तेरा मेरा साथ --एक अधूरा सफर - आदरणीय अलबेला खत्री जी --(साभार -ओ. बी. ओ ) - Open Books Online2024-03-28T20:53:20Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:528888?feed=yes&xn_auth=noइंसान चले जाते हैं बस यादें ,…tag:openbooks.ning.com,2014-04-25:5170231:Comment:5338712014-04-25T15:30:31.395Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>इंसान चले जाते हैं बस यादें ,बातें रह जाती हैं ,अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि अलबेला जी नहीं रहे ,मुझे याद आती है उनकी बात हमेशा कहते थे की राजेश जी आप मुझे ओबीओ पर लाई हो आपका हमेशा शुक्रगुजार रहूँगा ,दुःख है की ओबीओ पर दुबारा/वापिस नहीं ला सकती :((( </p>
<p>इंसान चले जाते हैं बस यादें ,बातें रह जाती हैं ,अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि अलबेला जी नहीं रहे ,मुझे याद आती है उनकी बात हमेशा कहते थे की राजेश जी आप मुझे ओबीओ पर लाई हो आपका हमेशा शुक्रगुजार रहूँगा ,दुःख है की ओबीओ पर दुबारा/वापिस नहीं ला सकती :((( </p> सादर आभार
खुश रहिये
tag:openbooks.ning.com,2014-04-13:5170231:Comment:5303572014-04-13T06:01:33.524ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttps://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>सादर आभार </p>
<p>खुश रहिये </p>
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<p>सादर आभार </p>
<p>खुश रहिये </p>
<p></p> वक्त कितना भी आगे चला जाए, स्…tag:openbooks.ning.com,2014-04-10:5170231:Comment:5290682014-04-10T11:19:11.704Zवेदिकाhttps://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
वक्त कितना भी आगे चला जाए, स्मृतियो के कैनवस से रंग कभी उडा नहीं करते।<br/>
सादर
वक्त कितना भी आगे चला जाए, स्मृतियो के कैनवस से रंग कभी उडा नहीं करते।<br/>
सादर