ओ.बी.ओ के चार वर्ष - साझा सपने का सफ़र - Open Books Online2024-03-28T18:52:15Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:526939?id=5170231%3ATopic%3A526939&feed=yes&xn_auth=noओबिओ के चतुर्थ वर्षगाँठ पर सभ…tag:openbooks.ning.com,2014-04-17:5170231:Comment:5318772014-04-17T13:29:50.163Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>ओबिओ के चतुर्थ वर्षगाँठ पर सभी विद्वतजनों और ओबिओ परिवार से जुड़े सभी बन्धु बांधवों को हार्दिक बधाईयाँ.. सादर<br></br>हम कोई साहित्यिक वाहित्यिक नहीं है फिर भी पता नहीं कहीं कमेन्ट करने में अनजाने में यहाँ पेज बन गया <br></br>अपनी लिखी एक दो रचना को देख ख़ुशी मिल जाती है <span class="userContent">बस ना जाने क्यों रिजेक्ट के डर से बिना मन के भी डाल देते है महीने में एक-दो आखिर क्या करे पेज बन ही गया है जब यहाँ हमारा तो कुछ तो लिखना पढना चाहिए ही ....तहेदिल से शुक्रिया आप सभी…</span></p>
<p>ओबिओ के चतुर्थ वर्षगाँठ पर सभी विद्वतजनों और ओबिओ परिवार से जुड़े सभी बन्धु बांधवों को हार्दिक बधाईयाँ.. सादर<br/>हम कोई साहित्यिक वाहित्यिक नहीं है फिर भी पता नहीं कहीं कमेन्ट करने में अनजाने में यहाँ पेज बन गया <br/>अपनी लिखी एक दो रचना को देख ख़ुशी मिल जाती है <span class="userContent">बस ना जाने क्यों रिजेक्ट के डर से बिना मन के भी डाल देते है महीने में एक-दो आखिर क्या करे पेज बन ही गया है जब यहाँ हमारा तो कुछ तो लिखना पढना चाहिए ही ....तहेदिल से शुक्रिया आप सभी साहियात्कारोंका <br/><br/>शायद कभी सीख ही ले पढ़ते पढ़ते ही सही ....सभी को अभिवादन <br/></span></p> आदरणीय योगराज जी सादर प्रणाम,…tag:openbooks.ning.com,2014-04-10:5170231:Comment:5290772014-04-10T14:33:58.456ZSatyanarayan Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय योगराज जी सादर प्रणाम,</p>
<p> हमारा ओ. बी. ओ. चार वर्ष पूर्ण कर पांचवे वर्ष में पदार्पण कर चुका है यह जानकर मन को अपार ख़ुशी हुई है. इस शुभ अवसर पर ओ.बी.ओ. परिवार के समस्त सदस्यों को अनंत हार्दिक शुभ कामनाएं प्रेषित करता हूँ.</p>
<p> इस शुभ अवसर पर आपने संक्षिप्त लेख स्वरुप में स्थापना से लेकर आज तक के इतिहास को बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है लगता है की, हम सभी के मन की बात आप साझा कर रहे है.</p>
<p> जिस उदार, नेक संकल्प को लेकर मंच की स्थापना हुई उस संकल्पना को…</p>
<p>आदरणीय योगराज जी सादर प्रणाम,</p>
<p> हमारा ओ. बी. ओ. चार वर्ष पूर्ण कर पांचवे वर्ष में पदार्पण कर चुका है यह जानकर मन को अपार ख़ुशी हुई है. इस शुभ अवसर पर ओ.बी.ओ. परिवार के समस्त सदस्यों को अनंत हार्दिक शुभ कामनाएं प्रेषित करता हूँ.</p>
<p> इस शुभ अवसर पर आपने संक्षिप्त लेख स्वरुप में स्थापना से लेकर आज तक के इतिहास को बड़े रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है लगता है की, हम सभी के मन की बात आप साझा कर रहे है.</p>
<p> जिस उदार, नेक संकल्प को लेकर मंच की स्थापना हुई उस संकल्पना को मैं नमन करता हूँ जिसने साहित्य जगत में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जो सराहनीय एवं वन्दनीय है. मुझे इस परिवार से जुड़े मात्र तेरह महीने ही बीते है किन्तु इस अल्प काल में काव्य विधा और उसके विधान के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. जो ज्ञान कहीं अन्यत्र पुस्तकों में दुर्लभ है. नित्य प्रकाशित होने वाली रचनाओं के साथ साथ हर माह आयोजित होने वाले आयोजन भी कार्यशाला की भाँती सीखने के दृष्टी से निश्चित ही उत्सुकता के केंद्र बने हुए है.</p>
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<p> इस शुभ अवसर पर माँ भारती की सेवा में अहर्निश कार्यरत मंच के सभी विद्वत सदस्यों का मैं दिल से आभार प्रकट करता हूँ. विशेषरूप से प्रधान सम्पादक के रूप में आदरणीय आपके साथ साथ,मुख्य सम्पादक आ. बागी जी, आ. सौरभ जी, आदरणीया डॉ प्राची जी तथा आ. निगम जी जिन्होंने समय समय पर प्रस्तुतियों पर सारगर्भित प्रतिक्रियाओं, सटीक टिप्पणियों द्वारा काव्य विधा एवं विधान की सम्यक जानकारी, मार्गदर्शन एवं लेखन के प्रति आत्मबल बढाने के साथ साथ मन में नए छान्दसिक प्रयोगों के प्रति अभिरुचि जगाई है.</p>
<p> मंच ने साहित्य जगत में अल्प काल में एक परिवार के रूप में अपनेपन की नई पहचान पाई है. आदरणीय, किसी के प्रति अपनेपन के भाव मन में सहज ही तो नहीं उत्पन्न होते उसके पीछे जरूर कुछ कारण होगा जिसे आप, और हम सभी भली भाँती जानते है. इस सन्दर्भ में अधिक कुछ कहने की आवश्यकता नहीं बस इतना ही कहना पर्याप्त होगा .....</p>
<p> <b> “ओ बी ओ तुमको निहारे बिना, अँखियाँ दुखियाँ नहीं मानत हैं”.........</b></p>
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<p> ढेरों बधाई एवं अनंत शुभ कामनाओं सहित सविनय सादर </p> सुन्दर दोहावली के माध्यम से द…tag:openbooks.ning.com,2014-04-09:5170231:Comment:5289252014-04-09T06:27:20.724Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>सुन्दर दोहावली के माध्यम से दी गई शुभकामनायों का ह्रदयतल से आभार आ० अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी.</p>
<p>सुन्दर दोहावली के माध्यम से दी गई शुभकामनायों का ह्रदयतल से आभार आ० अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी.</p> आपकी शुभकामनायों के लिए तह-ए-…tag:openbooks.ning.com,2014-04-09:5170231:Comment:5287842014-04-09T06:26:05.737Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आपकी शुभकामनायों के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया भाई सचिन देव जी.</p>
<p>आपकी शुभकामनायों के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया भाई सचिन देव जी.</p> आदरणीय योगराज भाई जी,
चार बर…tag:openbooks.ning.com,2014-04-09:5170231:Comment:5289202014-04-09T05:57:46.569Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय योगराज भाई जी,</p>
<p></p>
<p>चार बरस की उम्र में, अद्भुत किया कमाल। </p>
<p>ओबीओ फूले फले, सौ से ज्यादा साल॥ </p>
<p> </p>
<p>क्या लिखना कैसे लिखें, हम सब को समझाय।</p>
<p>कम समय में नौसिखिया, पारंगत हो जाय॥ </p>
<p> </p>
<p>योगराज, सौरभ, अरुण, प्राची और गणेश। </p>
<p>बधाई पूरी टीम को, देते ज्ञान विशेष॥</p>
<p> </p>
<p>इस शुभ अवसर पर ओबीओ की पूरी टीम , प्रबंधन समिति के सभी सदस्यगण और इससे जुड़े…</p>
<p>आदरणीय योगराज भाई जी,</p>
<p></p>
<p>चार बरस की उम्र में, अद्भुत किया कमाल। </p>
<p>ओबीओ फूले फले, सौ से ज्यादा साल॥ </p>
<p> </p>
<p>क्या लिखना कैसे लिखें, हम सब को समझाय।</p>
<p>कम समय में नौसिखिया, पारंगत हो जाय॥ </p>
<p> </p>
<p>योगराज, सौरभ, अरुण, प्राची और गणेश। </p>
<p>बधाई पूरी टीम को, देते ज्ञान विशेष॥</p>
<p> </p>
<p>इस शुभ अवसर पर ओबीओ की पूरी टीम , प्रबंधन समिति के सभी सदस्यगण और इससे जुड़े हजारों साहित्य प्रेमियों को मेरी हार्दिक शुभकामनायें।</p>
<p> </p>
<p>पुनः अच्छे स्वस्थ जीवन की शुभकामना के साथ ..... अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव </p> आदरणीय योगराज जी, सादर प्रणाम…tag:openbooks.ning.com,2014-04-08:5170231:Comment:5286492014-04-08T11:28:14.372ZSachin Devhttps://openbooks.ning.com/profile/SachinDev
<p>आदरणीय योगराज जी, सादर प्रणाम ........... आपके इस लेख ने ओ बी ओ के चार वर्षों के सफरनामे से सहजता से परिचय करवाया उसके लिए हार्दिक धन्यवाद ..... और साहित्य की सेवाभाव के लिए लिखने वालों मैं इस मंच के माध्यम से जो अलख जगाई है उसके लिए नमन साथ ही ये अलख ऐसे ही दिन प्रतिदिन और प्रज्व्व्लित हो उसके लिए आपको, ओ बी ओ कार्यकारिणी के सभी सदस्यों तथा मंच पर लेखनी द्वारा योगदान करने वाले प्रत्येक साथी को हार्दिक शुभकामनाएं ! </p>
<p>आदरणीय योगराज जी, सादर प्रणाम ........... आपके इस लेख ने ओ बी ओ के चार वर्षों के सफरनामे से सहजता से परिचय करवाया उसके लिए हार्दिक धन्यवाद ..... और साहित्य की सेवाभाव के लिए लिखने वालों मैं इस मंच के माध्यम से जो अलख जगाई है उसके लिए नमन साथ ही ये अलख ऐसे ही दिन प्रतिदिन और प्रज्व्व्लित हो उसके लिए आपको, ओ बी ओ कार्यकारिणी के सभी सदस्यों तथा मंच पर लेखनी द्वारा योगदान करने वाले प्रत्येक साथी को हार्दिक शुभकामनाएं ! </p> बेबह्र से बाबह्र होना एक बड़ी…tag:openbooks.ning.com,2014-04-08:5170231:Comment:5285032014-04-08T09:28:26.177Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>बेबह्र से बाबह्र होना एक बड़ी बात है, लेकिन उस से भी बड़ी बात है एक आत्मीय सम्बन्ध बन जाना। परिवार का कांसेप्ट यदि सफल हुआ है तो यक़ीनन हमने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. बस, यूं ही एक दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ते जाना है भाई शिज्जू जी. मुझे विश्वास है कि इस पांचवें साल में हम कुछ और सार्थक कदम अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ाने में अवश्य सफल होंगे।</p>
<p>बेबह्र से बाबह्र होना एक बड़ी बात है, लेकिन उस से भी बड़ी बात है एक आत्मीय सम्बन्ध बन जाना। परिवार का कांसेप्ट यदि सफल हुआ है तो यक़ीनन हमने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. बस, यूं ही एक दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ते जाना है भाई शिज्जू जी. मुझे विश्वास है कि इस पांचवें साल में हम कुछ और सार्थक कदम अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ाने में अवश्य सफल होंगे।</p> आप जैसे मित्रों का साथ रहा तो…tag:openbooks.ning.com,2014-04-08:5170231:Comment:5285902014-04-08T09:21:08.874Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आप जैसे मित्रों का साथ रहा तो यह मंच जल्द ही अपनी मंज़िल पा लेगा, ऐसा मेरा विश्वास है आ० नीरज कुमार नीर जी. इस मंच पर भरोसा जताने के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>आप जैसे मित्रों का साथ रहा तो यह मंच जल्द ही अपनी मंज़िल पा लेगा, ऐसा मेरा विश्वास है आ० नीरज कुमार नीर जी. इस मंच पर भरोसा जताने के लिए हार्दिक आभार।</p> आ० तिलक राज कपूर जी, आपक शुभ…tag:openbooks.ning.com,2014-04-08:5170231:Comment:5285882014-04-08T09:19:26.541Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आ० तिलक राज कपूर जी, आपक शुभ वचनो को पढकर मन अति प्रसन्न है, हार्दिक आभार स्वीकारें।</p>
<p>आ० तिलक राज कपूर जी, आपक शुभ वचनो को पढकर मन अति प्रसन्न है, हार्दिक आभार स्वीकारें।</p> हार्दिक धन्यवाद भाई जीतेन्द्र…tag:openbooks.ning.com,2014-04-08:5170231:Comment:5285002014-04-08T09:17:41.122Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक धन्यवाद भाई जीतेन्द्र जी.</p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद भाई जीतेन्द्र जी.</p>
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