चौपाई : मूलभूत नियम - Open Books Online2024-03-29T11:26:43Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:506586?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A524269&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noयह आलेख हम जैसे नव साहित्य प्…tag:openbooks.ning.com,2016-01-16:5170231:Comment:7322632016-01-16T01:44:34.947Zसतविन्द्र कुमार राणाhttps://openbooks.ning.com/profile/28fn40mg3o5v9
यह आलेख हम जैसे नव साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है।इस ज्ञानवर्धन के लिए हार्दिक आभार पूज्य सौरभ सर।
यह आलेख हम जैसे नव साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है।इस ज्ञानवर्धन के लिए हार्दिक आभार पूज्य सौरभ सर। इसी आलेख से -
कुछ कहने के पू…tag:openbooks.ning.com,2015-04-27:5170231:Comment:6463422015-04-27T17:41:45.768ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><span style="color: #000080;">इसी आलेख से -</span></p>
<p></p>
<p><em><span style="color: #000080;"><span style="color: #000080;">कुछ कहने के पूर्व मैं यह कहता चलूँ कि चौपाई में कई लोगों के लिए चरण और पद अक्सर गड्डमड्ड हो जाते हैं. कारण कि, तुकान्त पंक्तियों के अपने-अपने भागों में कोई यति नहीं होती.</span></span></em></p>
<p></p>
<p><em><span style="color: #000080;"><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । </strong> <strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥…</strong></span></em><br></br></p>
<p><span style="color: #000080;">इसी आलेख से -</span></p>
<p></p>
<p><em><span style="color: #000080;"><span style="color: #000080;">कुछ कहने के पूर्व मैं यह कहता चलूँ कि चौपाई में कई लोगों के लिए चरण और पद अक्सर गड्डमड्ड हो जाते हैं. कारण कि, तुकान्त पंक्तियों के अपने-अपने भागों में कोई यति नहीं होती.</span></span></em></p>
<p></p>
<p><em><span style="color: #000080;"><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । </strong> <strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong></span></em><br/> <em><span style="color: #000080;"><-----------चरण--------------->।<------------<span style="color: #000080;">चरण</span>--------------------></span> <span style="color: #000080;"><------------------------------पद/<span style="color: #000080;">अर्द्धाली</span>---------------------------------></span></em></p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="color: #000080;">उपर्युक्त उद्धृत दो पद या दो पंक्ति न हो कर एक ही पद के दो चरण हैं.</span></p>
<p><span style="color: #000080;">आपकी समझ में संभवतः ये दो पद या दो पंक्तियाँ हैं. आपके भ्रम का कारण आपकी यही सोच है.</span></p>
<p><span style="color: #000080;">आप इस लेख को एक दफ़े फिर से पढ़ जाइये.</span></p>
<p></p>
<p></p> अब कन्फ़्यूजिया गया सर। एक बार…tag:openbooks.ning.com,2015-04-27:5170231:Comment:6461792015-04-27T16:40:02.830Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>अब कन्फ़्यूजिया गया सर। एक बार फिर से <br/>एक चौपाई में चार पद / चार पंक्तिया <br/>दो पंक्तियों की एक अर्धाली <br/>चालीस अर्धालियों की एक चालीसा /<br/>अस्सी पंक्तियों की एक चालीसा /<br/>बीस चौपाइयों की एक चालीसा <br/>-------<br/>(पाठ लेख में कुछ गलत टाइप हुआ है सर।)</p>
<p>अब कन्फ़्यूजिया गया सर। एक बार फिर से <br/>एक चौपाई में चार पद / चार पंक्तिया <br/>दो पंक्तियों की एक अर्धाली <br/>चालीस अर्धालियों की एक चालीसा /<br/>अस्सी पंक्तियों की एक चालीसा /<br/>बीस चौपाइयों की एक चालीसा <br/>-------<br/>(पाठ लेख में कुछ गलत टाइप हुआ है सर।)</p> // चालीसा में कुल 80 पंक्तिया…tag:openbooks.ning.com,2015-04-26:5170231:Comment:6457972015-04-26T23:29:04.013ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>// चालीसा में कुल 80 पंक्तियाँ यानि 40 अर्द्धालियाँ / पद हैं //<br/>नहीं, चालीसा में चालीस अर्द्धालियाँ, अर्थात चालीस न कि अस्सी पंक्तियाँ (पद) हैं. किन्तु चौपाई बीस ही हुईं. <br/><br/></p>
<p>// चालीसा में कुल 80 पंक्तियाँ यानि 40 अर्द्धालियाँ / पद हैं //<br/>नहीं, चालीसा में चालीस अर्द्धालियाँ, अर्थात चालीस न कि अस्सी पंक्तियाँ (पद) हैं. किन्तु चौपाई बीस ही हुईं. <br/><br/></p> आदरणीय सौरभ सर, चौपाई छंद को…tag:openbooks.ning.com,2015-04-26:5170231:Comment:6457752015-04-26T18:30:51.591Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ सर, चौपाई छंद को खूब समझाया लेकिन ये गणित आज समझ आया - <span>चालीसा में कुल 80 पंक्तियाँ यानि 40 अर्द्धालियाँ / पद हैं</span></p>
<p></p>
<p>चारों चौकल मेरे भाई, मिलकर बनते है चौपाई </p>
<p>जीवन भर तुलसी की गाई, अब तो हम भी लिख ले भाई </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर, चौपाई छंद को खूब समझाया लेकिन ये गणित आज समझ आया - <span>चालीसा में कुल 80 पंक्तियाँ यानि 40 अर्द्धालियाँ / पद हैं</span></p>
<p></p>
<p>चारों चौकल मेरे भाई, मिलकर बनते है चौपाई </p>
<p>जीवन भर तुलसी की गाई, अब तो हम भी लिख ले भाई </p> आदरणीय सर मैं क्षमा चाहूँगी य…tag:openbooks.ning.com,2014-03-27:5170231:Comment:5245302014-03-27T23:00:46.425Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>आदरणीय सर मैं क्षमा चाहूँगी यदि मेरी भाषा आपको कहीं असंयत प्रतीत हुई हो </p>
<p>आदरणीय सर मैं क्षमा चाहूँगी यदि मेरी भाषा आपको कहीं असंयत प्रतीत हुई हो </p> आदरणीया वन्दनाजी, आप ऐसा कत्त…tag:openbooks.ning.com,2014-03-27:5170231:Comment:5242692014-03-27T12:47:08.071ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया वन्दनाजी, <br></br>आप ऐसा कत्तई न समझें कि मैं नाराज़ हो रहा हूँ. वस्तुतः मैं स्वयं नहीं समझ पा रहा <strong>था</strong>.. (देखिये, मैं <strong>था</strong> का प्रयोग कर रहा हूँ..) कि, आपसी अस्पष्टता किस विन्दु के कारण हो रही है.</p>
<p>वो विन्दु अब दिख गया है, आदरणीया. उस हिसाब से आपको अब तक हुए हर तरह के कष्ट और हुई परेशानियों के लिए मैं हृदय से क्षमा-प्रार्थी हूँ. <br></br>लेकिन, मैं उपरोक्त इन सारी बातों को एक सिरे से हटाते हुए बिना शर्त क्षमा-याचना करता हूँ. और समस्त गफ़लत के लिए खुद को…</p>
<p>आदरणीया वन्दनाजी, <br/>आप ऐसा कत्तई न समझें कि मैं नाराज़ हो रहा हूँ. वस्तुतः मैं स्वयं नहीं समझ पा रहा <strong>था</strong>.. (देखिये, मैं <strong>था</strong> का प्रयोग कर रहा हूँ..) कि, आपसी अस्पष्टता किस विन्दु के कारण हो रही है.</p>
<p>वो विन्दु अब दिख गया है, आदरणीया. उस हिसाब से आपको अब तक हुए हर तरह के कष्ट और हुई परेशानियों के लिए मैं हृदय से क्षमा-प्रार्थी हूँ. <br/>लेकिन, मैं उपरोक्त इन सारी बातों को एक सिरे से हटाते हुए बिना शर्त क्षमा-याचना करता हूँ. और समस्त गफ़लत के लिए खुद को उत्तरदायी मानता हूँ.</p>
<p></p>
<p>मैंने जो लिखा -</p>
<p><strong>//जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong> <br/><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong><br/>यह हुई एक <strong>चौपाई</strong>. //</p>
<p>यहाँ भूलवश <strong>चौपाई</strong> लिखा जाना ही सारी परेशानियों और ग़फ़लत का सबब बन गया. यह मात्र भूलवश हुआ. इसी टिप्पणी-संवाद को मैंने फिर मूल लेख में जोड दिया. ताकि लेख मुकम्मल रहे.</p>
<p><strong>चौपाई छंद का नाम है न कि मात्र दो चरणों को चौपाई कहते हैं. दो चरणों को पद या अर्द्धाली कहते हैं.</strong></p>
<p><br/>यह अवश्य है कि मैं अपनी टिप्पणियों के माध्यम से बन रहे अपने संवादों में सारी बातें आगे स्पष्ट रूप से कहने का भरपूर प्रयास करता रहा. परन्तु, जिस विन्दु के कारण आपके और आप जैसे पाठकों के मन में अस्पष्टता बन चुकी हो उसकी ओर ध्यान ही नहीं जा रहा था. और मैं स्वयं चकित होता रहा था कि अस्पष्टता का कारण क्या है.</p>
<p>और, आदरणीया आपका संशय मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. <br/><br/>वस्तुतः पुनः कहूँ, <strong>चौपाई एक छंद का नाम है</strong>, आदरणीया. इसे हम ध्यान से समझें. और एक अर्द्धाली ही एक पद हैं. यानि एक पद में दो चरण. <strong>ऐसे ही दो-दो चरणों से बनी अर्द्धालियों या पदों की कुल चालीस संख्या चालीसा कहलाती है</strong>. </p>
<p></p>
<p>जल्दबाजी में या लापरवाही में हुई गलती से आपको नाहक ही कष्ट हुआ.</p>
<p>मैं मूल लेख में सुधार कर लेता हूँ.</p>
<p>सादर<br/><br/></p> आदरणीय सर आप कृपया नाराज मत ह…tag:openbooks.ning.com,2014-03-27:5170231:Comment:5243732014-03-27T11:11:11.360Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>आदरणीय सर आप कृपया नाराज मत होइये मैं वाकई नहीं समझ पा रही हूँ </p>
<p>ऊपर मेरे प्रश्न के उत्तर में आपने लिखा है -</p>
<p></p>
<p>//अब आइये, चौपाइयों की असली गिनती पर. </p>
<p>इस लेख में कहा ही गया है कि दो अर्द्धालियों की एक चौपाई होती है. सही है न ?</p>
<p><br></br>यानि,<br></br><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong> <br></br><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong><br></br><span style="text-decoration: underline;">यह हुई एक चौपाई.</span> //</p>
<p></p>
<p>यहाँ चार चरण कैसे…</p>
<p>आदरणीय सर आप कृपया नाराज मत होइये मैं वाकई नहीं समझ पा रही हूँ </p>
<p>ऊपर मेरे प्रश्न के उत्तर में आपने लिखा है -</p>
<p></p>
<p>//अब आइये, चौपाइयों की असली गिनती पर. </p>
<p>इस लेख में कहा ही गया है कि दो अर्द्धालियों की एक चौपाई होती है. सही है न ?</p>
<p><br/>यानि,<br/><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong> <br/><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong><br/><span style="text-decoration: underline;">यह हुई एक चौपाई.</span> //</p>
<p></p>
<p>यहाँ चार चरण कैसे गिनेंगे </p>
<p></p>
<p>और चालीसा के सन्दर्भ में 40 अर्द्धालियों का समूह बनेगा ...चालीस या 160 चरणों का नहीं.. यही तो मैनें पूछना चाहा था </p>
<p></p>
<p><br/><span>//अब आइये, चौपाइयों की असली गिनती पर.</span> <br/><span>इस लेख में कहा ही गया है कि दो अर्द्धालियों की एक चौपाई होती है. सही है न ?</span></p>
<p><br/><span>यानि,</span><br/><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong></span><span> </span><br/><span><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong></span><br/><span>उपरोक्त दो चरणों की हुई एक अर्द्धाली. यही चौपाई छंद हुआ. </span><span> </span><br/><span>इस तरह से आप देखियेगा कि हनुमान चालीसा में कुल 80 पंक्तियाँ यानि 40 चौपाइयाँ हैं. //</span></p>
<p></p>
<p>40 चौपाई के चार-२ चरण कैसे गिने जायेंगे ?</p>
<p></p>
<p></p>
<p>यही मेरा मूल प्रश्न था -</p>
<p><span>//सर एक बात को लेकर मन में संदेह है वह यह कि चौपाई में चार चरण होते हैं क्योंकि रामचरित मानस में अनेक स्थानों पर दोहे से दोहे के बीच चरणों के चार-२ के समूह नहीं बनते.....</span></p>
<p><span>चालीसा...इसमें अस्सी चरण हैं इन्हें २ से विभाजित करने पर चालीस (चालीसा )बनता है या १६० चरण होने पर चालीसा बनेगा या चालीस चरण होने चाहिए | //</span></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p> //जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ..…tag:openbooks.ning.com,2014-03-26:5170231:Comment:5241922014-03-26T17:05:24.251ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>//<span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ... यहाँ 16 मात्रा हैं और चरण ? दो ?</strong></span> //</p>
<p></p>
<p>चरण क्यों दो ? दो चरण कैसे हों ? क्या मैंने लिखा है कहीं ? कि, इस पंक्ति के बीच में यति है ? फिर चरण दो कैसे हुए ?</p>
<p>आदरणीया, मैं इसी तथ्य को आपके पूछने पर अपने हिसाब से स्पष्ट करने की कोशिश की है. कृपया फिर से देख लिया जाय.</p>
<p><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर </strong></span> .. यह एक चरण हुआ.</p>
<p></p>
<p>दो चरणों का अर्थ है - </p>
<p><span><strong>जय हनुमान…</strong></span></p>
<p>//<span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ... यहाँ 16 मात्रा हैं और चरण ? दो ?</strong></span> //</p>
<p></p>
<p>चरण क्यों दो ? दो चरण कैसे हों ? क्या मैंने लिखा है कहीं ? कि, इस पंक्ति के बीच में यति है ? फिर चरण दो कैसे हुए ?</p>
<p>आदरणीया, मैं इसी तथ्य को आपके पूछने पर अपने हिसाब से स्पष्ट करने की कोशिश की है. कृपया फिर से देख लिया जाय.</p>
<p><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर </strong></span> .. यह एक चरण हुआ.</p>
<p></p>
<p>दो चरणों का अर्थ है - </p>
<p><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर</strong></span> । .. एक चरण</p>
<p><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong>.. दूसरा चरण</p>
<p>यह चौपाई छंद की अर्द्धाली है. यानि, चौपाई की एक अर्द्धाली हुई.</p>
<p>चालीसा में ऐसे ही जोड़े हैं, जिनकी संख्या चालीस है.</p>
<p></p>
<p>कृपया, मेरे कहे को एक बार फिर से पढ़ें तो शायद तथ्य और स्पष्ट हो.</p>
<p></p> माफ़ी चाहती हूँ सर दुस्साहस कर…tag:openbooks.ning.com,2014-03-26:5170231:Comment:5241022014-03-26T15:43:56.284Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>माफ़ी चाहती हूँ सर दुस्साहस कर रही हूँ ...किन्तु इसे मेरी जिज्ञासा ही मानियेगा या तो कुछ और स्पष्टीकरण होना चाहिए क्योंकि </p>
<p><strong>"जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong><span> </span><br></br><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong><br></br><span>यह हुई एक चौपाई". </span></p>
<p></p>
<p><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ... यहाँ 16 मात्रा हैं और चरण ? दो ?</strong></span></p>
<p><span><strong><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥....यहाँ भी 16 मात्रा... अब यदि यहाँ अर्द्धाली में चरण दो…</strong></strong></span></p>
<p>माफ़ी चाहती हूँ सर दुस्साहस कर रही हूँ ...किन्तु इसे मेरी जिज्ञासा ही मानियेगा या तो कुछ और स्पष्टीकरण होना चाहिए क्योंकि </p>
<p><strong>"जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।</strong><span> </span><br/><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥</strong><br/><span>यह हुई एक चौपाई". </span></p>
<p></p>
<p><span><strong>जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ... यहाँ 16 मात्रा हैं और चरण ? दो ?</strong></span></p>
<p><span><strong><strong>जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥....यहाँ भी 16 मात्रा... अब यदि यहाँ अर्द्धाली में चरण दो माने जाएँ तो एक चौपाई में चार चरण सिद्ध होते हैं लेकिन प्रत्येक चरण में सोलह मात्रा वाली बात सिद्ध नहीं हो पाती</strong></strong></span></p>
<p><span><strong><strong> </strong></strong></span></p>
<p><b>सादर निवेदित </b></p>