदरणीय राणा प्रताप भाई की बेरुखी कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही है....</p>
<p>आदरणीय, लक्ष्मण भाई जी,आदरणीय सौरभ जी सदैव मार्ग दर्शन करते रहे हैं, और उससे मैं सदैव स्वयं को अधिक उर्जावान महसूस करता हूँ....पर इस बार आदरणीय राणा प्रताप भाई की बेरुखी कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही है....</p> यह संचालक महोदय का दायित्व है…tag:openbooks.ning.com,2014-09-19:5170231:Comment:5761762014-09-19T09:33:38.777ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>यह संचालक महोदय का दायित्व है, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, कि वे मिसरों को कैसे सम्भालते हैं.</p>
<p>फिरभी, मैं इतना अवश्य कहूँगा, कि शब्द दोष के अलावा आदरणीय भुवन भाई के मिसरे में कोई और दोष नहीं दिखता. लेकिन, इसकी सही जानकारी संचालक महोदय ही दे सकते हैं.</p>
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<p>यह संचालक महोदय का दायित्व है, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, कि वे मिसरों को कैसे सम्भालते हैं.</p>
<p>फिरभी, मैं इतना अवश्य कहूँगा, कि शब्द दोष के अलावा आदरणीय भुवन भाई के मिसरे में कोई और दोष नहीं दिखता. लेकिन, इसकी सही जानकारी संचालक महोदय ही दे सकते हैं.</p>
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