उल्लाला छन्द // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T12:25:40Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:545452?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A545502&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noहार्दिक धन्यवाद आदरणीय
tag:openbooks.ning.com,2017-02-12:5170231:Comment:8367302017-02-12T19:17:02.932ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
<p></p> अत्यंत सुंदर तरीके से छंद की…tag:openbooks.ning.com,2017-01-15:5170231:Comment:8288402017-01-15T10:28:34.200ZAbhishek kumar singhhttps://openbooks.ning.com/profile/Abhishekkumarsingh
अत्यंत सुंदर तरीके से छंद की जानकारी हेतू आभार
अत्यंत सुंदर तरीके से छंद की जानकारी हेतू आभार हा हा हा.. बहुत खूब आदरणीय !…tag:openbooks.ning.com,2016-11-14:5170231:Comment:8139662016-11-14T11:53:53.522ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>हा हा हा.. बहुत खूब आदरणीय ! आप इस मंच पर उपलब्ध आलेख के नियमों का पालन करें ! आलेख के तीनॊं ही नियम मान्य हैं.</p>
<p>:-))</p>
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<p>हा हा हा.. बहुत खूब आदरणीय ! आप इस मंच पर उपलब्ध आलेख के नियमों का पालन करें ! आलेख के तीनॊं ही नियम मान्य हैं.</p>
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<p></p> आदरणीय सौरभ भाईजी ....... धन्…tag:openbooks.ning.com,2016-11-14:5170231:Comment:8139632016-11-14T11:31:40.695Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय सौरभ भाईजी ....... धन्यवाद ..... [ याने कि ] यह सप्ताह उल्लाला से दो दो हाथ करने का है।</p>
<p>इस छंदोत्सव के लिए हम 'घनानंद' , और 'सौरभ' <span style="color: #000080;">(’इकड़ियाँ जेबी से’ )</span>के अनुरूप तो लिख सकते हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या 'केशव दास ' भी इस उत्सव में मान्य हैं।</p>
<p>सादर</p>
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<p>आदरणीय सौरभ भाईजी ....... धन्यवाद ..... [ याने कि ] यह सप्ताह उल्लाला से दो दो हाथ करने का है।</p>
<p>इस छंदोत्सव के लिए हम 'घनानंद' , और 'सौरभ' <span style="color: #000080;">(’इकड़ियाँ जेबी से’ )</span>के अनुरूप तो लिख सकते हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या 'केशव दास ' भी इस उत्सव में मान्य हैं।</p>
<p>सादर</p>
<p></p> मैं इस पर अवश्य प्रयास करूँगा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5456032014-06-02T11:10:54.887ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>मैं इस पर अवश्य प्रयास करूँगा आदरणीय सौरभ जी </p>
<p>मैं इस पर अवश्य प्रयास करूँगा आदरणीय सौरभ जी </p> आप जैसे सुधीजन ही प्रस्तुतियो…tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5456762014-06-02T10:18:23.905ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आप जैसे सुधीजन ही प्रस्तुतियों की परख करते हैं, आदरणीय सुशीलजी. </p>
<p>आपसे इन छन्दों पर सार्थक प्रयास अपेक्षित है, आदरणीय.</p>
<p>सादर</p>
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<p>आप जैसे सुधीजन ही प्रस्तुतियों की परख करते हैं, आदरणीय सुशीलजी. </p>
<p>आपसे इन छन्दों पर सार्थक प्रयास अपेक्षित है, आदरणीय.</p>
<p>सादर</p>
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<p></p> आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, उल्ला…tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5455932014-06-02T09:35:08.410ZSushil Sarnahttps://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, उल्लाला छंद के बारे में दी गयी जानकारी वास्तव में बहुत उपयोगी है। दोहा और उल्लाला के इस महीन भेद से परिचित कराने और इस अमूल्य ज्ञान वर्धन के लिए आपका बहुत बहुत आभार। </p>
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<p>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, उल्लाला छंद के बारे में दी गयी जानकारी वास्तव में बहुत उपयोगी है। दोहा और उल्लाला के इस महीन भेद से परिचित कराने और इस अमूल्य ज्ञान वर्धन के लिए आपका बहुत बहुत आभार। </p>
<p></p> जी ठीक है सादर आभार !
tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5456722014-06-02T08:32:30.447ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>जी ठीक है सादर आभार !</p>
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<p>जी ठीक है सादर आभार !</p>
<p></p> आपका सादर आभार, आदरणीया कल्पन…tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5455022014-06-02T02:57:38.590ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपका सादर आभार, आदरणीया कल्पनाजी.</p>
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<p>आपका सादर आभार, आदरणीया कल्पनाजी.</p>
<p></p> //सम चरणों के अतिरिक्त किसी क…tag:openbooks.ning.com,2014-06-02:5170231:Comment:5455672014-06-02T02:55:51.933ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>//सम चरणों के अतिरिक्त किसी कारणवश विषम और सम में भी तुक बन जाए तो क्या वह दोष होगा ? //<br/><br/>कत्तई नहीं. <br/>मूल नियमों को संतुष्ट करने के साथ-साथ अन्य कोई शाब्दिक सजावट छान्दसिक रचनाओं में काव्य-कौतुक पैदा करने का प्रयास कहलाता है. ऐसा काव्य-जगत में सदा से होता रहा है. इन कौतुकों के कारण ही कई बार छन्दबद्ध रचनाएँ कालजयी हो जाती हैं.</p>
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<p>छन्द पर प्रस्तुति सार्थक लगी, इस हेतु आभारी हूँ, आदरणीय अशोकभाईजी. </p>
<p>सादर</p>
<p>//सम चरणों के अतिरिक्त किसी कारणवश विषम और सम में भी तुक बन जाए तो क्या वह दोष होगा ? //<br/><br/>कत्तई नहीं. <br/>मूल नियमों को संतुष्ट करने के साथ-साथ अन्य कोई शाब्दिक सजावट छान्दसिक रचनाओं में काव्य-कौतुक पैदा करने का प्रयास कहलाता है. ऐसा काव्य-जगत में सदा से होता रहा है. इन कौतुकों के कारण ही कई बार छन्दबद्ध रचनाएँ कालजयी हो जाती हैं.</p>
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<p>छन्द पर प्रस्तुति सार्थक लगी, इस हेतु आभारी हूँ, आदरणीय अशोकभाईजी. </p>
<p>सादर</p>